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घुमक्कड़ी

एशिया का एकलौता जीवित क़िला

jaisalmer fort

मेरे अंदर एक खोया हुआ शहर है जिसे मैं अपनी यात्राओं में अक्सर ढूंढ़ता रहता हूं। अपने अंदर के उसी खोए हुए शहर को ढूंढ़ते हुए एक बार फिर से राजस्थान के सबसे ख़ूबसूरत नगर जैसलमेर पहुंचा हूं। वर्तमान में क्या आप किसी ऐसे किले के बारे में सोच सकते हैं जिसमें जीवन अब भी हंसता, बोलता, सांस लेता, खेलता और जिंदा हो ? जी हां, मैं बात कर रहा हूं जैसलमेर के सोनार किले की जिसे जैसलमेर फ़ोर्ट (Jaisalmer Fort) के रूप में भी जाना जाता है। यह किला दुनिया का पूरी तरह से इकलौता लिविंग फोर्ट है जिसमें आज भी सैकड़ों लोग निवास करते हैं। जिसमें घर है, दुकानें हैं और वह सबकुछ है मानवीय बसावट के लिए जिसकी ज़रूरत होती है।

जैसलमेर क़िले (Jaisalmer Fort) को बाहर की तरफ़ से देखते हुए जिस भव्यता का अनुभव होता है अंदर जाने पर उससे भी कहीं भव्य और ख़ूबसूरत नज़र आने लगता है। फिर हमारा दीदार होता है, तमाम छोटी-छोटी दुकानों, मकानों और पर्यटक स्थलों के साथ उन तमाम सैलानियों से जो इस शहर के ना होकर किसी अन्य दुनिया के लोग लगते हैं। उत्सुक आँखें इस अतीत के बिखरे शहर को अपने अंदर सहेज लेने के लिए बेताब दिखती हैं। लोग फ़ोटोग्राफ़ी करते हैं, टैटू बनवाते हैं और जमकर ख़रीददारी करते हैं। ऐसे में कम से कम डेढ़-दो घंटे का समय निकल जाता है पता भी नहीं चलता है।

यह शहर मुझे पसंद और किसी गुज़रे हुए वक़्त की मौजूदगी को बयान करता दिखता है। मैं शहर को बार-बार समझने की कोशिश करता हूं और एक शाम हॉस्टल के कमरे से अकेले निकल पड़ता हूं। मेरा मानना है कि किसी शहर का दिल देखना हो तो शाम का कोई अपना एक वक़्त चुनो और कुछ देर तक पैदल चलो। कल इसी तरह तकरीबन तीन किमी तक मेरा पैदल चलना हुआ और इस दौरान इस शहर से जी भरके बातें हुईं और वह सबकुछ समझ में आया जो यह शहर कहना चाहता है।

अजनबी शहर में खाली सड़कों और अंधेरों रास्तों पर अकेले बढ़ते हुए कई बार खोने का डर रहता है लेकिन अगर शहर राजस्थान का हो तो यह डर कब का मर जाता है। हंसते लोग, संकरी मगर ख़ूबसूरत गलियां, छोटी बड़ी दुकानें, बाजार और बड़ी-बड़ी हवेलियां। बहुत ही रहस्यमयी नगर है ये। एक के बाद एक गली ऐसे खुलती है जैसे कि जीवन खुल रहा हो और उस खुलते हुए जीवन का आप कब अहम हिस्सा बन जाते हैं आपको भी नहीं पता चलता है।

इस शहर में अपनायत दिखा है और कुछ देर बाद आप इस क़दर घुल-मिल जाते हैं कि लोगों के बीच लोगों जैसा व्यवहार करते हैं। लोगों जैसा मुस्कराने, लोगों जैसा हंसने लगते हैं। यही अपनायत है, यह शहर अपनों का बहुत ख्याल रखता है और कुछ ही घंटों में आप उस शहर के हो जाते हैं। इस छोटे से शहर ने दुनिया भर में हो रहे बदलाओं को बहुत ही सलीके से अपनाया है। देश-दुनिया के हज़ारों क़िले राजशाही शासन के समाप्त होने के बाद जब रखरखाव और सही प्रबंध के अभाव में बर्बाद और वीरान हो गए हैं जैसलमेर क़िले (Jaisalmer Fort) के भीतर जीवन और एक अच्छी ख़ासी आबादी का होना एक मिशाल है।

