किसी प्रसिद्ध जगह पर जाने की अपेक्षा मुझे दूरदराज स्थित शांत और सुरम्य जगहें ज्यादा पसंद हैं। ऐसी जगहों की ख़ास बात यहां का प्राकृतिक वातावरण, जैव विविधता, पराम्परिकता और संस्कृति होती है। हम ऐसी जगहों पर ज्यादा दिन रह और बहुत ज्यादा एक्सप्लोर कर पाते हैं। पिछले दिनों अपनी ऐसी ही एक जगह की तलाश के क्रम में मेरा मनिला (Manila Village) पहुंचना हुआ।
मनिला (Manila Village) वैसे तो उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित एक छोटा सा गांव है पर खूबसूरत इतना है कि इस जगह पर हर कोई आना चाहता है और पूरा गांव दूर-दूर से आये सैलानियों से भरा रहता है।
दिल्ली से मनिला (Manila Village) पहुंचने के क्रम में मेरा मन कई जगहों पर ठहरा पर तक़रीबन आठ-दस घंटे की ड्राइव के बाद मनिला पहुंच गया। शरीर में थकान हावी थी पर आसपास का वातावरण ऐसा कि सारी की सारी थकान पल भर में ही छूमंतर हो गई। पूरा रास्ता घने जंगलों से होकर गुजरता है, चारो तरफ हिमालय की ऊंची-ऊंची चोटियां दिखाई देती हैं।
इस जगह पर पहुंचने के बाद हिमालय श्रृंखला की त्रिशूल से पंचचुल्ली तक की सभी चोटियां मानोंकि स्वागत में खड़ी हों। यह गांव हिमालय का एक बहुत ही मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। इस जगह से नंदा देवी की चोटियां बिल्कुल स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं।
मनिला (Manila Village) को वैसे तो मनिला देवी मंदिर के कारण जाना जाता है पर अभी इस जगह पर सैलानियों के पहुंचने का सबसे बड़ा कारण यहां का मौसम और प्राकृतिक वातावरण है। समुद्र तल से लगभग दो हजार की ऊंचाई पर स्थिति होने के नाते यह जगह हिल स्टेशन सा फील कराती है। मतलब यह कि गर्मियों के मौसम में ठण्ड और ठंडियों के मौसम में इस जगह पर जाकर बर्फ़बारी का भरपूर मज़ा लिया जा सकता है।
इस जगह पर सूर्योदय और सूर्यास्त को देखना भी काफी रोमांचक होता है। हिमालय की इस श्रंखला से सूर्योदय और सूर्यास्त को देखने की जो अनुभूति है वह कभी नहीं भूलने वाली होती है। ऐसा लगता है कि सूर्य की सुनहरी चमक हमारे भीतर कहीं उतर आयी है और मन प्रफुल्लता से भर उठता है। यह एक छोटा गांव है (Manila Village) जहां आप प्रकृति के शांत वातावरण में अपने प्रियजनों के साथ अच्छा समय बिता सकते हैं। गांव घूम सकते हैं और ग्रामीणों के साथ बातचीत करके स्थानीय संस्कृति के बारे में भी काफी कुछ जान सकते हैं। गांव के आसपास कई मंदिर हैं जहां आप जा सकते हैं।
मनिला (Manila Village) में देवदार और चीड़ के पेड़ बहुतायत मात्रा में हैं और पूरी की पूरी घाटी बुरॉश के फूलों से किसी दुल्हन की तरह लाल जोड़े में सजी नज़र आती है। जिसकी वजह से यहां का प्राकृतिक सौंदर्य और भी निखर जाता है। इस जगह पर सेव नाशपाती, अखरोट संतरा, माल्टा, खुबानी की भी अच्छी पैदावार होती है। कहीं कहीं पर आम, पपीते और केले के पेड़ भी दिख जाते हैं।
भिकियासैंण का पैदल मार्ग मनिला से महज 13 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां पहुंचकर आप रामगंगा, गागास और नोरारा का संगम देख सकते हैं। यह एक सुंदर गांव होने के साथ साथ कुमाऊं के इतिहास का गवाह भी है।
ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से भी मनिला क्षेत्र का बहुत महत्व है। ऐसा बताया जाता है कि यह कभी कत्यूरी राजाओं की गढ़ थी। इस जगह पर मां मनिला देवी के दो मंदिर हैं। एक का नाम मल्ला मनिला मंदिर है, दूसरे का तल्ला मनिला मंदिर। कुमाउनी भाषा में मल्ला का अर्थ ऊपर होता है और तल्ला का नीचे। लेकिन इन दोनों ही मंदिरों से एक बहुत ही दिलचस्प लोककथा जुड़ी हुई है।
बताया जाता हैं कि एक बार कुछ चोरों ने मनिला देवी की मूर्ति को चुराकर ले जा रहे थे। मां की मूर्ति उखाड़ने का बहुत प्रयास किया लेकिन उनको सफलता नही मिल पाई और इसी खिंचा तानी में मूर्ति का एक हाथ उखड़ गया। उस टूटे हाथ को लेकर वो जैसे-तैसे थोड़ी दूर तक पहुंचे की उस हाथ का भार इतना ज्यादा हो गया कि उनको उसे नीचे रखना पड़ा।
दुबारा उन्होंने उस हाथ को उठाने की कोशिश की तो वो असफल हो गए। वो उस हाथ को वहीं छोड़कर भाग गए। दूसरे दिन गांव वालों को इस घटना के बारे में पता चला तो, उन्होंने वही पर माता के मंदिर की स्थापना कर दी। इस प्रकार मनिला देवी के दो मंदिर मल्ला मनिला देवी और तल्ला मनीला देवी की स्थापना हुई।
मनिला देवी को कत्यूरी राजाओं की कुल देवी माना जाता है। यह मंदिर कत्यूरी निर्माण शैली में बना है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1488 में कत्यूरी राजा ब्रह्मदेव ने करवाया था। मंदिर में काले पत्थर से बनी दुर्गा माता और भगवान विष्णु की मूर्तियां लोगों को काफी आकर्षित करती हैं।
मनीला गांव (Manila Village) अगर आप जाना चाहते हैं तो नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम और हवाई अड्डा पंतनगर है। इन दोनों ही जगहों से मनिला पहुंचना आसान है। इसके अलावा रानीखेत, रामनगर अथवा अल्मोड़ा से भी सीधे मनिला पहुंच सकते हैं। आप चाहें तो अपनी मनिला यात्रा के दौरान कौसानी, जिम कॉर्बेट अथवा नैनीताल भी घूम सकते हैं।