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पर्यटन स्थल

किसी सपने से कम नहीं भारत के नार्थ-ईस्ट का सफर

North Eastern India

भारत का पूर्वोत्तर (North Eastern India) अपार प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर हमारे देश का कुल आठ फीसदी भौगोलिक क्षेत्र घेरता है और घुमक्कड़ों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है। अरुणाचल, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा चाहे कोई भी राज्य हो हर जगह पर अपार संसाधन, ऊपजाऊ कृषि भूमि और अकूत मानव पूंजी मौजूद है। इन सबके बावजूद यह क्षेत्र भौगोलिक दृष्टि से देश के बाकि हिस्सों से अलग-थलग है। शायद इसीलिए पर्यटकों का ध्यान अपनी तरफ खींचता है। नार्थईस्ट घूमने की जिज्ञासा शायद ही कोई हो जिसके मन में नहीं हो। मेरी यह जिज्ञासा वर्षों से रही और जैसे ही मौका मिला अपना बैकपैक बनाया और पूर्वोत्तर की खूबसूरत यात्रा पर निकल पड़ा। मैंने इन जगहों पर पंद्रह दिन से भी ज्यादा वक़्त बिताया और पूर्वोत्तर के विभिन्न स्थानों पर जाकर स्थानीय संस्कृति, रहन-सहन और जीवन को समझने की कोशिश की और पाया कि यहां की आबोहवा और पहाड़ी खूबसूरती किसी का भी दिल जीत सकती है।

अगर आप घूमने के शौक़ीन हैं तो कम से कम एक बार आपको पूर्वोत्तर भारत (North Eastern India) की यात्रा जरूर करना चाहिए। इस ब्लॉग में कुछ ऐसी जगहों के बारे में मैं आपको बताने वाला हूं जहां जाकर आपको अच्छा लगेगा और आप यहां की प्राकृतिक बहुलता को अच्छी तरह से जान पाएंगे।

गंगटोक : सिक्किम की धड़कन

सिक्किम की राजधानी गंगटोक में घूमने और देखने के लिए काफी कुछ है। यह राज्य का सबसे बड़ा शहर होने के साथ-साथ पर्यटन की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है। इस जगह पर प्राकृतिक रूप से समृद्ध पर्यटन स्थलों को घूमने के साथ-साथ बादलों से आंख-मिचौली करना काफी अच्छा लगता है। गंगटोक पूर्वी हिमालय पर्वत माला पर शिवालिक की पहाड़ियों के ऊपर स्थित है। इस जगह से दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी कंचनजंगा पर्वत का शानदार दृश्य दिखाई देता है। यहां आप प्रकृति की खूबसूरती को करीब से महसूस कर सकते हैं। इस जगह की सबसे महत्वपूर्ण जगहों में त्सोमो झील, बान झाकरी, ताशी व्यू पॉइंट का नाम शामिल है। गंगटोक वाइट वाटर राफ्टिंग के लिए भी पूरी दुनिया में जाना जाता है। 

गंगटोक के अलावा सिक्किम में जुलुक, सोमगो झील और रवंगला जैसी कई जगहें हैं, जहां घूमना आपको अच्छा लगेगा।

पेलिंग : एक शान्त शहर

सिक्किम में एक छोटा सा कस्बा है पेलिंग जिसका नाम शायद ही आपने सुना हो लेकिन यह एक ऐसी जगह है जहां से कंचनजंघा और हिमालय पर्वत श्रंखला का खूबसूरत नजारा दिखाई देता है। समुद्र सतह से 2150 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह सिक्किम के सबसे शांत और खूबसूरत इलाकों में से एक माना जाता है। बर्फ़ से ढंके हुए पहाड़ और पहाड़ों की चोटियों से दिखने वाले विहंगम दृश्य इस जगह को खूबसूरत बनाने का कार्य करते हैं। पेलिंग का समृद्ध इतिहास और संस्कृति इसे गंगटोक के बाद सिक्किम का सबसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल होने का दर्जा दिलाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि शुरू में पेलिंग जंगलों से भरा जैव विविधताओं वाला एक समृद्ध इलाका था जिसमें कई जानवरों का बसेरा था।

दो बौद्ध मठों पेमयांग्स्ते और संगाचोलिंग के बीच में होने की वजह से इस जगह का प्रभाव बढ़ा और यह एक समृद्ध पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हुआ।

