Menu
ब्लॉग

जिन्दगी में जो सिर्फ एक बार मिलते हैं, वह दुनिया के सबसे खूबसूरत लोग हैं!

Meeting strangers

Meeting strangers: कई बार ऐसा लगता है कि मैं अपनी उम्र से थोड़ा ज्यादा बड़ा हो गया हूं। और यह अहसास उस वक़्त और भी गहरा हो जाता है जब मैं अपनी यात्राओं के दौरान किसी खूबसूरत और जहीन इंसान से मिलता हूं। आज बिल्कुल ऐसा ही हुआ।

जिस लड़की से मिला उसका नाम प्रकृति था। उम्र लगभग अठारह साल। इस छोटी सी उम्र में वह हिमालय के किसी पहाड़ी गांव में होमस्टे चलाया करती है जहां देश दुनिया से सैकड़ों लोग आते हैं और उत्तराखंड में मेरी तरह ही घुमक्कड़ी के लिए आई थी। वह भी बिल्कुल अकेले। आंखें उसकी काली और बेहद गहरी थी। गर्दन सुराहीदार, मैंने उसकी उम्र पूछी और देर तक देखता रहा।

सच कहूं तो मुझे किसी लड़की को इस तरह से देखने की आदत नहीं है, या यूं कह लो कि वर्षों पहले से छूट गई है। लेकिन आज वर्षों बाद ऐसा लग रहा था कि फिर से मैं अपनी वास्तविक उम्र में लौट आया हूं। हां, बिल्कुल। कुछ ऐसा ही। बात सिर्फ मेरी नहीं, आपकी भी है। सच कहूं तो पता नहीं क्यों हम सब अपनी उम्र से थोड़े ज्यादा बड़े, थोड़े ज्यादा समझदार हो गए हैं, हममें से बहुत कम लोग हैं जो अपनी वास्तविक उम्र में हैं।

और वह वही जीते हैं, जो वो जीना चाहते हैं?

मेरे साथ यह स्थिति बदलती रहती है। लेकिन ज्यादातर अवसरों पर मैंने अपने आपको अपनी उम्र से कहीं ज्यादा बड़ा और जहीन हो जाते पाया है। और यह बिल्कुल भी सही नहीं। मुझे यात्राएं इसलिए प्रिय हैं क्योंकि मैं अलग अलग समय में, अलग अलग जगह पर अपनी अलग अलग उम्र को जीता हूं।

मुझे मेरे जनम की वास्तविक दिन, तारीख और वर्ष याद नहीं, मेरी मां और पिता को भी नहीं, कभी यह मेरे लिए दुख का विषय था लेकिन अब मेरे लिए बहुत ही सकून और सहूलियत भरी बात है। इस बात ने मुझमें से उम्र के डर को खत्म कर दिया है। मैं 26 की उम्र में कभी 56, कभी 46, कभी 60 तो कभी 16 का हो जाता हूं।

कभी- कभी ऐसा लगता है कि मेरी अपनी कोई उम्र ही नहीं है। जिस व्यक्ति से मिलता हूं मैं उसी की उम्र का हो जाता हूं। या यूं कह लो कि उसी की उम्र को ओढ़ लेता हूं। हां, सच कह रहा हूं, मैं एक यात्री हूं और मेरी नज़र में उम्र महज़ एक बहुत हल्का और पतला सा लिबास है। जिसे किसी भी उम्र में, किसी भी तरह से बदल बदल कर पहना जा सकता है।

और मैंने वास्तविक रूप से ऐसा किया है।

शायद, इसलिए मेरे दोस्तों की उम्र में एक बहुत बड़ी विविधता है। मेरे ज्यादातर दोस्त साथ साल से भी ऊपर के हैं, कुछ चालीस से ऊपर के और कुछ कुछ 20 से ऊपर के, और यह लड़की जो मेरे बगल में बैठी है सिर्फ अठारह साल की है। यानि की मेरी वास्तविक उम्र से भी आठ साल छोटी।

कुछ देर पहले हम अजनबी (Meeting strangers) थे। एक दूसरे को जानते तक नहीं थे। मैंने, बस उससे चंद सवाल किए थे। अमूनन जो मैं ज्यादातर लड़कियों से करता हूं। मेरा हाथ उसके हाथ में है। पता नहीं कैसे हम दोनों एक दूसरे के बहुत करीब आ गए हैं। शायद, वह भी अपनी वास्तविक उम्र कहीं खो चुकी है। शायद, वह भी आज मेरी उम्र के कपड़े पहनना अथवा मेरी उम्र को चाहती है।

हरसिल वैली का मौसम पिछले एक महीने में पहली बार बदलने वाला है। चारो तरफ बादल घुमड़ रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि बारिश होगी। अभी अभी उस लड़की ने बताया है कि बारिश बादलों की प्रेमिका है। और मैंने प्रतिक्रिया स्वरूप सिर्फ इतना कहा है कि हम सब प्रकृति के प्रेम में हैं, उसके होंठ चौड़े, थोड़े और चौड़े हुए हैं। अब वह हंस रही है।

हम दोनों के पैर अभी भी नदी में लटके एक दूसरे की अंगुलियों से खेल रहे हैं। हमारी बातें परस्पर लम्बी और गहरी होती जा रही हैं। और हाथों की पकड़ पहले से कहीं ज्यादा सख्त और मजबूत, जबकि हमें पता है कि अगली सुबह के साथ हमारे रास्ते बदल जाएंगे, और हम फिर कभी नहीं मिलेंगे।

कभी नहीं, मतलब कभी नहीं। पर एक कायदे की बात बताऊं- जो लोग जिन्दगी में आपसे सिर्फ एक बार मिलते हैं, वह दुनिया के सबसे ज्यादा खूबसूरत और पवित्र लोग हैं। जब भी मैं ऐसे लोगों (Meeting strangers) से मिलता हूं तो अपनी देह की सारी अपवित्रता को भूल जाता हूं। शायद, इसीलिए हर उम्र की लड़की को एक हमउम्र दोस्त की तरह प्रेम कर पाता हूं।

चलिए, आशा करता हूँ कि ये ब्लॉग आपको पसंद आया होगा। पढ़ने के बाद जब भी आप यात्रा पर निकलेंगे तो इस सुझाव का ख्याल रखेंगे और अपने अनुभव स्ट्रोलिंग इंडिया और अपने इस घुमंतू दोस्त के साथ जरूर बाटेंगे। 

हमसे संपर्क करें : अगर आप कोई सूचना, लेख, ऑडियो-वीडियो या सुझाव हम तक पहुंचाना चाहते हैं तो इस ईमेल आईडी पर भेजें: indiastrolling@gmail.com 

travel writer sanjaya shepherd लेखक परिचय

खानाबदोश जीवन जीने वाला एक घुमक्कड़ और लेखक जो मुश्किल हालातों में काम करने वाले दुनिया के श्रेष्ठ दस ट्रैवल ब्लॉगर में शामिल है। सच कहूं तो लिखने और घूमने के अलावा और कुछ आता ही नहीं। इसलिए, वर्षों से घूमने और लिखने के अलावा कुछ किया ही नहीं। बस घुम रहा हूं।