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मार्गदर्शन

हिप्पी संस्कृति का रंग, नशा और मैकलोडगंज

Mcleodganj travel guide

मैकलोडगंज हिमाचल प्रदेश का बहुत ही प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। युवाओं के बीच यह अपने हिप्पी कल्चर के लिए काफी पसंद है। लोग इस जगह पर जाकर कैफ़े कल्चर और हिप्पी म्यूजिक का भरपूर मज़ा लेते हैं। इस जगह पर विदेशी सैलानी भी खूब आते हैं। कइयो के तो अपने कैफ़े हैं। विदेशी सैलानियों को हिमाचल के नदी पहाड़ बहुत ज्यादा आकर्षित करते हैं। एक तरह से आप कह सकते हैं कि यह जगह ब्रिटिश और तिब्बतियन कल्चर का मिक्सचर है। ऐसे ही बहुत कुछ है जिसे मैं आपको मैकलोडगंज (Mcleodganj) ट्रैवेल गाइड के जरिये बताने वाला हूं। इस जगह के बारे में जानने के लिए इस ब्लॉग को जरूर पढ़िए।

मेरा निजी अनुभव, मैकलोडगंज

मैं कभी सोचकर मैकलोडगंज (Mcleodganj) नहीं गया। हां, पर आसपास की जगहों को घूमते हुए पहुंच गया। एक नहीं चार-पांच बार पहुंचा और मुझे अपने रंग में खोया यह शहर बहुत ही खूबसूरत लगा। एक बार धर्मशाला गया था तो मुझे पटना की एक लड़की मिल गई बोली चलो मैकलोडगंज चलते हैं। मैंने कहा मैं चलकर क्या करूंगा ? बोली माल फूंकना है। बात 2013 की है उस वक़्त तक मुझे मालूम नहीं था कि माल फूंकना क्या होता है। पर लड़की का साथ अच्छा लगा तो चला गया।

मैकलोडगंज (Mcleodganj) धर्मशाला के ऊपर स्थित है। इस जगह को लोग अपने-अपने तरीके से परिभाषित करते हैं। कुछ लोग इस जगह को तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के घर होने के लिए दुनिया भर में जानते हैं। कुछ लोग यहां की यहां पर बसी तिब्बती कॉलोनी और तिब्बती संस्कृति की वजह से जानते हैं। कुछ लोग यहां फैली चारो तरफ की हरियाली और प्राकृतिक वातावरण के लिए अपनी छुट्टियां मानने चले आते हैं।

मैं इस जगह को घुमक्कड़ी की वजह से जानता हूं। यह जगह एक घुमक्कड़ को वह सबकुछ देती है जो उसे चाहिए होता है। एक अच्छा और खुला माहौल, दुनिया भर से आये बेफिक्र, बेपरवाह लोग, विविधतापूर्ण जगहें, मिश्रित कल्चर। यह सब यहां आपको मिलता है। इतना ही नहीं साथ ही साथ आपको इस जगह पर कई अन्य चाह भी पूरी हो जाती है, जिसकी वजह से यह जगह कुछ ज्यादा ही फेमस या फिर बदनाम है।

आपके लिए मैकलोडगंज क्या है ?

आपके लिए मैकलोडगंज (Mcleodganj) के क्या मायने हैं ? आप इस जगह को किसी रूप में देखते हैं वह इस जगह पर आकर ही पता चलेगा। नहीं तो इस मैकलोडगंज ट्रैवेल गाइड को पूरा पूरा पढ़ जाइये। सच मानिये यह पूरी तरह से धर्म और संस्कृति का शहर है। आप जब इसकी तह में जायेंगे तो आपको पता चलेगा की दुनिया के कुछ सबसे प्रसिद्ध मैथ मैकलोडगंज में हैं। मैकलोडगंज में स्थित नामग्याल और त्सुगलाखंग मठ धार्मिक रूप से काफी महत्वपूर्ण मैथ हैं और दुनिया भर के लोग इन मठों में आते हैं।

