हिमाचल राज्य की कुल्लू घाटी के उत्तर पूर्व में पार्वती वैली है जो देश विदेश से आने वाले सैलानियों के बीच काफी प्रसिद्ध है। इस पार्वती घाटी में चंदरखानी और देओटिब्बा दो पहाड़ियों से घिरा हुआ एक गांव है जहां आज भी दुनिया की सबसे पुरानी प्रजातांत्रिक व्यवस्था बनी हुई है। मलाणा (Malana Himachal) नदी के बिलकुल नजदीक स्थित इस गांव का नाम मलाणा है। इस गांव का लोकतंत्र दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र है। इस गांव के बारे में लोगों को बहुत कम जानकारी है। जिसकी वजह से इसकी गिनती देश के सबसे रहस्यमयी गाँवों में की जाती है। इस रहस्यमयी गांव में आज भी दुनिया का सबसे पुराना गणतंत्र चलता है। गांव के लोग भारत के सविंधान की बजाय अपनी खुदकी गणतांत्रिक व्यवस्था को चलाते हैं।
यह भी पढ़ें : रोमांच प्रेमियों के लिए स्वर्ग से कम नहीं है सोलंग घाटी
मलाणा- एक प्राचीन गांव
आपको बता दूं कि मलाणा एक बेहद ही प्राचीन गांव है। इस गांव में रहने वाले लोगों की अपनी जीवन शैली और सामाजिक संरचना है। ये लोग अभी भी आधुनिक दुनिया से अलग और पूरी तरह से अप्रभावित हैं और अपने रीति-रिवाजों का बेहद सख्ती से पालन करते हैं। गांव के लोगों और उनकी भाषा के बारे में कई तरह की शोध हुई पर ज्यादा कुछ नहीं पता चल पाया है।
इस गांव के लोग जिस रहस्यमयी भाषा को अपनी बोलचाल में लाते हैं उसे रक्ष (kanashi/ Raksh) भाषा के नाम से जानी जाती है। इस भाषा को लोग राक्षस बोली भी कहते हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक मलाणा (Malana Himachal) की भाषा आसपास की किसी भी भाषा से मेल नहीं खाती। यह संस्कृति और कई तिब्बती भाषाओं का मिश्रण लगती है।
यह भी पढ़ें : पर्यटन और जैव विविधता से भरपूर खज्जियार
मलाणा गांव का इतिहास
मलाणा गांव का इतिहास बहुत ही पुराना है। ऐसा कहा जाता है कि बहुत पहले इस गांव में जमलू ऋषि रहा करते थे जिनका उल्लेख आज भी हमारे कई धर्मग्रंथों और पुराणों में मिलता है। कई तथ्य इस बात की तरफ भी इशारा करते हैं कि जमलू ऋषि को आर्यों से पहले से पूजा जाता है। उन्होंने ही इस गांव के नियम-कानून बनाये थे जो कि अभी तक चले आ रहे हैं।
मलाणा के निवासी आर्यों के वंशज माने जाते हैं। जबकि कई अन्य परम्पराओं के मुताबिक यह लोग खुदको सिकंदर का वंशज मानते हैं। इस गांव में अकबर की भी पूजा होती है क्योंकि अपने इलाज के सिलसिले में अकबर कभी मलाणा (Malana Himachal) आया था और ठीक होने के उपरांत ग्रामवासियों को कर से मुक्त कर दिया था।
यह भी पढ़ें : आधुनिकता और अनूठी प्राचीन संस्कृति का पर्याय काजा
मलाणा की सामाजिक संरचना
इस गांव की सामाजिक संरचना पूरी तरह से जमलू ऋषि के प्रति आस्था और विश्वास पर टिकी हुई है। गांव की प्रशासनिक व्यवस्था को एक ग्राम परिषद के माध्यम से ( जमलू ऋषि के नियमों द्वारा ) नियंत्रित अथवा संचालित किया जाता है। इस ग्राम परिषद में सदस्यों की कुल संख्या 11 होती है जिन्हें जमलू ऋषि के प्रतिनिधि के रूप में जाना जाता है।
