हिमाचल प्रदेश में कई रहस्यमयी जगहें हैं जिनके बारे में जानने और समझने की इच्छा बाहरी लोगों में रहती है। पार्वती घाटी में स्थित ऐसा ही मलाणा गांव (Malana Village) है। जिसे देखने की इच्छा हर सैलानी के मन में रहती है। यही कारण है कि इस जगह पर पूरे साल सैलानियों का आना जाना लगा रहता है। क्या खास है इस गांव में इस ब्लॉग में हम इसी बात को समझने का प्रयास करेंगे। यदि आप कसोल घूमने आते हैं तो इस जगह पर भी आएं। यह कसोल से कुछ महज़ कुछ ही दूरी पर स्थित काफी एकांत और मजेदार जगह है। मलाणा गांव (Malana Village) की राजनीतिक व्यवस्था ग्रीस से मिलती है जिसकी वजह से इसे हिमालय का एथेंस कहा जाता है।
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हिमाचल के कुल्लू जनपद के अंतर्गत आने वाले इस गांव को अपनी संस्कृति मान्यताओं के लिए जाना जाता है। यह जगह उन सैलानियों के लिए तो और भी अच्छा है जिनका झुकाव धर्म की है। ऐसा कहा जाता है कि बीटल्स के भारत आने के पश्चात् विदेशी सैलानी ऋषिकेश से पार्वती वैली और फिर इस गांव तक पहुंचे और इस जगह का प्रभाव बढ़ा। यह घाटी कई विदेशी सैलानियों के लिए गर्मियों का स्थाई घर रही है और आज भी हिप्पियों की पहली पसंद है। इस घाटी के बारे में कम जानकारी लोगों की उत्सुकता को बढ़ाती है और लोग इस जगह पर खींचे चले आते हैं।
कुछ सही, कुछ गलत, मलाणा गांव (Malana Village) को लेकर तरह-तरह की बातें प्रचलित हैं। बावजूद इसके इस जगह की यात्रा यात्रा को लेकर किसी को भी कोई दुविधा नहीं होनी चाहिए। क्योंकि इस गांव तक पहुंचने के रास्ते में आपको विभिन्न तरह की जैवविविधता देखने को मिलती है। पूरा रास्ता हरा भरा है जो पहाड़ों, जंगलों और बीच में आने वाले झरनों और नदी से होकर गुजरता है जो ट्रेकिंग और हाईकिंग पसंद करने वाले लोगो को काफी रास आएगा।
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ट्रेकिंग के दौरान आपको काफी मज़ा आएगा पर बारिश के दिनों में रास्ता काफी ख़राब हो जाता है। पगडंडियों पर-फिसलन बढ़ जाती है। जगह- जगह रास्ते कट जाते हैं और भूस्खलन का गंभीर खतरा बना रहता है। मलाणा गांव (Malana Village) की यात्रा के दौरान आपको इस बात का पूरा पूरा ख्याल रखना होगा कि आपकी यात्रा का रोमांच कहीं जोखिम में ना बदल जाए। गांव तक पहुंचने के क्रम में आपको छोटे-छोटे चाय के स्टॉल आपको मिल जायेंगे।
मलाणा गांव (Malana Village) पहुंचकर आपको सबसे पहले दिशा निर्देश पढ़ना होगा क्योंकि इस गांव में भारतीय प्रजातांत्रिक प्रणाली के इतर अपना खुदका भी गणतंत्र चलता है। ऐसा कहा जाता है मलाणा में आज भी दुनिया की सबसे पुरानी प्रजातांत्रिक व्यवस्था कायम है। गांव का प्रशासनिक व्यवस्था जमलू ऋषि के बनाये प्राचीन नियमों के मुताबिक चलता है और परिषद के चुने हुए सभी ग्यारह सदस्य उनके प्रतिनिधि के रूप में काम करते हैं।
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मलाणा गांव (Malana Village) में बहुत सारी ऐसी चीजें हैं जिन्हें बाहरी लोगों के द्वारा छूना मना है। अगर कोई छूता है तो परिषद उन पर जुर्माना लगा सकती है। खासकर मंदिरों और धार्मिक स्थलों को तो बिलकुल भी नहीं छुएं अन्यथा आपको एक हजार से लेकर पैंतीस सौ रुपये का जुर्माना चुकाना पड़ सकता है। गांव में पुरानी बसावट और कुछेक मंदिरों के अलावा ज्यादा कुछ नहीं है। इस गांव में वास्तव में अगर कोई चीज जानने समझने की है तो वह है इनकी इस जगह के प्रति धार्मिक आस्था और गहरा विश्वास।
मलाणा गांव (Malana Village) में मदग्नि मंदिर और रेणुका देवी के मंदिर प्रमुख आकर्षण है। यह दोनों मंदिर एक दूसरे के निकट स्थित हैं। इन मंदिरों में विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। मलाणा में कुछ कैफ़े भी हैं जहां पर आप अपना समय व्यतीत कर सकते हैं। गांव में ठहरने की बाहरी लोगों को इजाजत नहीं है लेकिन गांव से बाहर बने कैंप या फिर अपना टेंट लगाकर रह सकते हैं।
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इतना कुछ जानने के बाद आप यह सोच रहे होंगे कि इस जगह पर कैसे पहुंचे ? आपको बता दूं कि कुल्लू से मलाणा गांव (Malana Village) की दूरी 45 किलोमीटर है और दिल्ली, अमृतसर, चंडीगढ़, शिमला, जालंधर, लुधियाना और पठानकोट से कुल्लू के लिए रेगुलर बसें हैं। कुल्लू से मणीकर्ण रूट पर जब आप आगे बढ़ेंगे तो कसोल से 8 किमी पहले जरी नाम की जगह आती है। जरी से मलाणा तक की दूरी 16 किमी है। हिमाचल रोडवेज की सिर्फ एक ही बस मलाणा जाती है, जो कुल्लू से शाम 3 बजे चलती है।
अगले दिन सुबह यही बस कुल्लू जाती है। मलाणा बस स्टॉप पहुंचकर आपको अपनी गाड़ी यहीं छोड़नी पड़ेगी। यहां कोई पार्किंग नहीं है। आपको अपने रिस्क पर गाड़ी छोड़नी पड़ेगी। इसके बाद 3-4 किलोमीटर के थकाने वाले ट्रैक के बाद मलाणा गांव आता है।
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