भारत में जैसे देश में यात्रा के तरह-तरह के तरीके मौजूद हैं। यहां कुछ लोगों को सोलो ट्रैवेलिंग पसंद है तो कुछ लोगों को ग्रुप में यात्रा करना अच्छा लगता है। कुछ लोगों को घूमते वक़्त सिर्फ घूमते रहना पसंद है तो कुछ लोगों को घूमने के साथ-साथ काम करना। यही कारण है कि इस जगह पर आपको हर तरह के यात्री मिल जाते हैं। पिछले दिनों उत्तराखंड यात्रा के दौरान मेरी कुछ ऐसे लोगों से मुलाक़ात हुई जो Responsible Tourism यानि की जिम्मेदार पर्यटन पर काम कर रहे थे।
मेरी सबसे पहली इच्छा यह जानने की हुई की आखिर जिम्मेदार पर्यटन (Responsible Tourism) है क्या ? तो पता चला की पर्यटन के जैसे विविध रूप हैं वैसे ही यह भी एक रूप है जो भारत जैसे देश में बहुत तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।
आखिर इसमें होता क्या है ? सचमुच, यह जानना हमारे आपके लिए ही नहीं बल्कि हर उस इंसान के लिए जरुरी है जो यात्रा करता है। इसे हम इस तरह से समझ सकते हैं कि जब इंसान यात्रा करता है तो अपनी यात्रा के दौरान किसी ना किसी रूप में पर्यावरण को भी प्रभावित करता है। यह प्रभाव पर्यावरण के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक स्तिथि पर भी पड़ता है। जिम्मेदार पर्यटन (Responsible Tourism) सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को कम करता है।
यह स्थानीय लोगों के लिए अधिक आर्थिक लाभ उत्पन्न करता है और मेजबान समुदायों की भलाई को बढ़ाता है।
इस तरह संक्षिप्त में हम कह सकते हैं कि पर्यटन का वह कोई भी रूप जिसे अधिक जिम्मेदार तरीके से उपभोग किया जाये जिम्मेदार पर्यटन (Responsible Tourism) कहलाता है।
जिम्मेदार पर्यटन (Responsible Tourism) क्यों ? लोगों को लगता है कि जब हम हर चीज के लिए पैसे खर्च कर रहे हैं तो जिम्मेदार होने की उन्हें आवश्यकता नहीं है। लेकिन इस तरह की सोच सही नहीं है। हमें जब कोई अधिकार मिलता है तो उसके साथ ही कर्तव्य भी जुड़ जाते हैं और रही बात यात्रा की तो यह अधिकार नहीं, बल्कि विशेषाधिकार है। आप यदि यात्रा कर रहे हैं तो यह एक तरह के विशेषाधिकार का उपयोग कर रहे हैं। इसलिए अपने कर्तव्यों के प्रति आपकी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है।
टिकाऊ और जिम्मेदार पर्यटन (Responsible Tourism) भारत जैसे देश की जरुरत है। हम सब यात्रा के दौरान यदि एक Responsible traveler यानि की जिम्मेदार यात्री की तरह से यात्रा करें तो काफी कुछ बदला जा सकता है।
जिम्मेदार यात्रा (Responsible Tourism) समय की आवश्यकता है। अच्छी बात यह है कि इस बात की आवश्यकता को लोग समझ पा रहे हैं। पर्यटन को देखने-समझने का एक नजरिया विकसित हो रहा है और भारत जैसे देश में यह यात्रा का लोकप्रिय तरीका बनता जा रहा है। यदि आप इस तरीके से अनजान हैं और अभी तक नहीं अपना पाए हैं तो मैं आपको कुछ ऐसी बातें बताऊंगा जो आपको अधिक जिम्मेदार यात्री बनने में मददगार साबित होंगे।
इसके लिए आपको अलग से ज्यादा कुछ करने की जरुरत भी नहीं करनी पड़ेगी। यह अपने घूमने के तरीकों में लाये छोटे-छोटे व्यवहार और बदलाओं से संभव है। आप पर्यावरण के प्रति सचेत रहकर अथवा संस्कृति का सम्मान करके भी अपनी जिम्मेदारी को काफी हद तक निभा सकते हैं। क्योंकि यह वह तरीका है जिससे नैतिक पर्यटन की पहल को बढ़ावा मिलता है।
जिम्मेदार यात्रा (Responsible Tourism) हमें पर्यावरण और हमारे गंतव्यों की स्थानीय संस्कृतियों पर हमारी यात्रा विकल्पों के प्रभाव को ध्यान में रखने के लिए कहती है। एक जिम्मेदार यात्री होने का मतलब है कि आपकी यात्रा का प्रभाव जितना संभव हो उतना कम हो और अपरिहार्य होने पर सकारात्मक हो।
