इसी रेत को देखने, समझने और जानने का आकर्षण मुझे सम सैंड ड्यून्स विलेज जैसलमेर की तरफ लेकर आया था। वैसे तो राजस्थान यात्रा के दौरान बहुत सारी रेत देख ली थी लेकिन इस गांव की बात कुछ अलग है। जैसलमेर आने वाला प्रत्येक पर्यटक सम में फैले रेत के समन्दर में घूमे बगैर वापस नहीं लौटता। सम में सोने के समान दमकते विशाल रेतीले धोरों में इतना आकर्षण है कि ये उनके जेहन में हमेशा के लिए बस जाते है। सम गांव जैसलमेर से 45 किलोमीटर दूर स्थित है। इस गांव के चारों तरफ रेतीले धोरों का साम्राज्य स्थापित है। जैसलमेर से निकलते ही रेत का समन्दर शुरू हो जाता है, जो सम (Sam Sand Dunes) तक पहुंचते और अधिक फैल जाता है।
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रेतीले धोरों की खाशियत
इन रेतीले धोरों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इन पर किसी प्रकार के पौधे नहीं होते। गर्मी के दिनों में यहां चलने वाली तेज आंधियों में ये टीले अपना स्थान बदलते रहते है। अक्टूबर से मार्च के बीच यहां पर हर साल लाखों लोग इन रेतीले धोरों पर घूमने का आनन्द उठाते है। ऊंट पर सवार होकर रेतीले धोरों में सफर की न भूलने वाली यादों को अपने साथ लेकर जाते है।
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जैसलमेर में डूबते सूरज का नजारा
सम में रेतीले धोरों के बीच डूबते सूरज का नजारा अपने आप में अद्भुत होता है। पर्यटकों के लिए रात में यहां ठहरने के लिए कई कैंप लग गए है। यहां लगे टैंट्स में लोग ठहर रेगिस्तान में रात बिताते हैं। विशेष रूप से चांद की रोशनी में ठंडी रेत पर बैठ चमकते रेगिस्तान को निहारने का अनुभव यहां जाकर ही महसूस किया जा सकता है।
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थार का रेगिस्तान जैसलमेर
यह करीब दो लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इसका अधिकांश भाग सीमावर्ती जैसलमेर व बाड़मेर जिलों में फैला है। थार के रेगिस्तान का कुछ हिस्सा पाकिस्तान में है। शेष भारत में है। इसे पूरी दुनिया का सबसे जीवन्त रेगिस्तान माना जाता है। इस रेगिस्तान में सम सबसे कम वर्षा वाला क्षेत्र है।
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थार शब्द की उत्पति कहाँ से हुई
सैम सैंड डयूँस (Sam Sand Dunes) की उत्पति थल से हुई। जिसका अभिप्राय है रेत का टीला। यह रेत 2.5 अरब से 57 लाख वर्ष पुरानी चट्टानों का परिवर्तित रूप है। इस क्षेत्र में डेढ़ सौ मीटर ऊंचे रेतीले टीलों की सतह पर हवा के साथ बहकर आने वाली रेत सोलह लाख साल पुरानी होने के बावजूद सबसे नई मानी जाती है।
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