कैफ़े कल्चर इस जगह पर भरपूर है। यदि आप खानेपीने के शौक़ीन हैं तो आपको इस जगह पर बहुत सारे विकल्प मिल जायेंगे। रहने के लिए होटल हैं, हॉस्टल हैं, होमस्टे हैं। आप जहां चाहें वहां रहें, नहीं तो कोई सुरक्षित जगह देखकर अपना कैंप लगा लें, बॉनफायर करें, वेस्टर्न गानों पर थिरकें, रात-रात भर दोस्तों से बातें करें। कुछ जुगाड़ लग जाए तो माल भी फूंक लें। लेकिन साथ ही साथ इस बात को भी समझें की मैकलोडगंज महज़ इतना ही नहीं है। इस जगह पर घूमने टहलने के लिए भी बहुत सारी जगहें हैं।

मैकलोडगंज ट्रैवेल गाइड में अब मैं आपको कुछ ऐसी जगहें भी बता देता हूं जहां घूमना आपको अच्छा लगेगा।

मैकलोडगंज का इतिहास क्या है ?

काफी दिलचस्प है मैकलोडगंज का इतिहास। दूसरे एंग्लो – सिख युद्ध के समय1849 में अंग्रेजो ने कांगड़ा में अपनी जगह बना ली थी। ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड एल्गिन 1862 से 1863 तक भारत रहा और उसे इस जगह से प्यार हो गया था। 1863 में धर्मशाला से जाते समय लॉर्ड एल्गिन मृत्यु की हो गई जिसको फोर्सिथगंज में स्थित सेंट जॉन चर्च-इन-वाइल्डरनेस में दफना लिया गया था। फोर्सिथगंज का नाम एक डिवीजनल कमिश्नर के नाम पर रखा गया था।

फिर ब्रिटिश शासन ने 1885 के आसपास हिमालय की पश्चिमी सीमा यानि कि धौलाधार की पहाड़ियों पर तमाम तरह की बस्तियों की स्थापना की। जिस जगह पर अंग्रेज रहते थे वहां छोटे छोटे रेस्ट हाउस हुआ करते थे जिन्हें धर्मशालाओं के रूप में जाना जाता था। धर्मशाला को छावनी के छोटे रेस्ट हाउस से अपना नाम मिला।

नागरिक बस्तियों की स्थापना शुरू हुई तो यह स्थान कांगड़ा जिले का प्रशासनिक प्रधान कार्यालय बन गया था। 

मैकलोडगंज (Mcleodganj) का नाम डेविड मैकलेओड के नाम पर रखा गया जो पंजाब के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर थे। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह शहर 1905 में भूकंप के दौरान नष्ट हो गया था, लेकिन बाद में दलाई लामा ने इस जगह पर शरण ली और एक बार फिर से शहर को पुनर्जीवित किया।

मैकलोडगंज के प्रमुख पर्यटन स्थल कौन हैं ?

मैं आप सभी को मैकलोडगंज ट्रैवेल गाइड के माध्यम से पांच ऐसी जगहें सजेस्ट कर रहा हूं जहां जाकर आपको अच्छा लगेगा। आप अच्छा समय व्यतीत करेंगे और अपनी यात्रा को यादगार बना सकेंगे।

भागसू फॉल्स, मैकलोडगंज

यह झरना मैकलोडगंज (Mcleodganj) और धर्मशाला को जाने वाली सड़क पर स्थित है। यहां ज्यादातर लोग पिकनिक मनाने के लिए आते हैं और अपने परिवार के साथ प्रकृति के बीच व्यतीत करते हैं। आप भी अगर शांति के साथ हरे भरे पेड़ पौधों के साथ समय व्यतीत करना चाहते हैं तो इस जगह पर जरूर आएं।

भागसुनाथ मंदिर, मैकलोडगंज

शहर से तकरीबन तीन किमी दूर स्थित भागसुनाग एक प्राचीन मंदिर है। यह पूरी तरह से हरा भरा है और आसपास का वातावरण बहुत ही मनमोहक है। यहां पर दर्शन के लिए देश भर से लोग आते हैं। इस मंदिर का निर्माण राजा भागसू ने कराया था। यह मंदिर भगवान शिव और स्थानीय देवता भागसू नाग को समर्पित है।

नामग्याल मठ, मैकलोडगंज

यह मैकलोडगंज (Mcleodganj) का एक प्रमुख दर्शनीय स्थल है। जिसकी महत्ता तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा का निवास स्थान होने के नाते और भी बढ़ जाती है। इसकी नींव 16 वीं शताब्दी में दूसरे दलाई लामा द्वारा रखी गई थी। इस समय लगभग 200 भिक्षु मठ की प्रथाओं, कौशल और परंपराओं को जिन्दा रखने का काम कर रहे हैं।