एक जिम्मेदार यात्री बनने के लिए निर्णय लेना जिम्मेदार पर्यटन की दिशा में पहला कदम है। हमने कुछ आसान बिंदुओं को सूचीबद्ध किया है जिसे अपनाकर आप एक जिम्मेदार यात्री बन सकते हैं।
1. हमेशा स्थानीय चीजों को दें बढ़ावा
ज़िम्मेदार यात्रा (Responsible Tourism) को बढ़ावा देने के लिए किसी बड़े होटल में ठहरने की बजाय अगर आप किसी स्थानीय होमस्टे में रुकते हैं तो इससे स्थानीय लोगों के जीवन पर प्रभाव पड़ता है और उनका जीवन स्तर ऊपर उठता है। इसी तरह बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल्स की बजाय वहां के स्थानीय बाजारों में खरीदारी करना, लोकल फ़ूड का स्वाद लेना हमेशा मज़ेदार होता है। लेकिन हम सब स्थानीय चीजों को बढ़ावा देने की बजाय उन लोगों से सर्विस लेते हैं जिनका मकशद सिर्फ पैसा कमाना है। एक जिम्मेदार पर्यटक के तौर पर आप स्थानीय कारीगरों की आजीविका और कौशल का समर्थन करने वाली पहलों का समर्थन कर सकते हैं। इससे आपका कुछ नहीं जायेगा और कुछ ऐसे लोगों की मदद हो जाएगी जिनको सचमुच मदद की दरकार होती है।
2. स्थानीय परंपराओं का करें सम्मान
आप जिस जगह पर भी जाते हैं आपको उस जगह के हिसाब से खुदको ढालने की कोशिश करनी चाहिए। बहुत सारे रीति-रिवाज और स्थानीय परम्पराएं ऐसी होती हैं जो लोगों की जन भावनाओं और धार्मिक आस्था से जुड़ी होती हैं। किसी की आस्था को ढेस पहुंचाये बैगर यात्रा करना भी एक जिम्मेदार पर्यटक (Responsible Tourism) की निशानी होती है। किसी जगह अथवा व्यक्ति की फोटो लेने से पहले अनुमति मांगें। ऐसी जगहें जहां प्रवेश निषेध हो वहां नहीं जाएं। स्थानीय परिवेश के प्रति जागरूक होना जिम्मेदार पर्यटन (Responsible Tourism) का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
3. पर्यावरण को प्रभावित नहीं करें
एक जिम्मेदार पर्यटक के तौर पर आपसे अपेक्षा की जाती है कि आप अपनी यात्रा के दौरान पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचाएंगे। एक आदर्श स्थिति यह होगी कि निजी परिवहन की बजाय हमेशा सार्वजनिक परिवहन के विकल्प को चुने। साइकिल चलाना, पैदल यात्रा करना, साइकिल रिक्शा की सवारी करना जितना पर्यावरण के अनुकूल होता है उतना ही हमारी यात्रा को रोमांचक भी बनाता है। स्थानीय जगहों पर सार्वजानिक बस और टैक्सी सेवा भी रहती है यदि आप इन सबका उपयोग करेंगे तो काफी हद तक जिम्मेदार पर्यटन (Responsible Tourism) के क्षेत्र में योगदान कर सकेंगे।
4. भोजन का अपव्यय नहीं करें
भारत जैसे देश में हर साल पचीस लाख लोग भूख से मर जाते हैं। ऐसे में अगर आप किसी भी रूप में भोजन का अपव्यय कर रहे हैं तो किसी और के हिस्से का खाना बर्बाद कर रहे हैं। हमेशा उतना ही खाना आर्डर करें जितने की वास्तव में आपको जरुरत है। बार-बार पानी की बोतल खरीदने की बजाय एक पानी फिल्टर करने वाली बोतल ले और पानी ख़त्म होने की स्थिति में जहां भी संभव हो, फिर से भर लें। होटल से पूछें कि क्या प्लास्टिक की बोतलों को बार-बार खरीदने से बचने के लिए पानी के फिल्टर हैं। आजकल हर चीज प्लास्टिक में पैक होकर आती है जो पर्यावरण की दृष्टि से काफी नुकसानदायक है। इस चीज को कम करके आप जिम्मेदार पर्यटन (Responsible Tourism) को बढ़ावा दे सकते हैं।
5. वन्यजीव पर्यटन से पहले शोध
