काजा स्पीति नदी के मैदानों पर बसा हिमाचल प्रदेश का एक शांत जगह है। हम जैसे ही लाहौल स्पीति में प्रवेश करते हैं ऐसा लगता है कि दुनिया के आखिरी छोर पर आ गए हैं। चारो तरफ बर्फ से ढंके पहाड़, निर्झर बहती नदी और सुरम्य बंजर परिदृश्यों से घिरे काजा (kaza spiti valley) की यात्रा किसी सपने के समान है। अपनी प्राचीन संस्कृति को संजोये यह जगह नए रीति रिवाज और सरोकारों को भी अपनाने से नहीं हिचकती है, यही कारण है कि इसे आधुनिकता और अनूठी प्राचीन संस्कृति का पर्याय कहा जाता है।
दो भागों में विभाजित इस जगह को पुराने काजा और नए काजा के रूप में जाना जाता है। प्रत्येक में क्रमशः सरकारी कार्यालय और राजा का महल है। मठ, गोम्पा और अन्य ऐतिहासिक स्थल इस शहर के पुराने जादुई आकर्षण है। काजा (kaza spiti valley) आज आधुनिकता और अनूठी प्राचीन संस्कृति का अद्भुत मिश्रण है जो अपने रहस्य से किसी को भी मुग्ध कर देगा। काजा अपने रंगीन त्योहारों और शहर से 14 किमी दूर एक साइड घाटी में प्राचीन शाक्य तंगयूड मठ के लिए भी प्रसिद्ध है।
यह पूरी घाटी प्राचीन गांवों और अन्य दर्शनीय स्थलों से भरी हुई है।
किब्बर गांव
यह दिल्ली से 750 और शिमला से तकरीबन 430 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। किब्बर पहुंचने के लिये कुंजम दर्रे से होकर स्पीति घाटी पहुंचना होता है। दिल्ली से शिमला तक जाना आसान है लेकिन शिमला से काज़ा (kaza spiti valley) तक पहुंचने के लिए कुल 12 घंटे का पहाड़ी रास्ता है जिसको पार करना कठिन तो होता है पर यात्रा का रोमांच आपकी थकान को काफी हद तक कम कर देता है। काज़ा से किब्बर जाने में महज़ एक घंटा लगता है।
इस जगह पर रास्ते में आपको कई बौद्ध मठ दिखाई देंगे। जगह-जगह बर्फ की चादर जमी मिलेगी। घाटी में पहुंचने पर सबसे पहले स्पीति नदी का दीदार होता है और फिर नदी के दांई तरफ बसे एक गांव का जिसका नाम लोसर है। लोसर स्पीति घाटी का पहला गांव है। किब्बर के आसपास के सभी गांवों में बने घरों से आपको तिब्बती वास्तुकला की झलक मिलेगी।
ताबो शहर
हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति जिला में स्थित ताबो को ‘हिमालय का अंजता’ कहा जाता है। यह शहर रेककौंग पियो तथा काजा सड़क के बीच स्पीति नदी के तट पर बसा हुआ है। काजा (kaza spiti valley) से ताबो की दूरी तक़रीबन 48 किमी है। यह शहर एक प्रसिद्ध बौद्ध मठ ताबो गोम्पा के चारो तरफ फैला हुआ है। ताबो गोम्पा मठ का निर्माण 996 ई. में हुआ था और यह हिमालय क्षेत्र के सबसे महत्वपूर्ण मठों में गिना जाता है।
की मठ
भारत के लाहौल और स्पीति जिले में स्थित की मठ एक प्रसिद्ध तिब्बती बौद्ध मठ है। यह मठ ‘की गोंपा’ के नाम से भी जाना जाता है।यह मठ आतिशा के छात्र ड्रोमटन के द्वारा 11 वीं शताब्दी में स्थापित किया गया था। इस जगह पर देश विदेश से सैलानी आते हैं। समुद्र तल से 4,166 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मठ स्पीति नदी के बहुत करीब है। की मठ काजा (kaza spiti valley) से 7 किलोमीटर दूर है और इसे काई मठ के नाम से भी जाना जाता है। यह इस पूरी घाटी का सबसे बड़ा मठ है।