दार्जिलिंग : भारत में चाय का स्वर्ग

हिमालय की हसीन और खूबसूरत वादियों का सही अंदाज़ में लुत्फ उठाना है तो दार्जिलिंग से अच्छा भला क्या हो सकता है। यह नार्थईस्ट (North Eastern India) का सबसे पॉप्युलर हिल स्टेशन है जो अपने चाय के बागानों के लिए प्रसिद्ध है। इस जगह पर हजारों लोग सिर्फ चाय के खूबसूरत बागानों को देखने की इच्छा लिए घूमने आते हैं। दार्जलिंग अपनी प्राकृतिक खूबसूरती, टॉय ट्रेन, पीस पेगोडा जैसी जगहों से अपने मोहपाश में सभी को बांधने की क्षमता रखता है। जिसकी वजह से भारतीय सिनेमा भी इस तरफ मेहरबान दिखाई देता है। आपने फिल्मों में तो आपने दार्जिलिंग को कई बार देखा होगा। हॉलीवुड की भी एक फिल्म में विश्व प्रसिद्ध दार्जिलिंग हिमालियन रेलवे को दिखाया गया है। देखा जाए तो लघु हिमालय पर्वत श्रृंखला में बसा दार्जिलिंग वास्तव में स्वर्ग सरीखा है।

दार्जिलिंग शहर ब्रिटिश शासनकाल से ही पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता रहा है। यहां के विशाल चाय बागान और गुणवत्तापूर्ण चाय की लोकप्रियता पूरे विश्व में है।

त्वांग : बौद्ध मठों का शहर

अरुणाचल प्रदेश का यह शहर एक प्राचीन और अछूता पर्यटन स्थल है। इस जगह पर आपको प्रकृति के अद्भुत रंग देखने को मिलेंगे। हरे भरे जंगल, बर्फ की चोटियों और कई दर्राएं से होकर आपका सफर शुरू होगा। अनेक पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा तवांग इसके अलावा अपने यहां स्थित बौद्ध मठों के लिए भी जाना जाता है। इस जगह पर आपको अनेक सुरम्य बौद्ध मठ देखने को मिल जायेंगे। इस जगह पर पहुंचने के लिये आपको अनेक पर्वतों को लांघते हुए तरह-तरह के टेढ़े मेढ़े पहाड़ी रास्तों और घुमावदार दर्राओं से होकर गुजरना पड़ता है जिसमें एक सेला पास भी है, जो दुनिया के सबसे उंचा मोटरेबल रोड है। बौद्ध उपासना और गोंपा के रंगीन फहरते ध्वजों का दृश्य, इस पूरे परिदृश्य को जीवंत कर देते हैं।

इस जगह से जनजातीय समुदायों द्वारा बनाई हस्तशिल्प की अनोखी वस्तुएं खरीद सकते है। इन वस्तुओं को बनाने में यहां की सदियों पुरानी दस्तकारी और कौशल का इस्तेमाल किया जाता है।

लाचुंग : पृथ्वी पर स्वर्ग

गंगटोक से लगभग 120 किलोमीटर दूर सुंदर, एकदम स्वच्छ झरनों, बर्फ से ढके पहाड़ों और आड़ू, खुबानी और सेब के बागों से घिरा यह पहाड़ी गांव समुद्र ताल से तक़रीबन 8,858 फीट की ऊंचाई पर सिक्किम में स्थित लाचुंग, लाचेन और लाचुंग नदियों के किनारे पर स्थित है। साहसिक पर्यटन के प्रेमियों और रोमांच पसंद करने वालों के लिए यह एक अद्भुत जगह है। इस जगह पर ज्यादातर लोग ट्रैकिंग और स्नो स्पोर्ट्स के लिए आते हैं। इस जगह पर आपको प्रकृति का विविधतापूर्ण नजारा देखने को मिलेगा।  ज़ीरो पॉइंट का लोकप्रिय ट्रैकिंग गंतव्य लाचुंग के प्रमुख आकर्षणों में से एक है, यहां आप मनोरम वातावरण के विस्तृत दृश्य देख सकते हैं। माउंट काटो की ढलानें, स्कीइंग, स्नोबोर्डिंग और स्नोट्यूबिंग के लिए लोकप्रिय हैं। लाचुंग में होने वाले उत्सव इसे जीवंत बनाते हैं।

सागा दाव त्योहार यहां के सबसे महत्वपूर्ण बौद्ध त्योहारों में से एक, यह भगवान बुद्ध के जीवन के तीन प्रमुख चरणों को दर्शाता हैः जन्म, ज्ञान और मृत्यु।

उमियम लेक : शिलॉन्ग की जान

मेघालय को बादलों का घर कहा जाता है। साथ ही साथ यह पूर्वोत्तर के कई प्राकृतिक स्थलों का भी घर है। खूबसूरत घाटियों, शांत झीलें, घने जंगलों से परिपूर्ण मेघालय निश्चित रूप से पृथ्वी पर एक स्वर्ग है। मेघालय में स्थित उमियम झील का नाम भले ही आपने इस लेक का नाम न सुना हो, लेकिन शिलॉन्ग की यह जान है। यह झील काफी खूबसूरत और सैलानियों की पहुंच से दूर मन मोह लेने वाली झील है, जोकि धीरे-धीरे स्थानीय निवासियों और पर्यटकों के बीच लोकप्रिय हो रही है। ये झील उन पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय है, जो नई जगहें देखने और घूमने के शौक़ीन हैं, अपना समय शांत और एकांत जगह पर बिताना चाहते हैं। इस जगह पर दूर-दूर तक फैली वादियां आपको रोमांच से भर देंगी।

