Fake Relationship : कुछ लोग जीवन भर साथ होते हैं पर हमारे लिए कभी खड़े नहीं होते। हमारी जिंदगी में उनकी मौजूदगी एक भरम की तरह होती है। फिर भी हमेशा लगता है कि वह हमारे साथ हैं।
हमारे सुख-दुख, जीवन के उतार-चढ़ाव में साथ हैं। वह अपनी झूठी मौजूदगी के घेरे को इस तरह से बुनते हैं कि हम आप कभी तोड़ ही नहीं पाते और उस इंसान के होने नहीं होने का भरम हमारी जिंदगी का हिस्सा बन जाता है। और ये ताउम्र बना रहता है।
- ये कोई यूनिवर्सिटी का शोध नहीं है बस मैंने अपने पिछले पांच-छह साल के सामाजिक अनुभवों के द्वारा महसूस किया है। क्या पता आप लोग भी ऐसा महसूस किए हों या फिर कर रहे हों लेकिन कभी कह नहीं पाए और अभी भी ऐसे लोगों से घिरे हों जो आपके साथ जीवन भर रहे पर कभी आपके लिए खड़े नहीं हो।
- यह एक ऐसी स्थिति है जो आपको तोड़ सकती है। आप टूटे और बिखरे नहीं इसलिए कुछ मामूली अनुभव आप लोगों के साथ साझा कर रहा हूं।
मैं घूमता हूं तो हजारों लोग मिलते हैं। तकरीबन 7 साल पहले एक दोस्त मिला सोशल मीडिया के जरिये फिर मुलाक़ात हुई दोस्ती आगे बढ़ी और हर साल प्रगाढ़ होने लगी। हम दोनों तरह तरह के आईडिया पर पहले डिस्कस करते और फिर काम करते।
दोनों ग्रोविंग फेज में थे इसलिए साथ-साथ ग्रो कर रहे थे सेम फील्ड में और लगता था कि वह साथ है और वह होता भी था बस उस मोमेंट पर नहीं होता था जब जरूरत होती थी।
कभी फोन बंद हो जाता, कभी और काम आ जाता, कभी कहीं किसी सिचुएशन में फंस जाता। मेरे पास ऑप्शन होते थे और काम किसी और तरीके से पूरा हो जाता था। फिर उसका थोड़ी देर बाद, दो घंटे बाद या फिर एक दो दिन बाद उसका फोन या मैसेज या जाता कि यार फंस गया था तेरा काम हो गया ना ? मैं कहता हां हो गया।
एक दो बार जब उसे मेरे लिए खड़ा होना था और सच में मुझे उसकी जरूरत थी वह फोन पर मुझसे डील कर लिया कि यार मैं साथ हूं पर इस मामले में मैं सामने नहीं आना चाहता।
मैंने कहा ठीक है। क्योंकि मैं कोई कुरुक्षेत्र का युद्ध तो लड़ नहीं रहा था कि मैं हार कट या मर जाऊंगा। वह अपना पक्ष चुनने के लिए स्वतंत्र था और चुन लिया।
उस वक़्त मुझे पहली बार उसकी मौजूदगी खटकी। पिछले कुछ साल का मुआवना किया तो पाया कि वह तो कभी मेरे साथ नहीं खड़ा हुआ है। कभी भी मुझे पब्लिक मंच पर एप्रिसिएट किया है।
हां, वह फोन और डील कर लेता था। बात करके ही मुझे संतुष्ट कर देता था तो मुझे भी लगता रहा कि यार मेरे साथ है। ऐसे ही दो साल और बीत गए, दो चार मौके और आये पर वह साथ होने के बावजूद भी मेरे लिए कभी खड़ा नहीं हुआ।
मैंने, यहां तक सोचा कि फिर हम क्यों दोस्त हैं। यह तक सोचा कि उससे दोस्ती को रफा दफा कर लिया जाए लेकिन पता है मुझे वह कहीं गलत नहीं लगा। उसकी बहुत सारी बातें थी, बहुत सारी यादें थी, बहुत सारे ऐसे पहलू थे जिन्हें मिटाना कहीं से भी अच्छा नहीं लगा।
कई बार तो ये तक लगा कि दोस्ती है बस वह मेरी चीजों के प्रति उदासीन है।
यह भी मन में आया कि इसमें घाटा भी क्या फ्रेंडलिस्ट में 2400 दोस्त हैं तो एक और सही। मैं भी उदासीन रवैया अपना लेता हूं। कोशिश भी किया लेकिन उदासीन नहीं हो पाया। एक दिन खूब अच्छे से सोचा तो अंतत यही बात समझ में आयी कि कुछ लोग जीवन भर साथ होते हैं पर कभी हमारे लिए खड़े नहीं होते।
मुझे पहली बार उसकी मौजूदगी खटकी क्योंकि मेरी लाइफ़ में (Fake Relationship) के लिए कोई जगह नहीं थी। मैंने अपने दिल पर हाथ रखा। पहले सोशल मीडिया और अंत में अपनी जिंदगी से ब्लॉक कर दिया।
ये सही है कि गलत मुझे नहीं पता लेकिन एक बात तो आपको स्वीकारनी पड़ेगी कि जो लोग आपको, आपकी दोस्ती को अपनी पब्लिक लाइफ में नहीं स्वीकार पाते, उनके साथ अगर रिश्ते में हैं तो एक बार आपको भी नए सिरे से सोचने की ज़रूरत है। अपने रिश्ते की एक बार समीक्षा कीजिए। एक एक लमहें के लिए भी रिश्ता फ़ेक (Fake Relationship) लगे तो बाहर निकल जाइये।
चलिए, आशा करता हूँ कि इस सूची को पढ़ने के बाद जब भी आप अगली बार बाहर निकलेंगे तो इस जगह पर जाना पसंद करेंगे और अपने अनुभव स्ट्रोलिंग इंडिया और अपने इस घुमंतू दोस्त के साथ जरूर बाटेंगे।
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