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घुमक्कड़ी

एक स्त्री द्वारा पुरुष हरण की अनोखी प्रेमकथा

Omkareshwar Temple Ukhimath

ओम्कारेश्वर मंदिर (Omkareshwar Temple) : देश का उत्तराखंड राज्य अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के साथ-साथ गहरे रूप से धार्मिक मान्यताओं और पौराणिक कथाओं के लिए जाना जाता है। ऐसी कई सारी धार्मिक मान्यताएं और पौराणिक कथाएं हैं जिनका प्रमाण नहीं मिलने के बावजूद भारतीय जनमानस में इस कदर बसी हुई हैं कि उन्हें सच मान लिया गया है। ऐसी ही एक पौराणिक कथा है दैत्यराज वाणासुर की पुत्री उषा और श्रीकृष्ण के पोते अनिरुद्ध की जिसमे स्त्री द्वारा पुरुष का हरण किया गया था।

वाणासुर परम रमणीय शोणितपुर में राज्य करता था और समाज में उसका बड़ा आदर था। हर तरफ उसकी उदारता और बुद्धिमत्ता की प्रशंसा की जाती थी। एक बार जो ठान लेता था वही करता था। शोणितपुर के विषय में विद्धवानो में अनेक मत हैं कुछ इसे तिब्बत में मानते हैं और कुछ असम में और कुछ इसे उखीमठ के निकल सोनितपुर मानते हैं, सोणितपुर के निकट ही बाणासुर का मंदिर भी है और वह स्थान भी जहा श्रीकृष्ण के पोते अनिरुद्ध को बंदी बनाकर रखा गया था।

दैत्यराज बाणासुर की एक हजार भुजाएं थी। वह भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था और सदा उन्हीं की भक्ति में मगन रहता था। एक दिन जब भगवान शंकर ताण्डवनृत्य कर रहे थे, तब उसने अपने हजार हाथों से अनेकों प्रकार के बाजे बजाकर उन्हें प्रसन्न कर लिया। इसलिए उस पर भगवान शिव की बहुत बड़ी कृपा थी। वाणासुर की एक कन्या भी थी जिसका नाम उषा था। वह अपनी सखी चित्रलेखा के साथ उखीमठ में रहती थी।

आपको बता दूं कि उखीमठ का ओमकारेश्वर मंदिर (Omkareshwar Temple) उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में आता है। यह एक प्रसिद्द शैवमठ और वीरशैव मत का वैराग्यपीठ है। वीरशैवों के पांच शिवाचार्यों में एक शिवाचार्य यही विराजमान होते हैं। यहीं पर छह महीने केदारनाथ भगवान की गद्दीस्थल भी है और पञ्च केदारों को एक साथ इस मंदिर में पूजा जाता है । इसलिए इस पूरी घाटी को ही केदार घाटी के नाम से जाना जाता है।

केदार घाटी में स्थित ऊखीमठ की प्रसांगिकता इस लिहाज से भी बढ़ जाती है कि यहां स्थित ओंकारेश्वर मंदिर (Omkareshwar Temple) में भगवान श्री केदारनाथ और द्वितीय केदार भगवान श्री मद्महेश्वर की शीतकालीन पूजा होती है। सर्दियों के दौरान जब केदारनाथ धाम के कपाट बंद हो जाते हैं, तो उनकी उत्सव एवं भोग मूर्ति को डोली एवं छत्र, त्रिशूल आदि प्रतीकात्मक निशानों के साथ ऊखीमठ लाया जाता है। शीतकालीन पूजा हेतु केदार बाबा ऊखीमठ के गर्भ गृह में प्रतिष्ठित हो जाते हैं। इसी तरह जब द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के शीतकाल में कपाट बंद हो जाते हैं तो ओंकारेश्वर मंदिर (Omkareshwar Temple) में उनकी पूजा होती है। अक्टूबर आखिरी से लेकर अप्रैल-मई तक भगवान केदारनाथ और मद्महेश्वर की पूजा यहां होती है।

एक बार उषा ने स्वप्न में अनिरुद्ध को देखा और उस पर मोहित हो गई। यह बात उसने सखी चित्रलेखा को बताया। चित्रलेखा ने द्वारिका जाकर सोते हुये अनिरुद्ध को पलंग सहित उषा के महल में पहुंचा दिया। जिसके पश्चात कृष्ण और वाणासुर में युद्ध हुआ पर शिव का भक्त होने के कारण शिव की कृपा बनी रही। अंत में शिव खुद ओमकार रूप में इस जगह पर प्रकट हुए और वाणासुर को समझाया तो उसने स्वंय अपनी पुत्री की शादी अनिरुद्ध से करा दिया। उखीमठ के ओम्कारेश्वर मंदिर (Omkareshwar Temple) में आज भी है उषा अनिरुद्ध का विवाह मंडप मौजूद है जिसे देखने के लिए लोग इस जगह पर इकठ्ठा होते हैं।

वर्तमान में एक धार्मिक तीर्थस्थल होने के साथ साथ इस देव स्थान को एक शांत और सुरम्य जगह के तौर पर जाना जाता है। आसपास का प्राकृतिक वातावरण और मौसम यहां आने वाले यात्रियों को खूब भाता है। इन सबसे इतर उखीमठ का उपयोग आस-पास स्थित विभिन्न स्थानों, जैसे की मधमहेश्वर (दूसरा केदार), तुंगनाथ (तीसरा केदार) और देवरिया ताल (एक प्राकृतिक ताजे पानी की झील) और कई अन्य रमणीय स्थानों पर जाने के लिए केंद्र स्थल के रूप में किया जा सकता है।

इस जगह पर अगर जाना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले रुद्रप्रयाग जाना पड़ेगा और फिर तक़रीबन चालीस किमी दूर उखीमठ। यह जगह गुप्तकाशी के नजदीक पड़ती है। इस जगह पर ठहरने के लिए आपको स्थानीय स्तर के छोटे होटल आदि मिल जाते हैं। होटल की उपलब्धता नहीं होने की स्थित में आसपास के दुकानदार आपको अपने घर में ठहराने का इंतजाम कर देंगे।

दोस्तों, आशा करता हूं कि यह लेख आप लोगों को पसंद आया होगा। मेरी कोशिश हर दिन आपको कुछ नया देने की रहती है। आपको लेख पढ़कर कैसा लगा स्ट्रोलिंग इंडिया और अपने इस घुमंतू दोस्त के साथ जरूर बाटें। 

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travel writer sanjaya shepherd लेखक परिचय

खानाबदोश जीवन जीने वाला एक घुमक्कड़ और लेखक जो मुश्किल हालातों में काम करने वाले दुनिया के श्रेष्ठ दस ट्रैवल ब्लॉगर में शामिल है। सच कहूं तो लिखने और घूमने के अलावा और कुछ आता ही नहीं। इसलिए, वर्षों से घूमने और लिखने के अलावा कुछ किया ही नहीं। बस घुम रहा हूं।