Palitana Temples: गुजरात के भावनगर ज़िले में स्थित पालीताना देश के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में गिना जाता है। यह जैन धर्म का एक बहुत ही विशाल तीर्थस्थान है। पालीताना को अपनी ख़ूबसूरत पहाड़ियों और नदी तलहटी के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। यह नगर अपने आपमें धार्मिक रूप से काफ़ी समृद्ध है। यह अपनी धार्मिक मान्यता और आस्था के लिए पूरे देश में विख्यात है। पालीताना देश ही नहीं बल्कि दुनिया का पहला ऐसा शहर है जिसे कानूनी रूप से शाकाहारी होने का दर्जा मिला।
अपने जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध पालीताना (Palitana) का सबसे बड़ा आकर्षण शत्रुंजय पहाड़ी का होना है। शत्रुंजय पहाड़ी की तलहटी से होकर ही शत्रुंजय नदी बहती है। शत्रुंजय पहाड़ी पर मंदिरों की जो बसावट है वह बहुत ही अद्भुत है, इस छोटी सी पहाड़ी के शिखर पर सैकड़ों जैन मंदिरों का होना इसे पूरी दुनिया में ऐतिहासिक और विशिष्ट महत्व दिलाता है। लेकिन सवाल यह है कि आख़िर इन प्राचीन मंदिरों को बनवाया किसने था? जोकि अभी भी नए आने वाले सैलानियों के लिए रहस्य बना हुआ है।
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900 साल पहले हुआ था मंदिरों का निर्माण
कई वैज्ञानिक साक्ष्यों और सन्दर्भों से इस बात का प्रमाण मिलता है कि पता चलता है कि पालीताना (Palitana) की शत्रुंजय पहाड़ी पर बने यह मंदिर काफी पुराने हैं और इनका निर्माण 900 साल पहले करवाया गया था। जिसकी वजह से यह जगह काफ़ी महत्वपूर्ण मानी जाती है। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि इस जगह पर जैन धर्म के संस्थापक आदिनाथ ने तपस्या की थी। इस स्थल पर वर्तमान में एक मंदिर आज भी देखा जा सकता है जो आदिनाथ का है। इस मंदिर के परिसर में एक मजार भी स्थित है जो मुस्लिम संत अंगार पीर की बताई जाती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि संत अंगार पीर ने मुगलों से इस पहाड़ी की रक्षा की थी।
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शत्रुंजय पहाड़ी का धार्मिक महत्व
गुजरात के ऐतिहासिक नगर पालीताना (Palitana) के निकट स्थित शत्रुंजय पहाड़ी को यहाँ की पांच पहाड़ियों में सबसे अधिक पवित्र माना गया है। इस पहाड़ी को धार्मिक आस्था का केंद्र माना जाता है जिसपर कई जैन मन्दिर स्थित हैं। विविध तीर्थकल्प जोकि एक बहुत ही पवित्र जैन ग्रन्थ है, में शत्रुंजय के सिद्धिक्षेत्र, मरुदेव, तीर्थराज, भगीरथ, महस्रपत्र, विमलाद्रि, कदम्ब, सहस्रकाल, तालभज, नगाधिराजध, शतपत्र, अष्टोत्तरशतकूट, सहस्रपत्र, धणिक, सिद्धिशेखर, लौहित्य, कपर्दिनिवास, सिद्धिपर्वत, मुक्तिनिलय और पुंडरीक जैसे नाम दिए गए हैं।
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मंदिर और शत्रुंजय के पांच शिखर
पालीताना (Palitana) में स्थित शत्रुंजय पहाड़ी के पांच शिखर बताए गए हैं। ऐसा कहा जाता है कि 24 जैन तीर्थकरों में से 23 लोग इस पर्वत पर आए थे। इन तमाम तरह के मंदिरों का निर्माण उन्होंने ही कराया था। महाराजा बाहुबली ने मरुदेव के मन्दिर का निर्माण कराया था। इस स्थान पर पार्श्व और महावीर के मन्दिर भी स्थित हैं। कहा जाता है कि नीचे की तरफ़ इस जगह पर नेमीदेव का भी एक मन्दिर स्थित था। इस जगह पर मौजूद युगादिश के मन्दिर का जीर्णोद्वार मंत्रीश्वर बाणभट्ट ने किया था।
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सूर्यास्त के बाद रहने की अनुमति नहीं
इस मंदिर के शिखर पर सूर्यास्त होने के बाद किसी को भी रूकने की इजाज़त नहीं है। ऐसी मान्यता है कि सूर्य के ढलने के बाद इस जगह पर केवल देव साम्राज्य ही रुकता है। इसलिए, इस बात का विशेष ख़्याल रखा जाता है और वहाँ कोई नहीं जाता है। लेकिन दिन के समय तो इस जगह पर हर कोई जा सकता है। इन मंदिरों पर की गई नक़्काशी को देखकर कोई भी मोहित हो सकता है। इस जगह की मूर्तिकला पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। 11 वीं शताब्दी में बने इन मंदिरों की रौनक़ आज भी नहीं कम हुई है।
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पालीताना के मन्दिरों की नक़्क़ाशी
पालीताना (Palitana) के मन्दिरों की वास्तुकला और इनमें हुई नक़्क़ाशी बहुत ही उत्तम कोटि का है। इन मंदिरों को देखने पर संजीदगी का अहसास होता है, इनकी दीवालों पर की गई कारीगरी सजीव सी लगती है। इस जगह पर स्थित जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का मंदिर पालीताना का सबसे प्रमुख मंदिर है। इस और मंदिर चौमुखा को अपनी भव्यता के लिए जाना जाता है। यह मंदिर इस क्षेत्र का सबसे बड़ा और प्राचीन मंदिर है। इनके अलावा कुमारपाल, मिलशाह और समप्रति राज मंदिर भी पालीताना के अंतर्गत की आते हैं जोकि इस जगह के महत्व को और भी ज़्यादा बढ़ा देते हैं।
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अध्यात्म और शांति के लिए करें यात्रा
मानसिक शांति और सकून के लिए सबसे अच्छा विकल्प होता है नई-नई जगहों की यात्रा करना। अगर यात्रा किसी ऐसे जगह की हो जो शांति और सकून के लिए ही जानी जाती हो तो फिर क्या कहना। पालीताना (Palitana) एक ऐसी ही जगह है, इस जगह पर आकर आपको धर्म और अध्यात्म के साथ साथ मानसिक सुख और शांति की अनुभूति होगी। शत्रुंजय पहाड़ी की यात्रा का जो सुखद अनुभव है उसे वही लोग महसूस कर सकते हैं जो लोग वहाँ पर जाते हैं। इसलिए, एक बार इस जगह पर ज़रूर जायें।
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