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पर्यटन स्थल

मध्य हिमालय का खूबसूरत आईना ख़िरसू हिल स्टेशन

घूमने टहलने के लिहाज से देखें तो मौसम का बहुत बड़ा असर रहता है। आजकल गर्मी का मौसम है तो लोग ऐसी जगहों की तरफ भाग रहे हैं जो ठंडी हो। ऐसे में हर कोई पहाड़ पर जाने के लिए बेताब दिख रहा है तो मैंने सोचा क्यों ना हम भी अपने लिए एक ऐसी जगह तलाश ली जाए जो पर्यटन के साथ साथ प्राकृतिक वातावरण के लिहाज़ से भी अच्छी हो और हम निकल पड़े ख़िरसू (Khirsu hill station)

ख़िरसू हिल स्टेशन (Khirsu hill station) उत्तराखंड का एक गांव है जहां से बर्फ़ से लड़े पहाड़ और केन्द्रीय हिमालय की तमाम ऊंची ऊंची चोटियां दिखाई देती हैं। इस शांत और प्रदूषण मुक्त जगह पर ज्यादातर लोग यहां के मौसम और प्राकृतिक खूबसूरती को एन्जॉय करने के लिए आते हैं। इस जगह पर आकर कोई भी हिमालय का सुंदर और मनमोहक नजारा देख सकता है।

एक तरह से देखा जाए तो पूरा ख़िरसू हिल स्टेशन (Khirsu hill station) देवदार और ओक के पेड़ों के बीच समाया हुआ है। साथ ही साथ यहां पर बहुत सारे सेब के बगीचे भी हैं। आप जब इनके बीच से होकर गुजरते हैं तो असीम शांति के बीच चिड़ियों की चहचहाहट सुनाई देती है। यह जगह कभी लैंडडाउन की याद दिलाती है पर यह उसके मुकाबले काफी ठंडी शांत है।

खिरसू में विभिन्न प्रकार के पक्षियों को देखने के साथ-साथ जैव विविधता का मज़ा भी ले सकते हैं।

बताया जाता है कि ख़िरसू को आज़ादी के बाद ही पर्यटन स्थल घोषित कर दिया गया था पर यह जगह पर्यटकों के बीच कभी भी ज्यादा लोकप्रिय नहीं रही पर अपनी शान्त सुरम्य प्रदूषण मुक्त वातावरण के कारण हाल के कुछ वर्षों में खिरसू हिल स्टेशन (Khirsu hill station) आने वाले सैलानियों की संख्या बढ़ी है और इसे अच्छी पहचान मिली है। वर्तमान में यह पौड़ी गढ़वाल का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है।

घंडियाल देवता का प्राचीन मंदिर यहां का एक लोकप्रिय मंदिर है जहां हर साल वैशाखी के बाद तीसरे सोमवार को घंडियाल मेले का आयोजन होता है। घंडियाल देवता भगवान बद्रीनाथ के क्षेत्रपाल हैं और उत्तराखंड में इनकी काफी मान्यता हैं, घंडियाल देवता की कहानिया गढ़वाल क्षेत्र की लोक कथाओं में काफी प्रसिद्ध हैं तथा इन्हें एक शक्तिशाली देवता माना जाता हैं, गढ़वाल क्षेत्र में इनके कई मंदिर हैं।

ख़िरसू हिल स्टेशन (Khirsu hill station) रहते हुए कंडोलिया मंदिर भी जा सकते हैं जो कि भगवान शिव को समर्पित है। यह धार्मिक स्थान महान हिमालय की चोटियों और गंगवारस्यून घाटी का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। मान्यता है कि कंडोलिया देवता गांव के ही एक व्यक्ति के स्वप्न में आए और आदेशित किया कि मेरा स्थान किसी उच्च स्थान पर बनाया जाए। इसके बाद कंडोलिया देवता को पौडी शहर से ऊपर स्थित पहाड़ी पर स्थापित किया गया। स्थापना के बाद से ही कंडोलिया मंदिर न्याय देवता के रूप में प्रसिद्ध हो गए ।

बद्रीनाथ रोड पर श्रीनगर और रुद्रप्रयाग के बीच अलकनंदा नदी के तट पर उत्तराखंड की संरक्षक व पालक धारी देवी का मंदिर स्थित है। ऐसा बताया जाता है कि धारी देवी की मूर्ति का ऊपरी आधा भाग अलकनंदा नदी में बहकर यहां आ गया था तब से यहां पर उनकी मूर्ति की पूजा की जाती है। मूर्ति की निचला आधा हिस्सा कालीमठ में स्थित है, जहां माता काली के रूप में उनकी आराधना की जाती है। माता धारी देवी को दक्षिणी काली भी कहा जाता है। माना जाता है कि धारी माता दिन के दौरान विविध रूप बदलती है ।

खिरसू हिल स्टेशन (Khirsu hill station) कैम्पिंग और ट्रेकिंग, नेचर वॉक और बर्ड वॉचिंग के हिसाब से काफी अनुकूल है। यहां का प्राकृतिक वातावरण जंगलों से होकर गांवों में पहुंच जाती है ऐसे में इस जगह पर पैदल चहलकदमी करना अच्छा लगता है। लेकिन जो लोग ट्रेकिंग पसंद करते हैं वह फुरकंडा प्वाइंट पर जाना पसंद करते हैं। ऊंचाई पर होने के कारण यहां से आसपास के गांवों का विहंगम दृश्य दिखाई देता है।

खिरसू में पक्षियों की अनेक प्रजाति देखी जाती है। यह विभिन्न प्रकार की पक्षियों के देखे जाने के लिए भी जाना जाता है। इस जगह पर रहते पक्षियों की कई प्रजातियों को देख सकते हैं। सुबह सुबह पक्षियों की चहचहाहट के बीच नींद खुलती है तो आसपास के दृश्य को देखकर मन खिलखिला उठता है। इस जगह पर पर्यटक विश्रामगृह और वन विश्रामगृह में ठहरने की व्यवस्था उपलब्ध है। आप चाहें तो गांव में भी ठहर सकते हैं। ख़िरसू हिल स्टेशन (Khirsu hill station) ग्रामीण पर्यटन का एक अनोखा उदाहरण है।

travel writer sanjaya shepherd लेखक परिचय

खानाबदोश जीवन जीने वाला एक घुमक्कड़ और लेखक जो मुश्किल हालातों में काम करने वाले दुनिया के श्रेष्ठ दस ट्रैवल ब्लॉगर में शामिल है। सच कहूं तो लिखने और घूमने के अलावा और कुछ आता ही नहीं। इसलिए, वर्षों से घूमने और लिखने के अलावा कुछ किया ही नहीं। बस घुम रहा हूं।