Chopta Travel Guide: वर्तमान की भागदौड़ भरी जिन्दगी के लिए यात्राओं ने बहुतेरे विकल्प खोले हैं। इससे एक तरफ जहां हमारे दैनिक जीवन की ऊबन कम होती है वहीं दूसरी तरफ हमें अपने मन और आत्मा को टटोलने का मौका देती हैं। चोपता की यात्रा हर बार मेरे लिए कुछ ऐसी ही रही है। दिल्ली से बस पकड़कर ऋषिकेश पहुंचा। रातभर ऋषिकेश में विश्राम के बाद चोपता पहुंच गया। हर बार मुझे यात्रा का वही सुख और सकून मिला जिसकी तलाश में मैं घर से निकला था। कहने को तो ये छोटी जगह है लेकिन हाल के कुछ वर्षों में उत्तराखंड आने वाले सैलानियों की सबसे पसंदीदा जगह बन गई है। इस ट्रैवल गाइड (Chopta Travel Guide) के माध्यम से हम आपको इस जगह की पूरी-पूरी जानकारी देंगे।
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आत्मिक शान्ति वाली जगह
यह जगह और यहां की आबोहवा में प्रकृति का वास है जिसकी वजह से हर कोई खींचा चला आता है। हरे भरे पेड़ पौधे और खूबसूरत पहाड़ मन को तरोताज़ा कर देते हैं और एक अलग ही तरह की आत्मिक और मानसिक शान्ति का अनुभव होता है। प्रकृति के खूबसूरत नजारे यहां करीब से देखे जा सकते हैं। चोपता, पहाड़ी जंगलों से घिरा केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य का एक हिस्सा है, जो विश्व भर के ट्रेकर्स के मध्य काफी ज्यादा लोकप्रिय है। यह अद्भुत भौगोलिक विविधताओं के लिए जाना जाता है। यहां से आप नंदा देवी, त्रिशूल और चौखंबा चोटियों को आसानी से देख सकते हैं। ज़्यादातर लोग यहां ट्रेकिंग के लिए आते हैं। बाकी जानकारी के लिए इस ट्रैवल गाइड (Chopta Travel Guide) को पूरा पढ़े।
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क्या क्या कर सकते हैं?
इस ट्रैवल गाइड (Chopta Travel Guide) के ज़रिए आप चोपता में टूरिस्ट ट्रैकिंग के अलावा कैंपिंग, योग, स्नो स्कींग, रॉक क्राफ्ट, रॉक क्लाइंबिंग जैसी काफी ऐक्टिविटीज़ के बारे में जान पायेंगे। यह जगह साहसिक पर्यटन के लिहाज़ से काफ़ी महत्व रखती है। जिसकी वजह से देश के कोने कोने से लोग इस जगह पर पहुंचते हैं।
एक साथ कई जगहों की यात्रा
चोपता आकर आप कैंपिंग, ट्रेकिंग और बर्फ़बारी का मज़ा लेने के साथ साथ कई अन्य जगहों की यात्रा कर सकते हैं। ख़ासकर तुंगनाथ मंदिर, देवरिया ताल और चंद्रशिला ट्रेक। इसके अलावा आप दुग्गल बिट्टा, सीरी गांव और कालीमठ की भी सैर कर सकते हैं।
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तुंगनाथ मन्दिर से करें शुरुआत
चोपता भ्रमण की शुरुआत आप चंद्रनाथ पर्वत पर स्थित प्रसिद्ध तुंगनाथ मंदिर से कर सकते हैं। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जो 1000 साल से भी पुराना बताया जाता है। भगवान शिव के साथ आप यहां माता पार्वती और अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं देख सकते हैं। तुंगनाथ की गितनी भारत के प्रसिद्ध पंच केदार में होती है जिसकी वजह से इस जगह पर देश के कोने कोने से लोग आते हैं।
इस मंदिर के निर्माण को लेकर तरह-तरह की मान्यता है। कुरुक्षेत्र में हुए नरसंहार के कारण भगवान शिव को मानने के लिए इस मंदिर का निर्माण पाण्डवों के द्वारा गया था। इस जगह पर स्थित तुंगनाथ की चोटी तीन धाराओं का स्रोत है और इसी से अक्षकामिनी नदी निकलती है। यह मंदिर चोपता से तक़रीबन तीन किलोमीटर दूर स्थित है। ऐसी मान्यता है कि पार्वती माता ने शिव भगवान को प्रसन्न करने के लिए यहां ब्याह से पहले तपस्या की थी।
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चंद्रशिला ट्रेक चोपता
चंद्रशिला तुंगनाथ का शिखर है जिसका शाब्दिक अर्थ है “मून रॉक”। यह समुद्र तल से लगभग 4,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह चोटी हिमालय के अद्भुत दृश्य प्रदान करती है, जिसमें नंदादेवी, त्रिशूल, केदार शिखर, बंदरपंच और चौखम्बा चोटियाँ शामिल हैं। इस जगह के साथ विभिन्न किंवदंतियां जुड़ी हुई हैं।
तुंगनाथ मंदिर दर्शन के पश्चात् आप चंद्रशिला ट्रेक में प्राकृतिक सौंदर्य और रोमांच का मज़ा ले सकते हैं। चंद्रनाथ पर्वत, अपने रोमांचक ट्रेकिंग रूट के लिए जाना जाता है। देशभर से ट्रैवलर यहां इस एडवेंचर का अनुभव लेने के लिए आते हैं। तुंगनाथ मंदिर से शुरु होने वाला चंद्रशिला का ट्रेक लगभग 1.5 किमी का है।
