मथुरा का जब भी जिक्र होता है मेरी आंखों के पर्दे पर भगवान श्रीकृष्ण की बाललीला का दृश्य अनायास ही उभर आता है। इस बार भी बिल्कुल यही हुआ। फिर क्या था कि दिल्ली से ट्रेन पकड़कर मथुरा पहुंचा और फिर वृन्दावन धाम (Vrindavan Dham)। पौराणिक मान्यता है कि इस जगह पर भगवान श्रीकृष्ण ने अपने बचपन के दिन बिताए थे। जिसकी वजह से इस सम्पूर्ण क्षेत्र को ब्रज भूमि कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ के कण कण में भगवान का वास है।
आगरा-दिल्ली राजमार्ग पर स्थित इस जगह पर पहुंचने के लिए कोई डायरेक्ट सुविधा तो नहीं है बावजूद इसके यह देश के कई प्रमुख मार्गों से जुड़ा हुआ है और यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।
राधा और श्री कृष्ण की पूजा के लिए समर्पित यह जगह एक तरह से मंदिरों का गढ़ है। इस जगह पर छोटे और बड़े हजारों मंदिर स्थित हैं और यहां पूरे साल पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। ऐसे में अगर मौका कृष्ण जन्माष्टमी पर्व का हो तो पर्यटकों की आवाजाही और रौनक और भी ज्यादा बढ़ जाती है। इस दौरान यहां तरह-तरह के धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाएं तथा झांकियां देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ती है।
पौराणिक स्थल होने के कारण वृंदावन धाम (Vrindavan Dham) का इतिहास भी काफी खूबसूरत और समृद्ध है। ऐसा माना जाता है कि वल्लभाचार्य 11 वर्ष की उम्र में वृंदावन आए थे। इस जगह के महत्व को रेखांकित करने के लिए देश भर में नंगे पांव घूमते और प्रचार करते रहे। इस दौरान उन्होंने कई स्थानों पर भगवद् गीता का प्रवचन भी दिया। जिससे इस जगह की धार्मिक स्थापना में विशिष्ट भूमिका रही।
इस जगह से चैतन्य महाप्रभु का भी जुड़ाव रहा है। 16वीं शताब्दी में जब वृंदावन का सार विलुप्त होने लगा तो चैतन्य महाप्रभु द्वारा इसे फिर से खोजा गया। बताया जाता है कि इस दौरान चैतन्य महाप्रभु ने श्री कृष्ण भगवान के अतीत से जुड़े पवित्र जगहों का पता लगाने के लिए वृंदावन धाम (Vrindavan Dham) की कई यात्राएं की और सभी महत्वपूर्ण स्थानों का पता लगाने में सफल हुए।
इस जगह से मीराबाई और उनके कृष्ण प्रेम का भी जिक्र होता है। मीरा काफी समय तक प्रभु की भक्ति में लीन रहने के पश्चात मेवाड़ छोड़ कर वृंदावन आ गई थीं। इसी तरह सूरदास और स्वामी हरिदास के नाम भी वृन्दावन से हमेशा के लिए जुड़े हुए हैं।
वृन्दावन धाम (Vrindavan Dham) में अनेक ऐतिहासिक धरोहर, सैकड़ों आश्रम और कई गौशालाएं हैं और यह हिन्दुओं के धार्मिक क्रिया-कलापों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है।
मैं बांके बिहारी मंदिर गया। यह राजस्थानी शैली में बना मंदिर श्री कृष्ण समर्पित है तथा देश के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है। इसमें भगवान श्री कृष्ण की छवि एक बच्चे के रूप में दिखाई देती है। इसके बाद प्रेम मंदिर जो कि अपनी स्थापत्य और सुंदरता के लिए जाना जाता है। सफेद संगमरमर से बना यह मंदिर राधा-कृष्ण और सीता-राम को समर्पित है।
वृन्दावन (Vrindavan Dham) स्थित इस्कॉन मंदिर को श्री कृष्ण-बलराम मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। इस मंदिर को 1975 में भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद के निर्देश पर बनाया गया था। वैसे तो दुनिया भर में कई इस्कॉन मंदिर हैं पर वृन्दावन में इस मंदिर का होना बहुत ही ख़ास है।
मेरी इच्छा श्री राधा रमण मंदिर, गोपेश्वर महादेव मंदिर वृन्दावन, गोपेश्वर महादेव मंदिर वृन्दावन, शाहजी मंदिर, श्री रघुनाथ मंदिर और कात्यायनी शक्तिपीठ देखने की भी थी लेकिन समय के अभाव के चलते नहीं जा पाया। अगर आपके पास समय हो तो जरूर जाएं। इसके अलावा वृंदावन में श्री राधा दामोदर मंदिर, मदन मोहन मंदिर, पागल बाबा मंदिर, कुसुम सरोवर, बरसाना, सेवा कुंज, केसी घाट, जयपुर मंदिर, यमुना नदी, श्री वृंदा कुंड आदि स्थान देखे जा सकते हैं।