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पर्यटन स्थल

कलाप गांव : दुर्गमता में सुंदरता का पर्याय

Kalap village

गर्मियों का मौसम शुरू होते ही घूमने-टहलने वाली जगहों पर हलचल शुरू हो जाती है। कई जगहों पर तो इस कदर भीड़ होती है कि जगह अच्छी होने के बाद भी अकुलाहट होने लगती है। सैलानिओं को ना तो घूमने के लिए सकून की जगह मिल पाती है और ना ही ठहरने के लिए अच्छे होटल्स। पहाड़ी राज्य उत्तराखंड (Uttarakhand) में तो हर मौसम में सैलानियों का जमावड़ा लगा रहता है। पर्यटन की दृष्टि से उत्तराखंड जितना महत्वपूर्ण है उतना ही खूबसूरत भी है। कलाप (Kalap) उत्तराखंड का ऐसा ही एक गांव है जो खूबसूरत होने के साथ साथ अपने आपमें बहुत सारे रहस्यों को खुदमें समेटे हुए है। शांति और सकूँ पसंद करने वाले सैलानियों को (Places To Visit In Uttarakhand) इस जगह की यात्रा जरूर करनी चाहिए।

कलाप की कैसे और कब करें यात्रा

कलाप (Kalap) दिल्ली (Delhi) से 540 किलोमीटर और देहरादून ( Dehradun) से मात्र 210 किलोमीटर की दूरी पर है। नजदीकी हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन देहरादून है। देहरादून से बस अथवा टैक्सी के जरिये साल के किसी भी वक्त जाया जा सकता है। टैक्सी से छह घंटे और बस से जाने में आपको दस घंटे का समय लगेगा। कलाप का नजदीकी टाउन नेतवर (Netwar) है। इस जगह से गांव तक पहुंचने के लिए दो ट्रेकिंग रूट्स हैं एक पांच किमी का है और दूसरा आठ किमी का जिसे ट्रेक करने में आपको चार से छह घंटे लग सकते हैं। इस जगह पर एक झरना भी है जिसको देखना काफी रोमांचकारी होता है। कलाप में आपको बहुत ही आसानी से ठहरने के लिए होमस्टे मिल जायेंगे।

नेत्रवार से कल्प तक की ट्रेकिंग

नेत्रवार से कल्प तक का ट्रेक ( treking) निचले हिमालय के घने जंगलों से होकर गुजरता है। आप जंगलों से होकर गुजरते हैं, जो चौड़ी पत्ती वाले पेड़ों और देवदार के पेड़ों से भरा हुआ है। आपको रायगढ़ नाम की एक प्रमुख धारा पार करना होता है जिसमें आपको एक जलप्रपात भी मिलेगा। 11 किलोमीटर लंबा ये ट्रेक ज्यादा कठिन नहीं है। लेकिन कुछ ऐसे स्थान हैं जहां चट्टानों के गिरने का खतरा है। यह क्षेत्र गोविंद पशु विहार राष्ट्रीय उद्यान (GPNP) के अंदर आता है, ऐसे में आपको भालू आदि देखने को मिल जायेंगे। पर आप दूर से हे देखें अधिक पास नहीं जाएं ये अनजान मनुष्यों पर हमला कर देते हैं। यह आवश्यक है कि आपके पास पगडंडी पर एक गाइड हो क्योंकि यह पूरी तरह से अचिह्नित है।

कौरव-पांडव के वंशजों का गांव

उत्तराखंड की टन्स घाटी में स्थित कलाप गांव (Kalap) जितना प्राकृतिक रूप से शांत और सकून भरा है उतना ही गहरा राज भी खुदमें समेटे हुए है। इस पूरी टन्स घाटी (Tons Valley) को महाभारत की जन्मभूमि माना जाता है। पूरी ( Tons river valley) टन्स नदी घाटी को पौराणिक संदर्भों के लिए जाना जाता है। मान्यता है कि इस गांव से रामायण और महाभारत का पौराणिक इतिहास जुड़ा हुआ है। स्थानीय लोग अभी तक खुद को कौरव और पांडवों का वंशज बताते हैं और उनकी पूजा करते हैं। गढ़वाल क्षेत्र में स्थित इस गांव के बारे में बाहरी लोगों को बहुत कम पता है। यह कई इलाकों से कटा हुआ और ज्यादा प्रसिद्ध नहीं है जिसकी वजह से इस जगह पर बहुत कम लोग पहुंचते हैं। पर यह गांव बहुत ही खास है।

