हरिद्वार यात्रा (Haridwar Tourism) : देश में जब कभी भी धार्मिक पर्यटन का विचार आता है तो हमें धर्म की नगरी हरिद्वार याद आती है। आपको बता दूं कि ‘हरिद्वार’ का शाब्दिक अर्थ है, ‘हरि तक पहुंचने का द्वार’। यानि की यहीं से श्रद्धालुओं के लिए मोक्ष का दरवाजा खुलता है और अपनी धार्मिक यात्राओं की इस कड़ी में ज्यादातर लोग यहीं से अपनी चारधाम यात्रा की शुरुआत करते हैं।
मेरी हरिद्वार यात्रा की दिल्ली से शुरुआत
इस यात्रा में मुझे सिर्फ हरिद्वार (Haridwar) घूमना था और अच्छे से घूमना था। इसलिए दिल्ली से मेरी यात्रा की शुरुआत हुई और गंग नहर जिसे छोटा छोटा हरिद्वार कहा जाता है पहुंचा, फिर एशिया के सबसे पुराने चर्च सरधना, फिर पिरान कलियर और तक़रीबन पूरे दिन की यात्रा के बाद हरिद्वार। इस तरह से जो यात्रा पांच से छह घंटे में पूरी हो सकती थी उसे मैंने तक़रीबन दस से बारह घंटे में पूरा किया। बावजूद इसके मैं खुश था क्योंकि यात्रा का सबसे अधिक मज़ा जो है वह मुझे राहों में आता है।
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गंगा नदी के किनारे बसा हरिद्वार भारत के सात सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों अयोध्या, मथुरा, वाराणसी, कांचीपुरम, उज्जैन, द्वारका में से एक है। यह धार्मिक पर्यटन का एक बहुत बड़ा केन्द्र है और सदियों से भारतीय जनमानस में रची-बसी है।
संजय शेफ़र्ड
मुझे अच्छा लगा कि मैंने अपनी हरिद्वार यात्रा में आने वाले उन सभी धार्मिक स्थलों की भी यात्रा की जिनको वैश्विक स्तर पर जाना, समझा और सराहा जाता है। यह तीनों वह जगहें हैं जहां पहुंचना हर एक सैलानी का सपना होता है और देश विदेश से लोग इन धार्मिक स्थलों पर दर्शन के लिए आते हैं।
हरिद्वार का धार्मिक और पौराणिक महत्व
गंगा नदी के किनारे बसा हरिद्वार (Haridwar) भारत के सात सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। हरिद्वार के अलावा इसमें अयोध्या, मथुरा, वाराणसी, कांचीपुरम, उज्जैन, द्वारका शामिल हैं। यह जगह सदियों से पर्यटकों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करता आ रहा है। फिर भला मुझ जैसा घुमक्कड़ इस जगह से कब तक बच पाता। आखिरकार, मेरा भी बातों-बातों में हरिद्वार यात्रा का संयोग बना और मैं भारत की धार्मिक नगरी हरिद्वार पहुंच गया।
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इस शहर में हर साल धार्मिक आयोजन होते रहते हैं जिसकी वजह से पूरे साल पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है जिसकी वजह से उनकी सुविधा का ध्यान रखना इस शहर की प्राथमिकता में है।
संजय शेफ़र्ड
अगर इस जगह के पर्यटन स्थलों की बात करें तो कई सारे घाट और पौराणिक मंदिरों के नाम ज़ेहन में उतर आते हैं। फिर चाहे पौराणिक हरी पौड़ी हो या फिर आधुनिक भारत माता मंदिर हर जगह पर श्रद्धालुओं की भीड़ दिखाई देती है। धर्म, कर्म और पौराणिकता यहां के लोगों के जीवन का एक अहम् हिस्सा बन चूका है जिसकी वजह से हरिद्वार को एक पौराणिक शहर कहा जाता है।
हरिद्वार में घूमने-टहलने की प्रमुख जगहें
