अगर आप दक्षिण भारत की यात्रा पर हों और कूर्ग नहीं देखा तो समझो की आपकी यात्रा अधूरी है। ऐसा मुझसे ट्रेन में बैठते ही एक युवक ने कहा तो सामान को दुरुस्त करते मेरे हाथ अचानक ही रुक गए। मेरा ध्यान बरबस उसकी तरफ चला गया। वह कोई सात फ़ीट लंबा कद-काठी का आदमी मेरे सामने वाली सीट पर बैठा सुड़क-सुड़ककर चाय पी रहा था। आखिरकार मुझे पूछना पड़ा भला ऐसा क्यों? उसने पूछा वैसे आप कहां-कहां जाने वाले हैं ? मैंने कहा मुन्नार और वायनाड। जब आप दो जगह जा ही रहें है तो भला कूर्ग (Coorg) से क्या नाराज़गी? मेरी मानिये तो इस यात्रा में कूर्ग को भी शामिल कर लीजिए बाकि आपकी मर्जी।
मैंने उनकी बात का कोई जवाब नहीं दिया, वह अपनी चाय पीने में दोबारा व्यस्त हो गए।
मैंने रवीन्द्र कालिया जी की लिखी किताब ग़ालिब छुटी शराब को अपने बैग से निकालकर सीट पर रख लिया। सच कहूं तो यात्रा में किताबें पढ़ना मुझे बिल्कुल भी नहीं पसंद, पर इसे आदत कहें या फिर किताबों के प्रति लगाव, हर सफर में अपने पसंद की दो-चार किताबें रख ही लेता हूं। इस सफर में भी रख लिया था लेकिन जब से उस सज्जन की बात सुनी कि कूर्ग (Coorg) नहीं देखा तो आपकी यात्रा अधूरी है तो किताब पढ़ते-पढ़ते कूर्ग जाने का ख्याल मन पर हावी हो गया। इसलिए ट्रेन बंगलौर पहुंची तो बिना किसी संशय और संदेह के मैंने कूर्ग जाने वाली बस पकड़ ली।
बंगलौर से कूर्ग (Coorg) की यात्रा
यात्रा में जगहों के साथ-साथ राहों का भी अपना रोमांच होता है। मुझे जितनी जगहें अच्छी लगती हैं, उतने ही अच्छे लगते हैं वहां तक पहुंचाने वाले रास्ते। बंगलौर से कूर्ग (Coorg) जाने के लिए कई मार्ग हैं। आपके द्वारा चुने गए मार्ग, यातायात और कार की गति के आधार पर, आपकी यात्रा का समय अलग-अलग हो सकता है। फिर भी यह मानकर चलिए कि 245 किमी की दूरी आप छह घंटे में पूरी कर सकते हैं। मुझे भी इस यात्रा में लगभग इतना ही समय लगा। रास्तों की खूबसूरती में खोने के अलावा रास्ते में पड़ने वाले स्थानों के बारे में जानकर मुझे काफी अच्छा लगा।
बंगलौर से कूर्ग जाने के मार्ग
बंगलौर से कूर्ग (Coorg) जाने के लिए कुशलनगर रूट, चन्नारायणपटना रूट, नागरहोल तीन सबसे लोकप्रिय मार्ग हैं। इन सभी मार्गो की अपनी-अपनी एक अलग खासियत है। कुशलनगर रूट लेने पर आप रामनगर, माद्या, कुशलनगर, मदिकेरी और अंत में कूर्ग पहुंचेंगे। इस मार्ग पर भगमंदला मंदिर, अब्बे जल प्रपात और नामद्रोलिंग तिब्बती मठ आते हैं। चन्नारायपटना रूट कन्नूर पहुंचने से पहले चन्नारायपटना रूट हसन और सकलेशपुर तक पहुंचता है। इस मार्ग पर आने वाले पर्यटकों के आकर्षण में सेनेकसेवा मंदिर, मंजराबाद फोर्ट, बिसले घाट, बेलूर और हलीमेदु हैं। नागरहोल मार्ग चुनते हैं तो आप रामनगर, मांड्या, नागरहोल और गोनिकोप्पल होते हुए कूर्ग पहुंचेंगे।
मैंने अपने लिए नागरहोल मार्ग का चुनाव किया और नागरहोल नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व तथा निसरगधामा वन से गुजरना कभी नहीं भूलने वाली स्मृतियों में दर्ज हो गया।
प्रकृति प्रेमियों का स्वर्ग कूर्ग