खूबसूरती का पर्याय कलाप गांव

दुर्गमता सुंदरता का वाहक होती है। इस जगह पर लोगों की पहुंच कम होने से इस गांव की खूबसूरती अभी भी बची हुई है। यह प्राकृतिक रूप से समृद्ध और जैव विविधता से भरपूर है। रामायण और महाभारत से इसका संदर्भ जुड़ा हुआ है, इस जगह पर कर्ण का मंदिर है, स्थानीय लोग खुदको कौरव का वंशज कहते हैं। ऐसी ही बहुत सारी बातें हैं जो इस जगह को खास बनाती हैं। सर्कार भी अब इस तरफ ध्यान दे रही है और कलाप को एक पर्यटक स्थल के तौर पर विकसित किया जा रहा है।

स्थानीयता और सामाजिक ढांचा

अपनी भौगोलिक स्थिति की वजह से यह गांव बाकि इलाकों से कटा हुआ है। साधन कम होने से स्थानीय लोगों की पहुंच बाजार में कम पर अपने खेतों और गांवों में ज्यादा सहज है। लोग खेती और पशुपालन ( Farming and animal husbandry) करते हैं और यही उनकी आजीविका का मुख्य साधन भी है। बाजार तो हर कहीं घुस गया है लेकिन कलाप (Kalap) के लोगों की बाजार पर निर्भरता कम है। लिंगुड़ा, पपरा, बिच्छू घास और जंगली मशरूम यहां की मुख्य डिश है। खाने-पीने और पहनने ओढ़ने की बहुत सारी चीजें इस गांव में निर्मित होती हैं। कलाप (Kalap) लगभग 3,000 भेड़ों का घर है और कई हथकरघा हैं। बिना रसायनों के प्रयोग के ऊन को प्राकृतिक रूप से रंगा और उससे कपड़ा बुना जाता है।

पौराणिकता और परम्परिक संस्कृति

कलाप में पौराणिकता और परम्परिक संस्कृति दोनों ही देखने को मिलती है। कर्ण का मंदिर होने के नाते इस जगह पर कर्ण महाराज उत्सव भी मनाया जाता है। यह इस जगह पर होने वाला एक विशेष उत्सव है जो दस साल पर आयोजित किया जाता है। नए वर्ष के शुरुआत यानि की जनवरी का महीना कलाप (Kalap) के लिए खास होता है। इस दौरान यहां पांडव नृत्य की परम्परा है, जिसमें महाभारत की विभिन्न कथाओं का मंचन होता है।

कलाप गांव से जुड़ी कुछ खास बातें

कलाप (Kalap) गांव में कर्ण का मंदिर है और इसीलिए यहां कर्ण महाराज उत्सव भी मनाया जाता है. यह विशेष उत्सव 10 साल के अंतराल पर मनाया जाता है. सिर्फ इतना ही नहीं, जनवरी में यहां पांडव नृत्य किया जाता है, जिसमें महाभारत की विभिन्न कथाओं का प्रदर्शन किया जाता है। यह गांव देवदार के घने और खूबसूरत जंगलों के बीच में स्थित है। इस जगह पर आपको सुपिन नदी का खूबसूरत किनारा मिलता है। कलाप पारंपरिक गढ़वाली वास्तुकला का घर है और इसका परिवेश आश्चर्यजनक प्राकृतिक सुंदरता प्रदान करता है, जिसमें बर्फ से ढकी बंदरपंच श्रेणी का दृश्य भी शामिल है।

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travel writer sanjaya shepherd लेखक परिचय

खानाबदोश जीवन जीने वाला एक घुमक्कड़ और लेखक जो मुश्किल हालातों में काम करने वाले दुनिया के श्रेष्ठ दस ट्रैवल ब्लॉगर में शामिल है। सच कहूं तो लिखने और घूमने के अलावा और कुछ आता ही नहीं। इसलिए, वर्षों से घूमने और लिखने के अलावा कुछ किया ही नहीं। बस घुम रहा हूं।