ट्रायंड, मैकलोडगंज

शहर से लगभग दस किमी दूर यह जगह उन लोगों के लिए खास है जो ट्रेकिंग और बैकपैकिंग के शौक़ीन हैं। यह काफी ऊंचाई पर स्थित एक ट्रेकिंग ट्रेल्स है जो यात्रियों के बीच काफी प्रसिद्ध है। आप अगर हिमालय में ट्रेकिंग का अनुभव लेना चाहते हैं तो आप इसे ट्रेक कर सकते हैं। इस ट्रेक से कांगड़ा घाटी का बहुत ही सुन्दर दृश्य दिखाई देता है।

डल झील, मैकलोडगंज

कांगड़ा जिले में तोता रानी के गांव के नजदीक स्थित यह जगह मैकलोडगंज (Mcleodganj) का प्रमुख पर्यटक स्थलहै। ऊबड़-खाबड़ पहाड़ों और देवदार के पेड़ों से घिरी हुई इस झील को पर्यटक देखने के लिए आते हैं। झील के किनारे एक शंकर भगवान का मंदिर भी है इस झील को लेकर लोगों के अपने-अपने मत हैं। कुछ झील को शापित बताते हैं, कुछ पवित्र मानते हैं।

मैकलोडगंज कब जाएं ?

इस जगह पर वैसे तो आप सर्दी गर्मी किसी भी मौसम में जा सकते हैं लेकिन आपको बता दूं कि सर्दी का मौसम यानि की नवम्बर से फ़रवरी तक काफी मजेदार रहता है। आप गर्मी में भी जायेंगे तो भी आपको मज़ा आएगा। मानसून में जाने से बचे क्योंकि बारिश की वजह से घूमना नहीं हो पायेगा।

मैकलोडगंज कैसे जाएं ?

हवाई मार्ग

मैकलोडगंज (Mcleodganj) का निकटतम हवाई अड्डा गग्गल हवाई अड्डा है, जो कुछ एयरलाइनों की बहुत सीमित उड़ानों से जुड़ा हुआ है। अच्छा होगा कि आप दुनिया के किसी भी हिस्से से दिल्ली पहुंचे फिर अपनी सुविधानुसार मैकलोडगंज जाएं।

सड़क मार्ग

मैकलोडगंज (Mcleodganj) सड़क मार्ग से भारत के विभिन्न प्रमुख शहरों जैसे धर्मशाला, दिल्ली, चंडीगढ़, आदि से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। मैकलोडगंज आसानी से इन बसों की मदद से पहुंच सकते हैं और फिर कस्बे में कहीं जाने के लिए टैक्सी किराए पर ले सकते हैं।

ट्रैन के द्वारा

मैक्लोडगंज (Mcleodganj) से लगभग 90 किमी दूर स्थित पठानकोट रेलवे स्टेशन भारत के कई प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। मैक्लोडगंज तक जाने वाले यात्री, दिल्ली और जम्मू के बीच चलने वाली ट्रेनों का लाभ उठा सकते हैं। स्टेशन के बाहर उपलब्ध टैक्सी और बसों की मदद से आप मैक्लोडगंज तक आसानी से पहुंच सकते हैं।

मैकलोडगंज में कहां ठहरे ?

इस जगह पर ठहरने के लिए बहुत सारे विकल्प हैं। आपको इस जगह पर होटल, हॉस्टल, होमस्टे सब मिल जायेंगे। आप अपने हिसाब से कोई भी जगह चुन सकते हैं। होमस्टे में रहना आपको स्थानीय भोजन का भी विकल्प उपलब्ध कराएगा। इसलिए मेरा सुझाव है कि होमस्टे या फिर हॉस्टल में ही रुकें।

मैकलोडगंज ट्रैवेल गाइड में दी गई जानकारी कैसी लगी। आप हमें जरूर बताएं।

travel writer sanjaya shepherd लेखक परिचय

खानाबदोश जीवन जीने वाला एक घुमक्कड़ और लेखक जो मुश्किल हालातों में काम करने वाले दुनिया के श्रेष्ठ दस ट्रैवल ब्लॉगर में शामिल है। सच कहूं तो लिखने और घूमने के अलावा और कुछ आता ही नहीं। इसलिए, वर्षों से घूमने और लिखने के अलावा कुछ किया ही नहीं। बस घुम रहा हूं।