एसओएस और टीओएफटी टाइगर्स जैसे कुछ संगठन पर्यावरण के प्रति सजग और विश्वसनीय हैं। लेकिन इस बीच कई ऐसे दिखावटी लोग भी हैं जिनके दिल में जानवरों का कल्याण नहीं है। किसी भी नेशनल पार्क अथवा रिज़र्व सेंटर में जाने से पहले इस बात को सुनिश्चित करें कि वहां जानवरों के साथ किसी तरह की ज्यादती तो नहीं हो रही है। बेवजह जानवरों को परेशान नहीं करें। यदि संभव हो तो किसी भी जानवर की पीठ पर बैठकर सवारी करने जैसी गतिविधियों से बचें। सिर्फ मजे के लिए इस तरह की चीजों को बढ़ावा देना किसी भी स्तर पर जायज नहीं। यह भी Responsible Tourism का अहम पहलू है।
6. जिम्मेदार पर्यटन परियोजनाओं का समर्थन
भारत जैसे देश में जिम्मेदार पर्यटन की मुहीम शुरू हो चुकी इससे सम्बंधित कई तरह का काम किया जाता है। कई ऐसी संस्थाएं हैं जो कि स्थानीय स्तर पर सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय उत्थान के लिए पहले से ही काम कर रही हैं। किसी जगह पर जाते हैं तो ऐसी संस्थाओं के बारे में पता कीजिये। उन जगहों की यात्रा करके या फिर किसी भी अन्य रूप में सहयोग करके आप उन्हें बढ़ावा दे सकते हैं, ऐसा करने से उनको सबल मिलेगा और जिम्मेदार पर्यटन (Responsible Tourism) की अवधारणा को मजबूती मिलेगी।
7. स्वैच्छिक सेवाएं देना
मैंने जैसा की बताया यात्रा अधिकार नहीं एक विशेषाधिकार है, ऐसे में यदि आप इसके बदले में समाज को कुछ वापस दे पाएं तो इससे बड़ी ख़ुशी की बात क्या होगी। हर किसी के अंदर कोई ना कोई कौशल होता है, आपके अंदर भी होगा, उस कौशल का उपयोग आप एक जिम्मेदार यात्री के तौर पर किसी गांव में हैं तो बच्चों को पढ़ाने, जागरूक करने जैसा काम कुछ महीने के लिए कर सकते हैं। पर्यावरण संरक्षण और जिम्मेदार पर्यटन (Responsible Tourism) को बढ़ाना भी आपकी मुहीम का हिस्सा हो सकता है।
08. स्थानीय ट्रेवल एजेंट की सेवा लें
किसी नई जगह पर जाते हैं तो हमें एक ट्रेवल एजेंट या फिर गाइड की जरुरत पड़ती है। बड़े व्यवसाय करने वाली बड़ी-बड़ी कंपनियों की सेवा लेने की बजाय छोटे पैमाने के स्थानीय लोगों को वरीयता दें। स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने की दिशा में स्थानीय लोगों द्वारा संचालित कार्यों का समर्थन जिम्मेदार पर्यटन (Responsible Tourism) की अहम् कड़ी है। इससे आपको किफायती डैम पर अच्छी सेवाएं मिल जाती हैं और उन लोगों की सहायता भी हो जाती है जो वास्तव में जरूरतमंद हैं।
09. अपने अनुभव साझा करें
यात्री स्थानीय लोगों से बहुत से प्रश्न पूछते हैं, लेकिन यह हमेशा एकतरफ़ा होता है, जो की सही नहीं है। यदि आप किसी से उनके स्थानीय रीति-रिवाजों, परम्पराओं और संस्कृतियों के बारे में जानकारी लेते हैं तो आपका दायित्व है कि आप भी इस सम्बन्ध में दुनिया से प्राप्त अपने अनुभवों को उनसे साझा करें। आपके अनुभवों से वह काफी कुछ जान पाएंगे और अच्छी बातों को आत्मसाद करने की भी कोशिश करेंगे।
10. किसी को कमतर ना आंके
स्थानीय लोगों को जब आप अपनी संस्कृति के बारे में बता रहे हैं, तो उत्कृष्टता का प्रदर्शन नहीं करें। आमतौर पर देखा जाये तो आपकी और उनकी दुनिया बेहतर या बदतर नहीं है, बस अलग है। एक उदहारण के तौर देखें तो गांवों की तुलना में शहरों में अधिक बिजली, दुकानें और खाद्य विविधता है, लेकिन ये पर्यावरण को भी काफी प्रभावित कर रहा है। इसी तरह गांवों में शहरों की तुलना में शुद्ध हवा, पानी और जैव विविधता है, लेकिन सुविधाएं सीमित हैं।
यह रहे कुल दस बिंदू, इसी तरह से अनेक ऐसी छोटी-बड़ी बातें हैं जिनको अपनाकर आप अपनी यात्रा से होने वाले प्रभाव को कम कर सकते, और एक जिम्मेदार यात्री (Responsible Tourism) बन सकते हैं।
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