कर्नाटक के दक्षिण पश्चिम भाग में पश्चिमी घाट के पास स्थित कूर्ग पहाड़ियों और हरे-भरे जंगलों से घिरी इतनी खूबसूरत जगह है कि लोग इसे भारत का स्कॉटलैंड और कर्नाटक का कश्मीर कहते हैं। कूर्ग की सड़कों से गुजरते हुए सुंदर घाटियों, रहस्यमयी पहाड़ियों, कॉफी और चाय के बागानों को देखना रोमांच से भर देता है। कर्नाटक के पूर्वी और पश्चिमी ढलानों के सौंदर्य ने मुझे काफी प्रभावित किया और मैंने अपने ठहरने के लिए यहीं पर एक कॉटेज ले लिया।
कूर्ग की संस्कृति और परंपरा
संस्कृति और परंपरा की दृष्टि से कुर्ग (Coorg) अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है। इस जगह पर मनाये जाने वाले त्यौहारों में हुट्टारी, मेरकारा दसारा, केल पोदू और कावेरी संक्रमण की जबरदस्त धूम देखने को मिलती है। जिसमें आपको स्थानीय खानपान और पहनावे का भी मिश्रण देखने को मिल जाता है। कूर्ग की आबादी में एक बहुत बड़ा जनजातीय बाहुल्य क्षेत्र भी आता है। जिनमें कोदावा, तुलु, गोवडा, कुदीयास और बुंटास कई जनजाति समुदाय शामिल है।
कूर्ग के प्राचीन इतिहास की झलक
देश की आजादी के बाद राज्यों के पुर्नगठन के दौरान कूर्ग (Coorg) कर्नाटक राज्य का हिस्सा बना। आज़ादी से पहले कूर्ग पर अंग्रेजों की हुकूमत थी। इस छोटे से जिले में तीन तालुक आते है- मादीकेरी, सोमवारापेटे और वीराजापेटे। मादीकेरे को कूर्ग का मुख्यालय माना जाता है। कूर्ग के नाम यानि कोडगू की उत्पत्ति को लेकर कोई स्पष्ट मत नहीं है। कुछ लोगों का मानना है कि कोडगू शब्द की उत्पत्ति क्रोधादेसा से हुई है जिसका अर्थ होता है कदावा जनजाति की भूमि।
कूर्ग में घूमने-टहलने की कुछ जगहें
कूर्ग (Coorg) को दक्षिण भारत का हॉलिडे गेटवे कहा जाता है। इस जगह पर घूमने टहलने वाली जगहों की कोई कमी नहीं है। अब्बे फॉल्स, इर्पू फॉल्स, मदिकेरी किला, राजा सीट, नालखंद पैलेस और राजा की गुंबद जैसी जगहें कूर्ग को समृद्ध बनाती हैं। धार्मिक आस्था रखने वाले लोग भागमंडला, तिब्बती गोल्डन मंदिर, ओमकारेश्वर मंदिर और तालकावेरी घूमने जा सकते हैं। चिलावारा फॉल्स, दुबारे एलीफेंट कैम्प, हरंगी बांध, कावेरी निसारगदामा, होनामाना केरे और मंडलपट्टी कूर्ग में स्थित कुछ ऐसी जगहें हैं जहां आपको भरपूर जैव विविधता देखने को मिलेगी।
कूर्ग की वादियों में कॉफी का स्वाद
कूर्ग (Coorg) को दुनिया भर में पर्यटन, पर्यावरण और जैव विविधता के अलावा कॉफी की पैदावार के लिए भी जाना जाता है, यह भारत में कॉफी पैदा करने का प्रमुख केंद्र है। कूर्ग में अंग्रेजों ने कॉफी की पैदावार की शुरूआत की थी। अरेबिका और रोबस्टा कॉफी की दो मुख्य प्रजातियां है जिनकी पैदावार कूर्ग में होती है। ट्रैकिंग, गोल्फ, एंगलिंग, रिवर राफटिंग, चाय बागान और नेचर वॉक जैसे कूर्ग में मौजूद विकल्प आपकी यात्रा को बहुत ही खूबसूरत और विविधतापूर्ण बना देते हैं।
एक बात बताऊं उस सज्जन ने बिल्कुल सही कहा था कि बिना कूर्ग (Coorg) घूमें आपकी दक्षिण की यात्रा अधूरी है। अगर दक्षिण भारत घूमने का मौका मिले तो एक बार कूर्ग जरूर देखिए।
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