कई शहर सिर्फ और सिर्फ मेरी स्मृतियों में हैं। इन शहरों में हाल-फिलहाल मैंने कोई यात्रा नहीं किया पर वह शहर मुझे अक्सर याद आ जाते हैं। ऐसा ही उत्तराखण्ड के सीमांत जिले में स्थित एक छोटा सा शहर है ग्वालदम (Gwaldam Hill Station)। इस जगह पर मैं वर्षों पहले गया हुआ था।
शायद, दस-बारह साल पहले रूपकुंड ट्रेक के दौरान। उस वक़्त बहुत ही हड़बड़ी में था। बावजूद इसके मुझे इस जगह ने एक रात के लिए रोक लिया था। मुझे ठहरने के लिए ठिकाना दिया था। हालांकि सुबह होते ही मैंने इस जगह को अलविदा कह दिया था।
हम किसी रास्ते पर होते हैं तो कई शहर मिलते और कई छूट जाते हैं लेकिन कुछ हमारी स्मृतियों में रह जाते हैं।
मैं आगे बढ़ चला लेकिन जब कुछ दिन बाद ट्रेक को सफलतापूर्वक ट्रेक करने के पश्चात लौटा तो उसी पुरानी आवभगत को इस शहर (Gwaldam Hill Station) ने दोहराया। एक और दिन का ठिकाना दिया, एक और दिन का ठहराव लेकिन इससे मेरा मन नहीं भरा।
इस जगह पर (Gwaldam Hill Station) मैं कुछ और दिन रुकना चाहता था बाकि साथ के ट्रेकरों को अलविदा कहा और अपने लिए ठहरने का ठिकाना ढूंढने में लग गया। कई लोगों ने कहा आखिर क्या है इस जगह पर? यह बहुत छोटी सी जगह है, घूमने टहलने के भी ज्यादा विकल्प नहीं, आखिर क्या करोगे यहां पर रहकर?
क्या करूंगा उस समय तो मुझे भी नहीं पता था लेकिन कुछ तो ऐसी बात थी इस छोटी सी खूबसूरत जगह में, यहां के वातावरण और मौसम में जो मुझे रोक रही थी। मैंने अपनी दिल की सुनी और रुक गया और कई दिनों तक देवदार और बांज-बुराँस के घने जंगलों में घूमता रहा और नन्दा घुघंटी, नन्दादेवी व त्रिशूल जैसे मनोरम हिमशिखरो को देखकर खुश होता रहा।
ग्वालदम के जंगलों में एक गजब का सम्मोहन है। शायद, इसी सम्मोहन ने मुझे अपने आप में बांध लिया था। हर दिन सुबह के साथ निकलता और देर शाम को अपने ठिकाने पर आता। इस सुबह और शाम के सफर के दौरान मुझे कई लोग मिले, कई तरह की बातें हुईं, कई जगहों के बारे में जाना।
जैसे कि वह लड़की जो ब्रेकअप के बाद भागकर अपनी पहली सोलो ट्रिप पर आयी थी। जैसे कि वह बिहारी लड़का जो अपने आखिरी अटेम्प्ट में भी यूपीएससी नहीं निकाल पाया था। जैसे कि वह चालीस साल की महिला जिसने एक अच्छा खासा सफल जीवन जी लेने के बाद भी खुदको नहीं तलाश पायी थी। दरअसल, सबकी अपनी-अपनी कहानियां थी और सभी की यात्रा की अपनी-अपनी वजह।
मैंने सबसे बातें कि और लोगों से जाना कि इस जगह पर और क्या है? यह छोटा सा शहर (Gwaldam Hill Station) हर दिन मेरे सामने खुलता गया।
ऐतिहासिक रूप से ग्वालदम (Gwaldam Hill Station) गढ़वाल पहाड़ियों का हिस्सा है और गढ़वाल और कुमाऊं के बीच एक महत्वपूर्ण सीमा रेखा पर स्थित है। रणनीतिक बिंदु पर होने के कारण, यह गढ़वाल और कुमाऊं राजाओं के बीच विवाद का कारण बना रहा। जिसकी वजह से इस जगह पर अतीत में बहुत सी लड़ाई लड़ी गई थी।
