भारत में पर्यटन के सबसे तेजी से विकसित होने वाले रूपों में से एक डार्क टूरिज्म भी है। डार्क टूरिज्म क्याहै ? यह भारत में तेजी से क्यों विकसित हो रहा है ? डार्क टूरिज्म अच्छा होता है या फिर बुरा ? आज इस ब्लॉग में हम इन्हीं तमाम बातों को संक्षिप्त रूप से समझने का प्रयास करेंगे। साथ ही साथ भारत में डार्क टूरिज्म की सबसे बड़े डेस्टिनेशन कौन-कौन से हैं? इस बात को भी विस्तृत रूप से जानेंगे। यह ब्लॉग जितना अच्छा है उतना ही दुखद भी पर इन जगहों के बारे में जानना काफी दिलचस्प है।
डार्क टूरिज्म क्या होता है ?
डार्क टूरिज्म से सीधा-सीधा तात्पर्य ऐसी जगहों से है, जहां पर कोई डार्क हिस्ट्री जुड़ी हो। ऐसी जगहें जहां से कोई डार्क हिस्ट्री जुड़ी होती है उनके बारे में हम इंसानों की उत्सुकता ज्यादा होती है। हम ऐसी जगहों के बारे में पढ़ना, जानना, समझना और देखना चाहते हैं। इन्हीं बातों को ध्यान में रहते हुए दुनिया भर में इस तरह की जगहों को विकसित किया जाने लगा है।
भारत में ऐसी बहुत सारी जगहें हैं जो प्राकृतिक रूप से बनी या फिर कृत्रिम तरीके से बनाई गईं हैं। इस ब्लॉग में आज मैं आप सभी को उन्हीं के बारे में बताने वाला हूं लेकिन उससे पहले आप लोगों को यह बता देता हूं कि डार्क टूरिज्म भारत में तेजी से क्यों विकसित हो रहा है।
यह क्यों विकसित हो रहा है ?
डार्क टूरिज्म के अंतर्गत अक्सर उन जगहों को यात्रा के रूप में वर्णित किया जाता है जिनमें मृत्यु, रहस्य और दर्द का अनुभव होता है। यह उन लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है जो इतिहास को जानने में गहरी रुचि रखते हैं और उन अनकही कहानियों का पता लगाना चाहते हैं जो अतीत की गहराई में दफ़्न हैं।
यह कहानियां और जगहें जाहिर तौर पर भीषण और डरावनी होती हैं। बावजूद इसके अपने अपरंपरागत स्वभाव और अनुभव के कारण लोगों में रूचि को जन्म देने वाली होती हैं। लोग इसी रूचि के कारण इन जगहों के बारे में जानना और यात्रा करना चाहते हैं। जिसकी वजह से यह जगहें लोकप्रिय होती जाती हैं और लोग इन्हें एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में विकसित कर देते हैं।
डार्क टूरिज्म अच्छा है या बुरा ?
यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल है। डार्क टूरिज्म, अथवा डार्क हिस्ट्री का नाम सुनकर हमारे मन में ख्याल आता है कि डार्क टूरिज्म जैसी चीज सही नहीं, लेकिन यह एक गलत अवधारणा है। डार्क टूरिज्म उन जगहों को विकसित करने, जानकारी जुटाने में जहां सहायक होता है वहीं स्थानीय स्तर पर रोज़गार भी पैदा करता है और यह उतना ही अच्छा है जितना कि टूरिज्म के बाकी अन्य सेक्टर हैं। इसलिए, ऐसी जगहों के बारे में आप लोगों को जानना चाहिए और विकसित होने का मौका देना चाहिए।
भारत में डार्क टूरिज्म
सवाल यह आता है कि भारत में डार्क टूरिज्म की इकाइयां कौन-सी हैं ? डार्क टूरिज्म के डेस्टिनेशन कौन-कौन से हैं ? भारत में डार्क टूरिज्म की सैकड़ों इकाईयां और डेस्टिनेशन हैं बावजूद इसके यह नया है क्योंकि यह काफी बाद में संज्ञान में आया। अभी भी लोग इस बात से अनभिज्ञ हैं कि डार्क टूरिज्म क्या होता है? लेकिन जैसे-जैसे भारत में पर्यटन का विस्तार हो रहा है इससे जुड़े नए-नए सेक्टर डेवलप होते जा रहे हैं। कुछ डार्क साइट्स जो भारत में सबसे ज्यादा पॉपुलर हैं अब उनकी बात करते हैं।
लेक ऑफ़ स्केलटन, रूपकुंड
यह उत्तराखंड के चमोली जिले में समुद्र तल से तक़रीबन 5000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बहुत ही विचित्र और रहस्यमयी जगह है। यहां पर एक झील है जिसमें 200 से भी ज्यादा नरकंकाल हैं। वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि ये सभी नरकंकाल नौवीं शताब्दी यानि कि बारह सौ से तेरह सौ साल पुराने हैं।
इस जगह और झील से जुड़ी एक नहीं बल्कि दर्जनों कहानियां हैं। लेकिन यह नरकंकाल किसके हैं ? इनकी सामूहिक मौत कैसे हुई ?स्पष्टतौर पर किसी को नहीं मालूम। हालांकि यह बात सामने आ चुकी है कि सभी के सिर में चोट है और अधिकतर लोगों की मौत सिर पर बॉल के आकार की कोई चीज के गिरने से हुई है।