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देवरिया ताल चोपता
यह झील चोपटा – उखीमठ रोड से 2 किमी की दूरी पर स्थित है। यह झील यात्रियों को नौका विहार, कांटेबाजी और विभिन्न पक्षियों को देखने के अवसर प्रदान करती है। इस झील के जल में गंगोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और नीलकंठ की चोटियों के साथ चौखम्बा की श्रेणियों की स्पष्ट छवि प्रतिबिंबित होती है। सामान्यतौर पर ट्रेक करने वाले लोग चोपता से चढ़ाई शुरू करते हैं। यह ट्रेक अपहिल ट्रैक के माध्यम से देवरिया ताल को और पास वाले ट्रैक से तुंगनाथ और चंद्रशिला को जोड़ता है।
एक मान्यता यह भी है कि देवता इस झील में स्नान करते थे। अतः पुराणों में इसे ‘इंद्र सरोवर’ के नाम से उल्लेखित किया गया है। लोगों का मानना है ‘यक्ष’ जिसने पांडवों से उनके वनवासकाल के दौरान सवाल किए थे। वह यक्ष जो पृथ्वी में छुपे हुए सभी प्राकृतिक खजानों और वृक्षों की जड़ों का रखवाला माना गया है इसी झील में रहता था।
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कई अन्य जगहों की भी यात्रा
1- दुग्गल बिट्टा
दो पहाड़ी के मध्य के स्थान को दुग्गल बिट्टा कहा जाता है। पहाड़ों पर बहुत सारी ऐसी जगहें मिल जायेंगी। चोपता के पास भी बिलकुल ऐसी ही एक जगह जिसकी यात्रा का प्लान आप बना सकते हैं। यह स्थल लोगों को अपनी तरफ अनायास ही आकर्षित करता है। चोपता और चारधाम जाने वाले यात्री इस जगह पर रूककर आराम करते हैं। इस जगह पर तमाम लोग आपको विश्राम करते और प्राकृतिक नज़ारों का लुत्फ़ उठाते मिल जायेंगे।
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2- कालीमठ मंदिर
इस जगह से कुछ ही किमी की दूरी पर कालीमठ मंदिर स्थित है। इस मंदिर को रुद्रप्रयाग जिले के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में गिना जाता है। इस जगह पर हर दिन सैकड़ों श्रद्धालुओं का आगमन होता है। समुद्र तल से लगभग 1800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर 108 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। पहाड़ों और प्राकृतिक खूबसूरती से घिरा यह मंदिर मां काली को समर्पित है। मंदिर में एक अखंड ज्योति निरंतर जली रहती है। कालीमठ मंदिर में दानवो का वध करने के बाद माँ काली अंतर्ध्यान हो गयी थी जिसके बाद से ही कालीमठ में माँ काली की पूजा की जाती है।
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3- सारी गांव में विश्राम
सारी गांव देवरिया ताल के लिए आधार शिविर है और इसका उपयोग ट्रेक के लिए तुंगनाथ मंदिर और चोपता के लिए बेस के रूप में किया जाता है। इन सभी स्थलों के अलावा आप चोपता से सारी गांव की यात्रा भी कर सकते हैं। सारी गांव लगभग 6554 फीट की ऊंचाई पर उखीमठ के पास स्थित है। प्राकृतिक आकर्षणों से घिरा यह एक शानदार पहाड़ी गंतव्य है, जहां आप एक यादगार समय बिता सकते हैं। इस गांव में सुंदर सेब और आड़ू ऑर्किड खूब होता है। यह गांव ओक के घने जंगलों के बीच में पड़ता है।
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चोपता कब और कैसे पहुंचे?
सामान्यतौर पर मई से नवंबर तक यहां कि यात्रा की जा सकती है। दिसंबर और जनवरी की यात्रा बर्फ गिरी होने के कारण से वाहन की यात्रा कम और पैदल यात्रा अधिक होती है जो काफी रोमांचक हो जाती है। इस जगह पर आप गोपेश्वर और उखीमठ दोनों ही रास्तों से होकर पहुंच सकते हैं।
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चोपता में कहां ठहरे?
गोपेश्वर और ऊखीमठ, दोनों स्थानों पर गढ़वाल मंडल विकास निगम के विश्रामगृह हैं। इसके अलावा प्राइवेट होटल, लॉज, धर्मशालाएं भी हैं जो सुगमता से मिल जाती हैं। चोपता में भी आवासीय सुविधा उपलब्ध है और यहां पर स्थानीय लोगों की दुकानें हैं। ऊपर आपको कैंपिंग के भी विकल्प मिल जायेंगे।
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दोस्तों, आशा करता हूं कि यह ट्रैवल गाइड (Chopta Travel Guide) आप लोगों को पसंद आया होगा। मेरी कोशिश हर दिन आपको कुछ नया देने की रहती है। आपको लेख पढ़कर कैसा लगा अपने इस घुमंतू दोस्त के साथ जरूर बाटें।
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