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पर्यटन स्थल

दून घाटी का एक ऐसा शहर जिससे आपको प्यार हो जायेगा

Dehradun tourist places

देहरादून, उत्तराखंड (Dehradun Uttarakhand) : एक ऐसी जगह है जिसका ख्याल आते ही दून घाटी की याद आने लगती है। यह शहर, यहां के लोग, यहां का मौसम सबकुछ बहुत ही खूबसूरत है लेकिन मुझे जो चीज देहरादून की सबसे खास लगती है वह है इसका घाटी में बसा होना। सच कहूं तो घाटी में बसा यह शहर मेरा पहला प्यार रहा है। एक समय था जब थोड़ी सी भी जिंदगी से फुर्सत मिलती थी तो इस शहर में आ जाता था। कुछ दिन समय बिताता और फिर वापस लौट जाता था। इसीलिए, सोचा क्यों न देहरादून ट्रैवल गाइड के माध्यम से इस शहर के बारे में आप लोगों को भी जानकारी दी जाये।

देहरादून का परिचय

यह शहर जितना रहस्य और रोमांच से भरा हुआ है उतना ही पारदर्शी भी है। गहरी आस्थाओं को खुदमें समेटे यह शहर आपके लिए भी अपनी बाहें खुली रखता है। इस जगह पर वह सबकुछ है जो एक सैलानी के तौर पर हम सबको चाहिए होता है। पशु-पक्षी प्रेमियों को लुभाने के लिए अभ्यारण, बैकपैकर्स के लिए राफ्टिंग और ट्रेकिंग की अनुकूलता और बहुत सारी घूमने टहलने की जगहें। देहरादून (Dehradun) के पर्यटन को लोक-लुभावन बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ती हैं।

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देहरादून का मौसम

देहरादून एक घाटी में बसा हुआ शहर है जिसकी वजह से यहां का मौसम काफी ख़ास होता है। गर्मी, बरसात, सर्दी और शरद यहां मुख्‍य मौसम है बाकि तो पूरे साल भर एक समशीतोष्ण जलवायु बना रहता है। इस जगह पर मार्च और अप्रैल से गर्मी का मौसम शुरू हो जाता है और बरसात आने तक बना रहता है। अगर तापमान की बात करें तो गर्मीं के मौसम में 30-35 डिग्री सेल्सियस होता है। जुलाई-अगस्त मानसून का मौसम रहता है, इस दौरान देहरादून (Dehradun) और भी खूबसूरत हो जाता है। देहरादून में सर्दियों का मौसम दिसम्बर के महीने से शुरू होता है और इस दौरान इस जगह का तापमान बहुत नीचे गिर जाता है।

देहरादून कैसे पहुंचे ?

आपको इस ट्रैवल गाइड के माध्यम से बताना चाहता हूं कि देहरादून (Dehradun) जाने के लिए वायु मार्ग, रेल मार्ग और सड़क मार्ग के तीनों विकल्प खुले हुए हैं। वायु मार्ग से यहां पहुंचने के लिए जॉली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादून शहर के केंद्र से लगभग 20 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां से दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिये नियमित उड़ानें मिलती हैं। हवाई अड्डे तक पहुंचने के लिये यात्री किराए पर उपलब्‍ध कैब या टैक्सी ले सकते हैं।

देहरादून रेलवे स्टेशन एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है जो अच्छी तरह से कोलकाता, नई दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे महत्‍वपूर्ण भारतीय शहरों से अच्‍छी तरह जुड़ा हुआ है। स्टेशन शहर के केंद्र के काफी पास स्थित है। जिसकी वजह से ट्रैन से यात्रा कर रहे पर्यटकों को यहां पहुंचने में काफी सहूलियत रहती है।

सड़क मार्ग की बात करें तो देहरादून अच्छी तरह से सरकारी और निजी बसों द्वारा प्रमुख शहरों से जुड़ा है। नई दिल्ली से रात में डीलक्स बसों द्वारा यात्रा करके आसानी से देहरादून पहुंचा जा सकता है। दिन के समय हर घंटे के अंतराल पर कोई ना कोई बस जाती रहती है।

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देहरादून का खानपान?

