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पर्यटन स्थल

राजगीर : सात पहाड़ियों से घिरी एक खूबसूरत घाटी

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बिहार में प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर प्राचीन पौराणिक और ऐतिहासिक स्थलों की लंबी श्रृंखला है जो भारत ही नहीं देश विदेश के सैलानियों को अपनी तरफ खींचती है। मुझे अपनी बिहार यात्रा के कई पड़ावों को पार करने के पश्चात् पटना के दक्षिण-पश्चिम दिशा में सौ किमी की दूरी पर स्थित मुझे एक ऐसी ही जगह के बारे में पता चला जो दुनिया भर में राजगीर (Rajgir Bihar) के नाम से प्रसिद्ध है।

राजगीर (Rajgir Bihar) एक घाटी में बसी बेहद ही खूबसूरत जगह है, जो छठगिरि, रत्नागिरी, शैलगिरि, सोनगिरि, उदयगिरि, वैभरगिरि एवं विपुलगिरि जैसी सात पहाड़ियों और घने जंगलों से मिलकर बनी है। इन पहाड़ियों की खूबसूरती बहुत ही अलहदा है, यहां स्थित हर पहाड़ी पर जैन, बौद्ध या हिन्दू धर्म से संबंधित मंदिर है।

यही कारण है कि राजगीर (Rajgir Bihar) को तीन धर्मों का तीर्थ कहा जाता है।

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राजगीर जिले को प्राचीन काल में राजगृह के नाम से जाना जाता था। पाटलीपुत्र के गठन से पहले राजगीर मगध महाजनपद की राजधानी था और इसका अपना पौराणिक और गौरवशाली इतिहास रहा है। भगवान गौतम बुद्ध व महावीर ने यहां आकर अपने धार्मिक उपदेश व व्याख्यान दिये हैं। राजगीर में सोन भंडार गुफा भी है ‍जिसके बारे में यह किंवदंती आम है कि इसमें बेशकीमती खजाना छुपा हुआ है जिसे आज तक कोई नहीं खोज पाया है। 

राजगीर बिहार (Rajgir Bihar) का पौराणिक तीर्थस्थल है, कुछ लोग इसे धर्म और खूबसूरती का संगम कहते हैं।

राजगीर के प्रसिद्द पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र सोन भंडार, मगध राजा जरासंध का अखाड़ा, गर्म जल के कुण्ड जिसमे ब्रह्म कुण्ड और मखदूम कुण्ड दो प्रसिद्द कुण्ड हैं। इसी जगह पर वह विश्व शांति स्तूप भी स्थित है जहां गौतम बुद्ध ने सैकड़ों वर्षों पूर्व अपने अनुयायियों को सीख दी थी। बोधगया से राजगीर भगवान बुद्ध जिस मार्ग से आए नालंदा, पावापुरी, राजगीर और बोधगया एक कड़ी में स्थित बिहार के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। 

कुछ लोगों का कहना है कि पहले यहां सरस्वती नदी भी बहती थी लेकिन मुझे इस बात का कोई भी ठोस प्रमाण नहीं दिखा।

पौराणिक सन्दर्भों से पता चलता है कि जैन धर्म में 11 गंधर्व हुए और उन सभी का निर्वाण राजगीर (Rajgir Bihar) में हुआ। भगवान महावीर ने ज्ञान प्राप्ति के बाद पहला उपदेश इस जगह पर स्थित विपुलगिरि पर्वत पर दिया था। राजगीर के आस-पास की पहाड़‍ियों पर 26 जैन मंदिर बने हुए हैं, पर वहां पहुंचने का रास्ता अत्यंत दुर्गम है।  

भगवान बुद्ध भी रत्नागिरि पर्वत के ठीक बगल में स्थित गृद्धकूट पहाड़ी पर उपदेश देते थे। इस पहाड़ी पर उस स्थल के अवशेष अभी भी मौजूद हैं। बुद्ध के निर्वाण के बाद बौद्ध धर्मावलंबियों का पहला सम्मेलन वैभारगिरि पहाड़ी की गुफा में हुआ था। इसी सम्मेलन में पालि साहित्य का उम्दा ग्रंथ ‘त्रिपिटक’ तैयार हुआ था।

इस जगह पर सामान्यतौर पर ज्यादातर सैलानी प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय देखने आते हैं। लेकिन आपके पास अगर पर्याप्त समय है तो आप राजगीर (Rajgir Bihar) और इसके आसपास के ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के स्थलों को भी जानने का प्रयास करें। यह जगह आपको कभी भी निराश नहीं करेगी।

इस जगह पर आकर आप सप्तपर्णि गुफा, मणियार मठ, बिम्बिसार की जेल, नौलखा मंदिर, घोड़ाकटोरा डैम, तपोवन, जेठियन बुद्ध पथ, वेनुवन, वेनुवन विहार, जापानी मंदिर, रोपवे, बाबा सिद्धनाथ का मंदिर, जैन मंदिर, सुरक्षा दीवार, सामस स्थित तालाब और तेल्हार की भी सैर कर सकते हैं। 

राजगीर (Rajgir Bihar) में खाने पीने और रहने के लिए पर्याप्त संख्या में होटल और रेस्टोरेंट मौजूद हैं।

इस जगह पर अगर आप आना चाहते हैं तो पटना एवं दिल्ली से सीधी रेल सेवा यात्रियों के लिए उपलब्ध है। निकटतम हवाई अड्डा पटना राजगीर से करीब 107 किमी की दूरी पर है। बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम अपने पटना स्थित कार्यालय से टूरिस्ट बस एवं टैक्सी सेवा भी यात्रियों के लिए उपलब्ध करवाता है जिसके जरिए आसानी से राज‍गीर पहुंचा जा सकता है।

travel writer sanjaya shepherd लेखक परिचय

खानाबदोश जीवन जीने वाला एक घुमक्कड़ और लेखक जो मुश्किल हालातों में काम करने वाले दुनिया के श्रेष्ठ दस ट्रैवल ब्लॉगर में शामिल है। सच कहूं तो लिखने और घूमने के अलावा और कुछ आता ही नहीं। इसलिए, वर्षों से घूमने और लिखने के अलावा कुछ किया ही नहीं। बस घुम रहा हूं।