अगर आप नई जगहें देखने और घूमने के शौक़ीन है, तो मेघालय के इस छिपी हुई झील को देखने का मौका बिलकुल भी नहीं चुके। यह आपके लिए अलहदा अनुभव होगा।

गुवाहाटी : पूर्वोत्तर भारत का प्रवेश द्वार

असम के सबसे बड़े शहर गुवाहाटी को पूर्वोत्तर भारत का प्रवेश द्वार कहा जाता है। ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे पर स्थित यह शहर प्राकृतिक सुंदरता से ओत-प्रोत है। इस जगह पर आपको भरपूर प्राकृतिक वातावरण मिलेगा। यहां न सिर्फ असम, बल्कि पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र की विविधतापूर्ण संस्कृति की झलक साफ तौर पर देखी जा सकती है। इस जगह पर सैलानियों का आना जाना पूरे साल लगा रहता है, तरह-तरह के लोगों के पहुंचने से संस्कृति, व्यवसाय और धार्मिक गतिविधियों का केन्द्र गुवाहाटी बेहद रंगीन हो उठता है। इस जगह पर दशकों से विभिन्न नस्ल, धर्म और क्षेत्र के लोग रहते आए हैं, जिससे यह जगह विविधताओं से भरा पड़ा है। गुवाहाटी के समृद्ध इतिहास से पता चलता है कि इसे पहले प्रागज्योतिषपुर के नाम से जाना जाता था, जिसका अर्थ है- पूर्व का प्रकाश।

महाभारत में इस बात का उल्लेख है कि प्रागज्योतिषपुर एक असुर राजा नरकासुर की राजधानी हुआ करता था। मुगलों ने कई बार असम पर आक्रमण किया पर हर बार उन्हें मुंह की खानी पड़ी।

चेरापूंजी : छोटी-छोटी नदियों समंदर

‘चेरापूंजी’ नाम का अर्थ संतरों की भूमि है। इसका केवल एक मौसम है-मानसून। यह धरती पर सबसे ज्‍़यादा बरसाती स्थानों में आता है, सबसे भारी वर्षा मई-सितंबर में होती है और इस दौरान चेरापूंजी छोटी-छोटी नदियों का एक समंदर बन जाता है। दिलचस्प बात यह है कि ज़्यादातर बारिश रात में होती है और मौसम की वजह से दिन के कामकाज में रुकावट अथवा किसी तरह की बाधा नहीं आती। एक पर्यटक के तौर पर इस जगह पर घूमने के साथ-साथ खिड़कियों से बाहर देखते हुए बारिश के मधुर संगीत का मज़ा लिया जा सकता है। घर की छतों से टकराने वाली बरसात की बूंदों से फूटता संगीत बारिश की मधुर ध्वनि उत्पन्न है जिसमें खोया जा सकता है। भारी-भरकम बरसात रुकने के बाद यहां की वनस्पतियां प्रकृति की पीली रंगत ओढ़ लेती हैं।

यह आश्चर्यजनक स्थान धुंध भरी वादियों के बीच, उफनती नदियों और घने बादलों से घिरा है। इसकी नैसर्गिक सुंदरता और बारहमासी धुंध इसे शहर के शीर्ष पर्यटन स्थलों में से एक बनाती है।

आइजोल : हाइलैंडर्स की भूमि

आइज़ोल एक सुंदर शहर है जो खड़ी पर्वत श्रेणियों, पहाडि़यों और घाटियों के बीच फैला हुआ है और पूर्वोत्तर भारत के आठ राज्यों में से एक मिज़ोरम की राजधानी है। सदियों पुराना यह शहर उत्तर में दुर्तलैंग की राजसी चोटियों से घिरा हुआ है। इस जगह पर प्रकृति ने अपने कई खूबसूरत रंग बिखेरे है। आइजोल से होकर बहने वाली तलौंग नदी आइज़ोल की सुंदरता को बढ़ाती है। पर्यटन के नक़्शे पर आने के बाद आइज़ोल को एक तेज़ी से बढ़ते हुए शहर की संज्ञा दी जा सकती है। प्रदेश की राजधानी और तेज़ी से बढ़ते हुए शहर के तौर पर ही इसका संरचनात्मक विस्तार आज की प्राथमिक आवश्यकता है। मिज़ो की भूमि मिज़ोरम का शाब्दिक अर्थ है मिज़ो की भूमि जबकि मिज़ो का अर्थ है हाइलैंडर्स। देश के सबसे छोटे राज्यों में से एक, मिज़ोरम की अंतराष्ट्रीय सीमाएँ म्यांमार और बांग्लादेश से मिलती हैं जबकि इसकी अंतर-राज्य सीमाएं असम, त्रिपुरा और मणिपुर से मिलती हैं।