धंकर मठ
लाहौल और स्पीति जिले में स्थित धनकर मठ को 100 सबसे लुप्तप्राय स्मारकों में सूचीबद्ध किया गया है। एक हजार साल पहले निर्मित यह मठ बौद्ध कला और संस्कृति का मुख्य केंद्र और एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यह मठ एक चट्टान के किनारे पर अविश्वसनीय रूप से झुका हुआ है। स्पीति और पिन नदियों के संगम के छू लेने वाले दृश्य बहुत ही मनभावन होते हैं। इस जगह से स्पीति घाटी के मनोरम दृश्यों को देखा जा सकता है। यहां दो गोंपा मौजूद हैं, जिनमें से एक 1000 साल पुराना बताया जाता जबकि दूसरे का निर्माण कुछ साल पहले ही किया गया है। इस मठ का उद्घाटन दलाई लामा द्वारा किया गया था।
कुंजम दर्रा
काजा से 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस दर्रे को कुंजुम ला के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। यह समुद्र तल से 4,551 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और देश के सबसे ऊंचाई पर स्थित मोटरेबल माउंटेन पास में आता है। यह पास मनाली से करीब 122 किमी की दूर कुल्लू और लाहौल से स्पीति घाटी के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है। कुंजुम पास से प्रसिद्ध चंद्रताल झील जाने के लिए 15 किमी की ट्रेकिंग रह जाती है। यहां दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ग्लेशियर देखा जा सकता है। यहां आप चंद्रताल झील की सैर का आनंद भी ले सकते हैं।
शाक्य तंगयूड मठ
शाक्य मोनेस्ट्री या शाक्य तांगिउड मठ हिमाचल प्रदेश के जिला लाहौल स्पीति में स्थित एक प्रसिद्ध पर्टयक स्थल है। यह धार्मिक स्थल काजा में सबसे अधिक देखे जाने वाले पर्टयक स्थलों में आता है। काजा घूमने आने वाले सैलानी इस मैथ को देखने आते हैं। इस जगह का पर्यटकों की नज़र में बहुत ज्यादा महत्व है।
काजा जाने का सही समय
किब्बर घूमने के लिए सबसे अच्छा समय जुलाई से अक्टूबर तक होता है। इस समय किब्बर का ठंडा मौसम सहन करने योग्य होता है। अन्यथा सर्द के मौसम में रात में यहां का तापमान -20 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है। बर्फ गांव की सुंदरता को बढाती है। लेकिन सदियों के मौसम में यहाँ रोहतांग दर्रा बंद हो जाता है, यह दर्रा गर्मियों के दौरान ही खुलता है। मानसून के दौरान किब्बर की यात्रा करना सही समय नहीं है क्योंकि इस दौरान भूस्खलन का खतरा है।
काजा में ठहरने की जगहें ?
यह स्पीति जिले का व्यापारिक केंद्र है। इस जगह पर दूर-दूर से लोग अपना सामान बेचने या फिर खरीददारी के लिए आते हैं। कई बार इन्हें इस जगह पर रुकना भी पड़ता है। काजा (kaza spiti valley) में ठहरने के लिए होटल से लेकर होमस्टे तक के विकल्प मौजूद हैं। आप अपनी सुविधा और पसंद के हिसाब से जगह का चुनाव कर सकते हैं।
काजा कैसे पहुंचे ?
दिल्ली से तकरीबन 730 किलोमीटर दूर काजा के लिए तरह तरह की सुविधाएं मौजूद हैं। दिल्ली से कई बसें काजा जाती हैं। कुछ बसें ऐसी भी हैं जो आपको शिमला तक छोड़ देंगी। शिमला से आप दूसरी बस या फिर टैक्सी लेकर काज़ा पहुंच सकते हैं।