यह एक ग्लेशियर लेक है। इस जगह तक पहुंचना बहुत ही कठिन और दुर्गम है बावजूद इसके इस जगह पर लोग पहुंचते हैं। अब इस जगह को लेकर पर्यटन की तमाम संभावनाएं विकसित होने लगी हैं। झील पूरे साल अधिकांश समय जमी रहती है, लेकिन जब झील पिघलती है, तो मांस, बाल और कंकाल के अवशेष यहां पाए जाते हैं।
क़ुतुब मीनार, डार्क टूरिज्म
क़ुतुब मीनार जिसे ईंट की बनी दुनिया की सबसे बड़ी ईमारत के तौर पर जाना जाता है, उससे जुड़े कई तथ्य चौंकाने वाले तो कई तथ्य ऐसे भी सामने आते हैं जो आज भी लोगों के लिए रहस्य बने हुए हैं। लोग कहते हैं कि कई तथ्यों को खोजकर्ताओं ने जानबूझ कर ही दबा रहने दिया ताकि इस ईमारत की शानो शौकत पर कोई आंच नहीं आए।
कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि क़ुतुबमीनार में कई अनचाही शक्तियों का वास है। इस बात में कितनी सच्चाई है यह कहना मुश्किल है लेकिन यहां कुछ वर्षों पहले हुए एक हादसे के कारण क़ुतुबमीनार का दरवाज़ा बंद कर दिया गया था। बात 4 दिसम्बर 1984 की है उस दिन मीनार पर चढ़ने वालों की संख्या 400 से भी ज्यादा थी। इसी बीच लाइट चली गई और अंदर भगदड़ मच गई जिसकी वज़ह से 45 लोगों की मौत हो गई।
इस हादसे में मरने वाले ज्यादातर स्कूल के बच्चे थे जो ग्रुप टूर पर आये थे। तभी से ही पर्यटकों के लिए क़ुतुबमीनार का दरवाजा ऊपर जाने हेतु बंद कर दिया गया। कुछ लोग हादसे में शिकार हुए लोगो की आत्माओं के भटकने की बात करते हैं। लोगों का ऐसा भी मानना है कि क़ुतुब मीनार में कई छुपी हुयी कब्रे भी मौजूद हैं। इस बात को उस वक़्त हवा मिली जब 1914 में इल्तुतमिश की कब्र को खोजा गया। यह जगह देश दुनिया में बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है।
सेल्यूलर जेल, डार्क टूरिज्म
कालापानी की सजा के बारे में तो आप लोगों ने सुना ही होगा। भारत में कालापानी की सजा अंग्रेजों के समय में बहुत बड़ी सजा मानी जाती थी। बड़े से बड़े लोग इस जेल का नाम सुनकर कांप जाते थे। बड़े बुजुर्ग आज भी कहते हैं कि कालापानी की सजा है क्या ? दरअसल, वह सेल्यूलर जेल की बात करते हैं। इस जेल का निर्माण 1906 में भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को यातना देने के लिए ब्रिटिश हुकूमत ने करवाया था। जो कैदी सजा पाकर इस जेल में पहुंचता था उसे ही काला पानी की सजा कहा जाता था।
हमारे बहुत सारे भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को यह सजा हुई और उन्होंने इस जेल को जीवित कर दिया।
सेलुलर जेल में अभी भी वह सभी उपकरण हैं जो कैदियों को दंडित करने के लिए इस्तेमाल किया गया था। यह एक दुःखद तस्वीर पेश करता है और आगंतुकों को यात्रा के बाद तीव्र अवसाद महसूस होता है। यह जगह अंग्रेजों की बर्बरता की कहानी बताती है। फिर भी लोग इस जगह को जानने, समझने और देखने की दिलचस्पी रखते हैं।
कुलधरा गांव, डार्क टूरिज्म
यह एक ऐसे गांव की कहानी है जो अभी भी मौजूद है। यह एक श्रापित गांव है जो दोबारा कभी नहीं बस पाया और खण्डहरों के रूप में जैसलमेर के राज्य मंत्री सलीम सिंह के उत्पीड़न की कहानी बयां करता है। कहानी यह है कि सलीम सिंह, जिसकी नजर कुलधरा गांव की एक खूबसूरत लड़की पर थी। वो लड़की के पीछे पागल था और किसी तरह से उसे पा लेना चाहता था। इसके लिए ब्राह्मणों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। लड़की के घर संदेश भिजवाया कि यदि लड़की नहीं मिली तो वह गांव पर हमला करके लड़की को उठा ले जाएगा। गांववालों के लिए यह मुश्किल की घड़ी थी। उन्हें या तो गांव बचाना था या फिर अपनी बेटी।
गांव वालों ने गांव खाली करने का निर्णय कर लिया और रातों-रात सभी गांव छोड़कर चले गए।