1987 में राज्य घोषित किए जाने से पहले यह एक केंद्र शासित प्रदेश था। ऐसा माना जाता है कि मिज़ो मूल रूप से मंगोलियाई हैं और सदियों से इन पहाडि़यों में रह रहे हैं।

एंट्री के लिए खास परमिशन

नॉर्थ ईस्ट (North Eastern India) में घूमने के लिए कई सारी खूबसूरत जगहें हैं लेकिन यहां जाना देश के बाकि हिस्सो जितना आसान नहीं। इसकी वजह है यहां रहने वाली आदिवासी जनजातियां। साथ ही भूटान, चीन और म्यांमार देशों की सीमा भी इनसे लगी हुई है इसलिए यहां के ज्यादातर शहरों में एंट्री के लिए आपको खास परमिशन लेनी पड़ती है। विदेशियों को मिज़ोरम, मणिपुर और नागालैंड में घूमने के लिए किसी तरह की परमिशन लेने की जरूरत नहीं पड़ती सिर्फ अरूणाचल प्रदेश और सिक्किम के लिए के लिए परमिशन चाहिए होता है। पहुंचने के 24 घंटे के अंदर फॉरेनर रजिस्ट्रेशन ऑफिस में खुद को रजिस्टर कराना होता है। जबकि बांग्लादेश और चीन के नागरिकों पर ये नियम लागू नहीं होता।, उन्हें डायरेक्ट मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स से अप्रूवल की जरूरत पड़ती है।

नॉर्थ ईस्ट कैसे पहुंचे ?

नॉर्थ ईस्ट (North Eastern India) देश के बाकि हिस्से से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इस जगह पर जाने के लिए सड़क, रेल और हवाई मार्ग जैसी हर तरह की परिवहन की सुविधाएं मौजूद हैं। आप अपनी सुविधा और पसंद के हिसाब से किसी भी माध्यम का चुनाव कर सकते हैं। ट्रेन और हवाई जहाज से नॉर्थ ईस्ट जाना आपके लिए ज्यादा सुविधाजनक रहेगा।

नॉर्थ ईस्ट में कहां ठहरे ?

नॉर्थ ईस्ट (North Eastern India) में आपको होटल और होमस्टे की उपलब्धता आसानी से हो जाती है। आप पहले से ऑनलाइन या फिर वहां जाकर अपने होटल की बुकिंग कर सकते हैं। बुकिंग डॉट काम जैसी कुछ साइट्स ऐसी हैं जहां आपको एडवांस में कोई पैसा नहीं देना पड़ता और आपकी बुकिंग कन्फर्म हो जाती है। नार्थ ईस्ट के खाने का अपना एक अलग ही मिजाज है। आपको हर रोज़ नए नए व्यंजन चखने का मौका मिलेगा। इस जगह पर आपको खानेपीने की किसी तरह की असुविधा नहीं होगी। होटल और रेस्ट्रा में खाने के अलावा यहां का स्ट्रीट फ़ूड काफी लाजवाब होता है जिसे आप पसंद करेंगे। आप किसी भी गली नुक्कड़ से आप सस्ते दामों में स्ट्रीट फ़ूड को चख सकते हैं, जोकि खाने में बेहद लजीज होता है। नार्थ ईस्ट (North Eastern India) स्ट्रीट फ़ूड सिर्फ मोमों और नूडल्स तक ही सीमित नहीं है, बल्कि आप यहां विविधतापूर्ण व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं। बस इस बात की जानकारी रखनी होगी कि कौन से क्षेत्र में कौन सा स्ट्रीट फ़ूड खाया जाता है।

दोस्तों, आशा करता हूं कि यह लेख आप लोगों को पसंद आया होगा। मेरी कोशिश हर दिन आपको कुछ नया देने की रहती है। आपको लेख पढ़कर कैसा लगा स्ट्रोलिंग इंडिया और अपने इस घुमंतू दोस्त के साथ जरूर बाटें।

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travel writer sanjaya shepherd लेखक परिचय

खानाबदोश जीवन जीने वाला एक घुमक्कड़ और लेखक जो मुश्किल हालातों में काम करने वाले दुनिया के श्रेष्ठ दस ट्रैवल ब्लॉगर में शामिल है। सच कहूं तो लिखने और घूमने के अलावा और कुछ आता ही नहीं। इसलिए, वर्षों से घूमने और लिखने के अलावा कुछ किया ही नहीं। बस घुम रहा हूं।