यह उत्तराखंड का प्रमुख शहर है। इस जगह पर खानेपीने की जगहों की कोई कमी नहीं है। यहां आपको हर तरह के भारतीय व्यंजन आसानी से मिल जायेंगे, लेकिन मेरा सुझाव है की देहरादून में जाकर स्थानीयता का मज़ा लेने के लिए उत्तराखंडी भोजन जरूर ट्राई करें। उत्तराखंडी भोजन में कुमाऊं और गढ़वाल दोनों ही जगहों के व्यंजन आते हैं। यह आपके खाने में विविधता लाएंगे और आपको स्वाद के साथ साथ पौष्टिक भोजन का आनंद भी मिलेगा।

देहरादून में कहां ठहरे ?

ठहरने के लिए देहरादून (Dehradun) में होटल से लेकर होमस्टे तक के तमाम विकल्प मिल जायेंगे। आप चाहें तो हॉस्टल का भी चुनाव कर सकते हैं। यह शहर आपको ट्रेकिंग और कैंपिंग का भी विकल्प देता है। यदि आप कैंपिंग का मज़ा लेना चाहते हैं तो आपको शहर से थोड़ा दूर या फिर शहर से बाहर जाना पड़ेगा।

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घूमने की जगहें

अगर अभी तक आप देहरादून (Dehradun) नहीं घूमे हैं तो प्लॉन बना लीजिए। इस ट्रैवल गाइड में मैं आपको इस जगह से जुड़ी एक एक बात बताने वाला हूं ताकि आपकी यात्रा मजेदार और यादगार बन सके। दिल्ली से तकरीबन छह घंटे की दूरी पर स्थित इस शहर में वन अनुसंधान संस्थान, आसान बैराज, बुद्धा टेम्पल, रावर्स केव, सहस्रधारा, टपकेश्वर मंदिर, राजा जी नेशनल पार्क, माल देवता और गुरु राम राय दरबार साहिब जैसी जगहें आपका मन मोह लेंगी।

1- आसन बैराज

देहरादून (Dehradun) से तकरीबन 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश को जोड़ने वाली आसन झील का अपना एक अलहदा इतिहास है। यह जगह उन विदेशी मेहमानों के लिए प्रसिद्ध है जो हजारों किलोमीटर की उड़ान भरकर यहां पर आते हैं। जी, हां आसन बैराज साइबेरियन पक्षियों के लिए प्रसिद्ध जगह है। इन्हीं विदेशी मेहमानों को देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में पर्यटक आसन बैराज का रुख करते हैं।

आसान बैराज में दिखने वाले ज्यादातर पक्षी आईयूसीएन की रेड डाटा बुक द्वारा लुप्त प्रजातियों के रूप में सूचीबद्ध किए गए हैं। यहां पर पहुंचने के बाद ग्रेटर स्पॉटेड ईगल्स, ऑसप्रे, मल्लाड्र्स, रेड क्रेस्टेड पोचाड्र्स, कूट्स, कोर्मोरंट्स, एग्रेट्स, वाग्तैल्स, पोंड हेरोंस, पलस फिशिंग ईगल्स, मार्श हर्रिएर्स और स्टेपी ईगल्स को देख सकते हैं।

गर्मियों के मुकाबले में यहां सर्दियों के मौसम में विभिन्न प्रवासी पक्षियों की आमद ज्यादा रहती है। अक्टूबर से नवंबर और फरवरी से मार्च तक का समय पक्षियों को देखने का सबसे अच्छा समय माना जाता है।

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2- बुद्धा मॉनेस्ट्री

आईएसबीटी से महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर तिब्बती समुदाय का धार्मिक स्थल बुद्धा टेंपल स्थित है। जिसे बुद्धा मॉनेस्ट्री या बुद्धा गॉर्डन के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा बताया जाता है कि तिब्बती समुदाय द्वारा इस मंदिर की स्थापना 1965 ई. में की गई थी। मंदिर का अदभुत दृश्य टूरिस्ट को अपनी ओर खींचता है। जानकारों की माने तो इस मंदिर को गोल्डेन कलर देने के लिए पचास कलाकारों को तीन साल का लंबा वक्त लगा था।

