भारत के दक्षिण पश्चिमी तट से तक़रीबन दो सौ मील दूर अरब सागर में फैला हुआ एक द्वीप समूह है जिसे हम सब लक्षद्वीप (Lakshwadeep) के नाम से जानते हैं। यह 36 मनमोहक द्वीपों का एक ऐसा समूह है जिस पर कुदरत ने दिल खोलकर खूबसूरती बिखेरी है। यही कारण है कि इस जगह को देखने की इच्छा और उत्सुकता हर किसी के दिल में होती है।
इस जगह पर जितनी जैविक विविधता है उतनी शायद ही कहीं और आपको देखने को मिलेगी। लक्षद्वीप (Lakshwadeep) के जंगलों में ना केवल जीव जन्तु बल्कि दुनिया की सबसे दुर्लभ वनस्पतियां पाई जाती है। अधिकतर द्वीपों पर हम सबकी पहुंच किसी न किसी रूप में संभव है लेकिन आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि इनमें से केवल दस द्वीपों पर ही मानव आबादी है।
छह द्वीपों पर जाना प्रतिबंधित है जिसमें से दो पर विदेशी जा सकते हैं। आप भी अगर लक्षद्वीप जाने के बारे में सोच रहे हैं तो इस ब्लॉग के माध्यम से आपको इससे जुड़ी तमाम बातें पहले से जान लेनी चाहिए।
लक्षद्वीप (Lakshwadeep) का इतिहास बहुत ही प्राचीन है। इस जगह पर मानव के पहुंचने की अपनी एक एक कहानी है जो सदियों पुरानी है जिसकी तह में जाना तमाम ऐतिहासिक सन्दर्भों से होकर गुजरना है। इस जगह का अंतिम शासक चेरमन पेरुमल था। इस जगह पहले इसे मिनिकॉय, लेकडाइव और अमिंडी द्वीप के नाम से जाना जाता था। आज़ादी के पश्चात्भा भारतीय राज्यों के पुनर्गठन के दौरान लक्षद्वीप द्वीप को मद्रास से अलग कर एक केंद्र शासित राज्य का दर्जा दिया गया।
यह द्वीपसमूह भारत का सबसे छोटा केंद्रशासित प्रदेश है और इसका कुल सतही क्षेत्रफल सिर्फ 32 वर्ग किमी है, जबकि अनूप क्षेत्र 4,200 वर्ग किमी, प्रादेशिक जल क्षेत्र 20,000 वर्ग किमी और विशेष आर्थिक क्षेत्र 400,000 वर्ग किमी है। क्षेत्र के कुल 10 उपखंड मिलकर एक जिले की रचना करते हैं।
लक्षद्वीप की राजधानी कवरत्ती है और यह केरल उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत काम करता है। लक्षद्वीप-मालदीव-चागोस समूह इस जगह पर फैला विशाल समूह है लक्षद्वीप इसका सबसे उत्तरी भाग है। यह द्वीप चागोस-लक्षद्वीप प्रवाल भित्ति का सबसे उपरी हिस्सा है।
लक्षद्वीप (Lakshwadeep) पर्यटन के लिहाज से काफी समृद्ध है। इस जगह पर एक आइलैंड से दूसरे आइलैंड तक जाना ही रोमांच से भर देता है। साफ समुद्र का किनारा और दूर-दूर तक पानी के संसार में तैरती रंग बिरंगी मछलियां देखकर दिल खुश हो जाता है। ऐसा लगता है कि हम द्वीपों के किसी बहुत बड़े संसार में पहुंच गए हैं। मिनिकॉय, अगत्ती, कवरत्ती, कलपेनी कुछ ऐसे द्वीप समूह हैं जहां पर आप घूम सकते हैं। इन जगहों की खूबसूरती आपको काफी अच्छी लगेगी और आप अपनी छुट्टियां अच्छे से बिता सकेंगे।
आप इस जगह पर प्राकृतिक सुन्दरता के अलावा वाटर स्पोर्ट का आनंद भी ले सकते हैं। लक्षद्वीप में होने वाले पानी से सम्बंधित तरह तरह तरह के विकल्प मौजूद हैं। प्रमुख खेलो में स्कूबा डाइविंग, पैडल बोटिंग, नौकायन, कैनोइंग, सफरिंग, स्नैचिंग, कयाकिंग, स्विमिंग, जेट स्की, बनाना बोट राइड, पावर पतंग, पतंग सर्फिंग, क्वाड बाइक की सवारी, वेक बोर्डिंग, पैरासेलिंग शामिल हैं। आप अपनी पसंद और दिलचस्पी के मुताबिक इनसे सम्बंधित गतिविधियों का हिस्सा बन सकते हैं।
आपको अगर समुद्र की जादुई दुनिया पसंद है तो मरीन संग्रहालय देखना बिलकुल नहीं भूलें। लक्षद्वीप (Lakshwadeep) के कवरत्ती आयलैंड पर स्थित इस संग्रहालय का मुख्य उद्देश्य समुद्री से संबंधित कलाकृतियों को प्रदर्शित करना है। मरीन संग्रहालय में समुद्री मछलियों और पानी के जानवरों की प्रजातियों को देखा जा सकता है।
इस जगह पर जाने के लिए आप फ्लाइट या समुद्री मार्ग में से किसी का चुनाव कर सकते हैं। लक्षद्वीप (Lakshwadeep) का अगगति हवाई अड्डा कोच्चि हवाई अड्डे से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। एमवी कवर्त्ती, अरब सागर जहाज, लक्षद्वीप समुद्री जहाज, एमवी टीपू सुल्तान, एमवी भारत सीमा और एमवी अमिंदी आदि के माध्यम से आप लक्षद्वीप आसानी से पहुंच जाएंगे।
लक्षद्वीप में ठहरने के लिए जगहों की कोई कमी नहीं। इस जगह पर आपको तरह तरह के होटल और रिसोर्ट के विकल्प मिल जायेंगे।
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