ग्वालदम (Gwaldam Hill Station) गढ़वाल और कुमाऊं को तो आपस में जोड़ता ही है, साथ ही सदियों से देशी-विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद रहा है। ब्रिटिश हुकूमत के दौरान यह अंग्रेजों का सबसे पसंदीदा नगर हुआ करता था। जिसकी खास वजह यहां का मौसम, घने और शांत जंगल और बहुत सारे ट्रैकिंग रुट जो इस जगह से होकर गुजरते हैं। यहां तक कि वह ट्रैक जिस पर मैं गया था उसकी शुरुआत भी एक ब्रिटिश ने की थी।
ग्वालदम (Gwaldam Hill Station) ट्रेकर्स के लिए आधार शिविर भी है जो काठगोदाम रेलवे से लॉर्ड कर्ज़न ट्रेल (कुआरी पास), नंदा देवी राज जाट और रूपकंड तक ट्रेकिंग मार्ग पर प्रवेश करते हैं। ग्वालदम को रूपकुंड से जोड़ने के लिए मशहूर ब्रिटिश लार्ड कर्जन ने एक ट्रैक बनाया था जो देवताल, नंदकेश्री, देवल, मुंडोली और वाना गॉन से गुजरता है।
यह ट्रेक हमेशा से ही विदेशियों और ट्रेकिंग प्रेमी के लिए आकर्षण का एक बिंदु रहा है। ग्वालदम (Gwaldam Hill Station) की सुंदरता से अंग्रेज इतने प्रभावित थे कि उन्होंने 19वीं सदी में ही यहां एक सरकारी गेस्ट हाउस का निर्माण करवा दिया था जो आज भी मौजूद है।
एक बूढ़ा यात्री जो काफी यात्राएं कर चुका था उसने मुझसे कहा था कि ग्वालदम की सुंदरता देखने के बाद तुम चाहो तो वाण, वेदनी, रूपकुंड, हेमकुंड के सौंदर्य का अनुभव भी कर सकते हो। उसी ने मुझे बधाणगढ़ी और देवी भगवती के प्राचीन मंदिर के बारे में भी बताया था जोकि गढ़वाल और कुमाऊं के लोगों की अगाध आस्था का केंद्र है।
ग्वालदम (Gwaldam Hill Station) में घूमने टहलने की जगहों की कोई कमी नहीं है। यह जगह आपको नेचर वॉक, कैंपिंग, ट्रेकिंग के अलावा भी कई विकल्प देती है। इस जगह पर आप एक अच्छा समय व्यतीत करने के साथ कई जगहों की सैर और बहुत सारे मंदिरों के दर्शन भी कर सकते हैं।
बदंगारी, ग्वाल्दम नाग, अंगीरी महादेव, मची ताल, बुद्धा मंदिर, पिंडार की नदी स्थलों, रूपकुंड रोड के साथ वन्यजीवन समृद्ध क्षेत्र यहां की घूमने टहलने की प्रमुख जगहें हैं। इसके अलावा लम्बा ग्वालदम भी जा सकते हैं जोकि ग्वालदम (Gwaldam Hill Station) का मुख्य गांव है और ग्वालदम बाजार से तक़रीबन दो किमी की दूरी पर स्थित है। यह कभी अपने प्राचीन डाक-खाने और चाय कारखाने के लिए प्रसिद्ध था।
इस जगह पर जाना चाहते हैं तो निकटतम हवाई अड्डा पंत नगर 250 किमी की दूरी पर है। निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम से 160 किमी की दूरी पर है। ग्वाल्लम सड़क से भी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। रहने के लिए इस जगह पर कई सारे सस्ते और अच्छे विकल्प मिल जाते हैं बाकि वन विभाग और जीएमवीएन का विश्रामगृह तो है ही।