क्लेमेनटाउन स्थित यह स्तूप रोजाना सुबह नौ बजे लोगों के खोल दिया जाता है। 185 वर्ग फुट की ऊंचाई और 100 फुट की चौड़ाई में बना यह दुनिया का सबसे बड़ा स्तूप है और यह बौद्ध कला व स्थापत्य कला का एक शानदार नमूना है। यह स्तूप दो एकड़ में फैले गार्डन से घिरा हुआ है। इसके मुखौटे पर सुंदर नक्काशी की गई है।

3- एफआरआई

देहरादून क्लॉक टॉवर से महज कुछ ही किलोमीटर की दूरी उत्तराखंड का सबसे पुराना संस्थान स्थित है। अगर इसके इतिहास बारे में बात की जाए तो ( ब्रिटिश काल ) 1878 में ब्रिटिश इंपीरियल वन स्कूल स्थापित किया गया। फिर 1906 में ब्रिटिश इंपीरियल वानिकी सेवा के तहत इंपीरियल वन अनुसंधान संस्थान (आईएफएस) के रूप में इसकी पुनस्र्थापना हुई। एफआरआई में सात म्यूजियम हैं। इन सबमें वनस्पति विज्ञान से तत्वों को संग्रहित किया गया है।

एफआरआई अपने भवनों और यहां के शांतिप्रिय वातावरण के कारण बॉलीवुड के लिए भी आकर्षण का केन्द्र रहा है। कई बड़े फिल्म निर्माता एफआरआई कैंपस में अपनी फिल्म की शूटिंग कर चुके हैं। स्टूडेंट ऑफ द ईयर और पान सिंह तोमर जैसी बड़ी फिल्में एफआरआई में शूट हो चुकी हैं।

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4- रॉबर्स केव

राजधानी देहरादून (Dehradun) से लगभग 18 किलोमीटर दूर स्थित एक अद्भुत गुफा है। लगभग 650 मीटर लंबी और काफी सक्रिय कहे जाने वाली यह अद्भुत गुफा डरावनी होने के साथ-साथ काफी रहस्यपूर्ण भी है। लोग कहते हैं कि अंग्रेजी शासन में जब डकैत डकैती करने जाते थे तो उसके बाद इसी गुफा में आकर छुप जाते थे।

इसके रहस्यपूर्ण रास्तों के कारण अंग्रेजी सेना यहां पहुंच नहीं पाती थी और डकैत डकैती का सामान लेकर बच निकलने में कामयाब हो जाते थे लेकिन आज यह रहस्यमयी गुफा लोगों के लिए कौतूहल का विषय बनी हुई है। काफी संख्या में दूर-दूर से यहां पर पर्यटक आते हैं। इस गुफा के चारों तरफ से पानी की धाराएं निकलती है और यह पानी इतना साफ और स्वच्छ है कि चांदी की तरह इस पानी में पत्थर भी चमकते रहते हैं।

5- सहस्त्रधारा

देहरादून (Dehradun) से मात्र 16 किलोमीटर की दूरी पर राजपुर गांव के पास एक अनोखी जगह है। सहस्रधारा जाने के लिए पक्‍की सड़क है। तीन पहाडियों को पार कर सहस्रधारा तक पहुंचा जा सकता है। पहाड़ी से गिरते हुए जल को यहां प्राकृतिक तरीके से संचित किया गया है। यहां से थोडी दूर एक पहाड़ी के अंदर प्राकृतिक रूप से तराशी हुई कई छोटी छोटी गुफाएँ है, जो बाहर से स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देती किंतु इन गुफाओं में जब प्रवेश करते है तो देखते हैं कि गुफाओं की छत से अविरत रिमझिम हल्की बारिश की बौछारें टपकती रहती है। बस यही सहस्त्रधारा है। यहां स्थित गंधक झरना त्वचा की बीमारियों की चिकित्सा के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध रहा है। लेकिन अब सहस्रधारा से अविरल झरता पानी प्रकृति के साथ हुए अत्‍याचार पर आंसू बहाता प्रतीत होता है।