शहर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कुलधरा गांव हमेशा पर्यटकों के बीच एक जाना माना नाम रहा है। किंवदंतियों और मिथकों के कारण इस गांव को एक डरावना गांव कहा जाता है। गांव में और उसके आस-पास भूतिया और असामान्य गतिविधियों की कहानियां रही हैं लेकिन कभी भी प्रमाणिक नहीं हुईं। वर्तमान में कुलधरा गांव अपनी स्थापत्य सुंदरता और इतिहास की जीवंतता के लिए पर्यटकों हेतु एक रोमांचक जगह है।
यूनियन कार्बाइड सहायक संयंत्र, भोपाल
भोपाल गैस त्रासदी को दुनिया की सबसे खराब औद्योगिक आपदा माना जाता है। 3 दिसंबर 1984 की रात को भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी के कारखाने से एक ज़हरीली गैस का रिसाव हुआ। जिससे लगभग 15000 से अधिक लोगो की जान गई तथा बहुत सारे लोग अनेक तरह की शारीरिक अपंगता से लेकर अंधेपन के भी शिकार हुए।
इस पूरी घटना को भोपाल गैस कांड अथवा भोपाल गैस त्रासदी के नाम से जाना जाता है।
यह दुनिया की एक ऐसी औद्योगिक घटना है जो किसी के भी रोंगटे खड़े कर देती है। इसमें 5 लाख से अधिक लोगों को 42 टन मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के संपर्क में लाया गया था, जिसे एक अत्यधिक विषाक्त पदार्थ माना जाता है। लोगों ने अपने फेफड़ों में जलन की सूचना दी और हजारों लोग तुरंत मर गए। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, मरने वालों की संख्या 3,787 हो गई। अधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या 2,259 थी। लेकिन इस घटना के बाद भी गैस का प्रभाव बना रहा और लोग मरते रहे।
आज, यह साइट भारत में सबसे लोकप्रिय अंधेरे पर्यटन स्थलों में से एक है।
ताजमहल, डार्क टूरिज्म
ताज महल को ‘दुनिया के 7 अजूबों’ में से एक के रूप में जाना जाता है और यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है। कई लोग इस जगह को एक प्रेम की निशानी के तौर पर देखते हैं तो ये कई लोगों के लिए दर्द का कारण रहा है। शायरों ने भी इसकी खूबसूरती को साथ रखते हुए इस पर शायरियां लिखी हैं। किसी ने लिखा है कि बादशाह ने ताजमहल बनाकर हम गरीबों को मोहब्बत की निशानी दी है तो किसी ने लिखा है कि बादशाह ने ताजमहल बनाकर हम गरीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मज़ाक।
इस बीच एक कहानी यह भी है कि ताजमहल के निर्माण के साथ शाहजहां ने मजदूरों के अंगूठे काट दिए थे ताकि दुनिया में कोई इससे खूबसूरत ईमारत नहीं बना सके। इस बात में कितनी सच्चाई है इस बात की कोई पुष्टि नहीं की जाती लेकिन यह सच है कि ताजमहल एक मकबरा यानी कि किसी की मौत की निशानी है इसलिए इस जगह पर हर साल देश-विदेश से लाखों सैलानी आते हैं और इस अद्भुत इमारत को देखते और प्रेम की निशानी के तौर पर अपनी तस्वीरें खिंचवाते हैं।
बताया जाता है कि उनकी अपनी पत्नी, मुमताज महल ताजमहल के ठीक नीचे अपनी कब्र में सोती हैं।
जलियांवाला बाग, अमृतसर
जलियांवाला बाग भारतीय इतिहास और अंग्रेजों की निर्दयता का एक ऐसा काला अध्याय है जो कभी नहीं मिटेगा। यह सिविलियन पर की गई सबसे बड़ी घटना के रूप में जानी जाती है। यह घटना ब्रिटिश भारतीय सेना के तत्कालीन कार्यवाहक ब्रिगेडियर-जनरल रेजिनाल्ड डायर की क्रूरता की कहानी कहती है। 13 अप्रैल, 1919 को अपनी सेना के जवानों को अमृतसर के जलियांवाला बाग में उसने बिना कोई पूर्व सूचना दिए निहत्थे नागरिकों की भीड़ में राइफलें फायर करने का आदेश दे दिया था।
इस सार्वजनिक उद्यान में कुल पांच प्रवेश द्वार थे, सभी को बंद कर दिया गया था और जब तक उनके सभी गोला-बारूद लगभग समाप्त नहीं हो गए, तब तक सैनिकों ने गोलाबारी जारी रखी। इस घटना में लगभग 1,000 लोग मारे गए थे और 1,500 घायल हुए थे। इस जगह पर आकर लोग भारत माता के उन सच्चे सपूतों को याद करते हैं जिन्होंने भारत को आज़ादी दिलाने के लिए अपने सीने पर गोलियां खाईं। उस समय इतनी गोलियां और गोले बारूद चले थे कि दीवारों पर जगह-जगह छेद हो गया था।
इस जगह को वर्तमान में एक पर्यटक स्थल के तौर विकसित कर दिया गया है। दीवारों में गोलियों के छेद को देखने के लिए लोग इस स्थान पर जाते हैं।