हरिद्वार (Haridwar) में घूमने टहलने की जगहों की कोई कमी नहीं है। इस जगह पर इतने घाट और मंदिर हैं कि सभी को देखने में महीनों लग जायेंगे। अगर आप एक दो दिन की यात्रा पर आते हैं तो सभी जगहों पर नहीं जाकर कुछेक महत्वपूर्ण जगहों पर जाने के विकल्प को चुने। जैसे कि हरी की पौड़ी, चण्डी देवी का मंदिर, मनसा देवी का मंदिर, सुरेश्वरी देवी का मंदिर आदि।
हरी की पौड़ी
इस जगह पर रहते हुए मैं सबसे पहले हरी की पौड़ी गया। यह हरिद्वार का सबसे प्रमुख और लोकप्रिय घाट है जिसे राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था। इस जगह के बारे में ऐसी मान्यता है कि इस जगह पर भगवान विष्णु ने अपना पैर रखा था। जिसे गंगा जी हमेशा पखारती रहती हैं। यह एक भीड़भाड़ वाली जगह है जहां काफ़ी चहल-पहल रहती है ऐसी मान्यता है कि इस जगह पर नहाने से इंसान के पूर्व के पाप धूल जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
चण्डी देवी मंदिर
शिवालिक की पहाड़ियों के नील पर्वत पर स्थित चण्डी देवी मंदिर हरिद्वार के प्रमुख धार्मिक स्थलों में आता है। इस प्राचीन मंदिर में चण्डी देवी की पूजा होती है। यह हिन्दू धर्म के 52 शक्तिपीठों में से एक है जिसकी वजह से श्रद्धालुओं के बीच बहुत प्रसिद्ध है। पहाड़ पर और जंगलों के बीच स्थित होने की वजह से आसपास का प्राकृतिक वातावरण काफ़ी अच्छा है।
मनसा देवी मंदिर
हरिद्वार (Haridwar) से तीन किमी की दूरी पर शिवालिक की एक उंची पहाड़ी पर मनसा देवी मंदिर स्थित है। अत्यधिक उंचाई पर होने के कारण इस जगह पर पहुंचने के लिए केबल चार की सुविधा मौजूद है लेकिन एक दो किमी पैदल चलकर भी पहुंचा जा सकता है। आसपास का दृश्य बहुत मनोरम है, यहां आने वाले श्रद्धालु मां मनसा देवी की भक्ति में लीन रहते हैं।
सुरेश्वरी देवी का मंदिर
शहर से सात किमी की दुरी पर रानीपुर के घने जंगलो में सूरकूट पर्वत पर सिध्पीठ माता सुरेश्वरी देवी का मंदिर स्थित है | राजाजी राष्ट्रीय उद्यान के शांत जगंलो में स्थित यह दुर्गा माता का एक प्राचीन मंदिर है जोकि मंदिर देवी दुर्गा और देवी भगवती को समर्पित है। सुरेश्वरी देवी मंदिर का बड़ा ही पौराणिक महत्व है हरिद्वार आने वाले पर्यटक इस जगह पर जाते ही जाते हैं।
हरिद्वार में ठहरने की सुविधा
किसी जगह पहुंचने के बाद सबसे पहली प्राथमिकता ठहरने के लिए एक अच्छी सी जगह ढूंढने की थी। मैंने पता किया तो ठहरने के लिए एक नहीं बल्कि दर्जनों भर विकल्प सामने आये। इस छोटे से शहर में हर साल धार्मिक आयोजन होते रहते हैं जिसकी वजह से पूरे साल पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। इसलिए उनकी सुविधा का ध्यान रखना इस शहर की प्राथमिकता में है। जिसकी वजह से आपको होटल, होमस्टे और धर्मशालाएं बहुत ही आसानी से मिल जाती हैं।
रेलवे स्टेशन के समीप अनगिनत धर्मशालायें है जहां आपको 500 रुपये में एक बढ़िया कमरा मिल जायेगा, शांतिकुंज ठहरने के लिए एक अच्छा विकल्प है। रेलवे स्टेशन के समीप गुजराती समाज धर्मशाला, मुल्तान भवन, के के रेणुका धर्मशाला है। बाकी भूपतवाला में भी निष्काम सेवा ट्रस्ट, तायल धर्मशाला, अग्रवाल भवन जैसी कई धर्मशालाए हैं। होटल की बात करें तो इस जगह पर आपको सभी बड़े होटल ग्रुप के होटल मिल जाते हैं लेकिन यह धर्मशालाओं की अपेक्षा थोड़े महंगे होते हैं।