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6- टपकेश्वर मंदिर

देहरादून (Dehradun) शहर के बस स्टैंड से 5.5 किमी दूर स्थित तमसा नदी के तट पर स्थित एक मंदिर है। जिसे टपकेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह लोकप्रिय गुफा मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।

मंदिर गुफा में एक शिवलिंग है। गुफा की छत से पानी टपकता रहता है, जो सीधे शिवलिंग पर गिरता है। मंदिर के चारों ओर सल्फर वाटर का झरना गिरता है। सल्फर वाटर स्किन से संबंधित बीमारियों के लिए काफी लाभदायक होता है। शिवरात्रि के अवसर पर भारी संख्या में श्रद्धालु इस मंदिर में आते हैं। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती के शुभ विवाह समारोह आयोजित करने की अनोखी परम्परा निभाई जाती है।

7- राजाजी नेशनल पार्क

देहरादून (Dehradun) से 23 किमी की दूरी पर राजाजी नेशनल पार्क स्थित है। 830 वर्ग किमी के क्षेत्रफल में फैला यह पार्क 1966 में स्थापित किया गया था। राजाजी नेशनल पार्क अपने पारिस्थितिकी तंत्र के कारण जाना जाता है। यह वास्तव में एक नहीं तीन पार्कों राजाजी, मोतीचूर और चिल्ला रेंज के अंतर्गत आता है। जिस कारण यहां की प्राकृतिक छटा बरबस ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। 1983 में इन तीनों पार्कों को मिला कर एक कर दिया गया था। जिसे राजाजी नेशनल पार्क का नाम दिया गया। यह पार्क हाथी की आबादी के लिए जाना जाता है। इस पार्क में स्तनधारियों की 23 और पक्षियो की 315 प्रजातियां पाई जाती हैं।

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8- गुरु राम राय स्मारक

देहरादून (Dehradun) शहर के सेंटर में स्थित दरबार गुरु राम राय महाराज महान स्मारक का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। देहरादून शहर का नाम इसी गुरु राम राय की बदौलत ही है। गुरु राम राय सातवें सिख गुरू हर राय के बड़े पुत्र थे जिन्होंने दून घाटी में अपना डेरा डाला था। 1676 में डेरा और दून के बाद में देहरादून बन गया। दरबार साहिब की अपनी अलग मान्यता है।

यहां हर साल लगने वाले झंडा जी मेले में हजारों की संख्या संगतें देश व विदेश आती हैं। झंडा जी मेला दून का सबसे बड़ा लगने वाला मेला है। झंडा जी की भी अपनी अलग मान्यता है। झंडा जी पर शनील के गिलाफ चढ़ाने के लिए श्रद्धालुओं को सालों पहले से आवेदन करना पड़ता है। फिर वर्षों बाद किसी श्रद्धालु को झंडा जी पर गिलाफ चढ़ाने का मौका मिलता है।

9- माल देवता

प्रकृति के गोद में बसा माल देवता का दृश्य देखते ही बनता है। यहां की सुबहें काफी खूबसूरत और ताजगी भारी होती हैं। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य सैलानियों का मन मोह लेती है। कहते हैं कि देहरादून आए और माल देवता नहीं घूमें तो आपने बहुत कुछ मिस कर दिया। माल देवता में पहाड़ों से गिरने वाले छोटे-छोटे झरने मन को मोह लेते हैं। यहां का प्राकृतिक वातावरण लोगों को इस जगह पर आकर वक्त गुजारने पर मजबूर कर देता है। टेंट और कैम्पिंग के शौकीन लोग यहां आकर अपना शौक पूरा कर सकते हैं। मेरा भी किसी खूबसूरत पहाड़ पर कलकल बहती नदी के किनारे टेन्ट लगाने का सपना यहीं आकर पूरा हुआ था।

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travel writer sanjaya shepherd लेखक परिचय

खानाबदोश जीवन जीने वाला एक घुमक्कड़ और लेखक जो मुश्किल हालातों में काम करने वाले दुनिया के श्रेष्ठ दस ट्रैवल ब्लॉगर में शामिल है। सच कहूं तो लिखने और घूमने के अलावा और कुछ आता ही नहीं। इसलिए, वर्षों से घूमने और लिखने के अलावा कुछ किया ही नहीं। बस घुम रहा हूं।