जैसलमेर किले (Jaisalmer Fort) का एक नाम सोनार का किला भी है जो पीले रेत मिश्रित बलुआ मिट्टी से बना है और रात होते ही सोने की तरह पूरे शहर के माथे पर चमक उठता है इसीलिए इसको गोल्डन सिटी कहा जाता है। इसकी ख़ूबसूरती को देखकर ठहरने को मन करता है। मैं सड़क के एक कोने पर खड़े हो इस शहर में बहते हुए जीवन को देखता हूं। किले के अंदर से गुजरती गाडियां, लोग, दुकानें, कैफे, हवेलियां। यह किसी राज्य की भव्यता के प्रतीक हो ना हो लेकिन किले के नौ सौ साल बाद भी जिन्दा होने के प्रतीक हैं।

वह राजाओं वाला राजसी ठाठ तो नहीं है, पर जीवन भरपूर है। यह दुनिया के उन किलो जैसा नहीं है, जो अतीत की निशानी बन वीरान खड़े हैं। यहां चलते-चलते किसी मोड़ पर रुककर आप केशर मिल्क का स्वाद ले सकते हैं, किसी दुकान अथवा कैफे में बैठकर चाय पी सकते हैं। मैंने तो बिल्कुल यही किया। पहले मिल्क पिया, फिर चाय, फिर वेज मंचूरियन और अंत में चने का सूप। चने का सूप यह थोड़ा अलग है ना? मुझे भी काफी अलग लगा इसीलिए तो ट्राई किया।

तकरीबन दो- तीन घंटे घूमने के बाद याद आया कि कहीं बहुत दूर तो नहीं निकल आया लेकिन नहीं, क़िलों की यही तो ख़ास बात होती है, घूम फिरकर आप वहीं होते हैं, उसी की चौहद्दी में, अपने ही आसपास कहीं। छोटे शहर आपको अपने आपमें खो जाने की सहूलियत देते हैं। यह सहूलियत इस शहर ने मुझे भी दिया है और मैं इस शहर में कुछ दिनों के लिए आंखें बंद करके खो जाना चाहता हूं। इस शहर पर लिखने, पढ़ने, समझने और जानने के लिए काफी कुछ है। इतना कुछ कि एक महीने का समय भी कम पड़ जाए लेकिन कुछ-कुछ ही लिखना अच्छा लगता है, और कुछ कुछ आने वाले दिनों के लिए बचा लेना और भी अच्छा। इसलिए कुछ-कुछ लिख रहा हूं, कुछ-कुछ बचा लेना चाहता हूं। सच कहूं तो मैं दुनिया के एक ऐसे जादुई शहर में हूं जो बाकि शहरों से बहुत अलग है।

सच कहूं तो मैं किसी वर्षों पहले खो चुके सपने को जी रहा हूं। यहां का सच एक जादुई यथार्थ है और उसी बहुत बड़े जादुई यथार्थ का मैं एक छोटा सा हिस्सा। इस शहर को मेरी मौजूदगी का ख़्याल रखने आता है।

यह लेख कैसा लगा ज़रूर बतायें और साथ ही यह भी बतायें की अगली बार किस जगह पर घूमना और वहाँ का ब्लॉग पढ़ना चाहते हैं।

travel writer sanjaya shepherd लेखक परिचय

खानाबदोश जीवन जीने वाला एक घुमक्कड़ और लेखक जो मुश्किल हालातों में काम करने वाले दुनिया के श्रेष्ठ दस ट्रैवल ब्लॉगर में शामिल है। सच कहूं तो लिखने और घूमने के अलावा और कुछ आता ही नहीं। इसलिए, वर्षों से घूमने और लिखने के अलावा कुछ किया ही नहीं। बस घुम रहा हूं।