इस परिषद् के द्वारा लिया गया फैसला अंतिम होता है। इस गांव में कोई भी बाहर के लोगों के नियम और कायदे नहीं माने जाते हैं। इस गांव की राजनीतिक व्यवस्था प्राचीन ग्रीस से मिलती है जिसकी वजह से मलाणा (Malana Himachal) को हिमालय का एथेंस भी कहा जाता है।
यह भी पढ़ें : बौद्ध मठों के लिए प्रसिद्ध किब्बर गांव की जादुई यात्रा
मलाणा के वर्जित क्षेत्र
मलाणा गांव में कई ऐसी जगहें हैं जहां पर बाहरी लोगों का जाना वर्जित है। जिन जगहों पर जाने की छूट है वहां भी चीजों को छूने की मनाही और जुर्माने का प्रावधान है। गांव के लोग किसी भी बाहर से आये व्यक्ति को अपने पूजा स्थलों, मंदिरों, स्मारकों और कलाकृतियों को छूने की इजाजत नहीं देते हैं।
यदि कोई छू लिया तो उसे जुर्माना भरना पड़ता है। दरअसल, मलाणा (Malana Himachal) के लोगों का मानना है कि बाहरी लोग अपवित्र होते हैं। अगर कोई बाहरी यहां के घरों, मंदिरों और लोगों को छू लेता है तो उससे जुर्माना लिया जाता है। इस रकम से जानवर खरीदा जाता है और शुद्धिकरण के लिए बलि दी जाती है।
इस रहस्यमयी और अनोखे गांव के बारे में जानने और देखने की चाह हर किसी के दिल में होती है। यही कारण है कि हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक यहां आते हैं। परन्तु इस गांव में रुकने की इजाजत किसी को नहीं है। पर्यटक गांव से बाहर टेंट में रह सकते हैं।
यह भी पढ़ें : किन्नौर जिले का क्राउन चितकुल
मलाणा क्रीम का वैश्विक क्रेज़
एक और कारण जिसकी वजह से मलाणा में सबसे ज्यादा लोग पहुंचते हैं वह है मलाणा क्रीम। आप सोच रहे होंगे कि भला ये क्या चीज है। दरअसल, गांव के आसपास उगाई जाने वाली मारिजुआना (गांजा) को ‘मलाणा क्रीम’ कहा जाता है। मलाणा क्रीम दुनिया में सबसे अच्छी चरस मानी जाती है। जिसका कारण मलाणा के चरस में पाया जाने वाला उच्च गुणवत्ता का तेल है। गांव के आसपास उगाई जाने वाली मारिजुआना (गांजा) को ‘मलाणा क्रीम’ कहा जाता है।
1994 और 1996 में हाई टाइम्स मैगजीन कैनेबिज कप इसे बेस्ट मारिजुआना का खिताब दे चुकी है। पार्वती वैली में काफी बड़ी मात्रा में इसकी खेती की जाती है। हालांकि इसके उत्पादन को कम करने अथवा बिक्री को रोकने के लिए पुलिस समय-समय पर अभियान चलाया करती है। लेकिन दिन-ब-दिन दिन इसकी पॉपुलर्टी बढ़ती जा रही है।
यह भी पढ़ें : भारत की फ्रेंच कैपिटल पुदुचेरी की यात्रा
दोस्तों, आशा करता हूं कि यह लेख आप लोगों को पसंद आया होगा। मेरी कोशिश हर दिन आपको कुछ नया देने की रहती है। आपको लेख पढ़कर कैसा लगा स्ट्रोलिंग इंडिया और अपने इस घुमंतू दोस्त के साथ जरूर बाटें।
हमसे संपर्क करें : अगर आप कोई सूचना, लेख, ऑडियो-वीडियो या सुझाव हम तक पहुंचाना चाहते हैं तो इस ईमेल आईडी पर भेजें: indiastrolling@gmail.com