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पर्यटन स्थल

हिमालय की खूबसूरती का पर्याय चौमासी केदारनाथ ट्रैक

Chaumasi kedarnath trek

Chaumasi Kedarnath Trek: पौराणिक महत्व की होते हुए भी वर्तमान में कुछ जगहें उतनी प्रसांगिक नहीं रह पाई। ऐसी ही एक जगह है चौमासी जिसे उखीमठ प्रखंड का आखिरी गांव कहा जाता है। यह वह गांव है जहां पर जाकर सड़क समाप्त हो जाती है। परन्तु इसी गांव से होकर केदारनाथ धाम के लिए एक वैकल्पिक पैदल मार्ग निकलता है जिसे पौराणिक चौमासी-केदारनाथ ट्रैक (Chaumasi Kedarnath Trek) के रूप में जाना जाता है।

चौमासी-केदारनाथ ट्रैक (Chaumasi kedarnath trek) की प्रसांगिकता केदारनाथ त्रासदी के बाद अचानक उस वक़्त बढ़ी जब सारे रास्ते बंद हो गए और घाटी में फंसे लोगों तक पहुंचना मुश्किल हो गया। अंततः गांव के चरवाहों की मदद ली गई और इसी ट्रैक से होकर आर्मी के जवान इस मंदिर तक पहुंचे और सैकड़ों लोगों को सुरक्षित बचाया जा सका। तभी से सरकार का ध्यान इस रूट को विकसित करने की दिशा में बढ़ा और लोगों की आवाजाही शुरू हुई। सरकार तो इसे एक पर्यटन के रूप में विकसित करने के दिशा में ज्यादा कुछ नहीं कर पायी पर इस जगह की खूबसूरती ने दुनिया भर के ट्रेकर्स का ध्यान खिंचा और लोगों ने इसको ट्रेक करना शुरू किया।

वर्तमान में साहसिक पर्यटन के शौक़ीन ट्रेकरों का चौमासी केदारनाथ ट्रेक (Chaumasi kedarnath trek) सबसे पसंदीदा ट्रेक बनकर उभरा है और तमाम लोग इस ट्रेक को कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से मेरा भी इसी घाटी में रहना हो रहा है और मैंने खुद भी पाया है कि यह एक बेहतरीन ट्रेक है। इस जगह पर वह सबकुछ है जो एक ट्रेकर को चाहिए। हालांकि उत्तराखंड के दूरदराज इलाके में स्थित इस जगह पर पर्यटन तो न के बराबर है पर पर्यटन स्थल बहुत सारे हैं। स्पष्टतौर पर कहा जाए तो यह एक ऐसा गांव है जो अपने लिए हर दिन पर्यटन की संभावनाएं तलाश रहा है और इसी क्रम में हर दिन कुछ ना कुछ नया करने की कोशिश में हैं।

स्थानीय स्तर पर ट्रैक डेवलपमेन्ट और विलेज पर्यटन को बढ़ावा देने के लिहाज से कई महत्वपूर्ण कार्य हुए और गांव के लोगों ने 500 पेड़ लगाकर सेब का एक बागान भी विकसित किया है। यहां के युवाओं का मानना है कि पौराणिक चौमासी-केदारनाथ ट्रैक (Chaumasi kedarnath trek) के विकसित होने से सैलानी उनके गांव तक आएंगे और रोजगार की तलाश में उन्हें अपना गांव छोड़कर बाहर नहीं जाना पड़ेगा। इसीलिए अपने स्तर पर इस जगह को विकसित करने का हर कोई प्रयास कर रहा है जिसका असर सूक्ष्म रूप से ही सही दिखाई देने लगा है।

स्थानीय लोगों के प्रयास का ही नतीजा है कि पिछले दो साल के प्रयास के बदौलत तक़रीबन 450 से ज्यादा लोग सुरक्षित तरीके से ट्रैक कर चुके हैं और इसे विकसित करने की दिशा में इंडिया हाइक जैसी बड़ी कंपनियां भी दिलचस्पी दिखा रही हैं। पिछले साल इन्होंने तक़रीबन 18 लोगों को ट्रैकिंग के लिए भेजा है और एनआईएम से प्रशिक्षण लेकर काम कर रहे सत्येन्द्र तिंदोरी ने सभी की सुरक्षित ट्रेकिंग कराई है।

बस्तापैक एडवेंचर नामक एक संस्था भी इस घाटी को विकसित करने की दिशा में काफी दिलचस्पी दिखा रही है। संस्था का मानना की इस जगह पर पर्यटन की काफी संभावनाएं हैं पर सामाजिक उत्थान की दिशा में काम करना पहली प्राथमिकता है। इसलिए इस जगह पर पुस्तकालय खोलने और प्रशिक्षण देने का बीड़ा उठाया है। इस जगह पर हाल में ही एक टूरिस्ट सेंटर भी स्थापित किया गया है ताकि यहां आने वाले सैलानियों को घाटी के बारे में सही जानकारी मिल सके।

लोग बताते हैं कि पहले चौमासी गांव से खाम बुग्याल व लिनचोली होते हुए ही से केदारनाथ पहुंचा जाता था। बड़ी संख्या में ट्रैकर आज भी चौमासी केदारनाथ ट्रेक (Chaumasi kedarnath trek) से केदारनाथ पहुंचते हैं। घाटी के लोग भी केदारनाथ जाने के लिए इसी मार्ग का इस्तेमाल करते हैं। इस प्राचीन रूट पर खूबसूरत बुग्यालों के साथ ही रंग-बिरंगे फूल मौजूद हैं।

इस रास्ते पर बारामासी पर्यटन के साथ साहसिक पर्यटन की गतिविधियों को संचालित करने की कई संभावनाएं विकसित की जा सकती है।चौमासी से दस किमी आगे खाम बुग्याल है, जहां से दाई तरफ लगभग आठ किमी की दूरी पर मनणा बुग्याल है जो रंग-बिरंगे फूलों से लदे रहते हैं। इस पूरे क्षेत्र में कई पौराणिक मन्दिर और प्राकृतिक छटा की वजह से इस घाटी को देवताओं की वाटिका भी कहा जाता है। अगर ट्रेकिंग हाईकिंग और सांस्कृतिक जगहों को देखने समझने में आप सबकी दिलचस्पी है तो इस जगह पर जरूर आएं।

travel writer sanjaya shepherd लेखक परिचय

खानाबदोश जीवन जीने वाला एक घुमक्कड़ और लेखक जो मुश्किल हालातों में काम करने वाले दुनिया के श्रेष्ठ दस ट्रैवल ब्लॉगर में शामिल है। सच कहूं तो लिखने और घूमने के अलावा और कुछ आता ही नहीं। इसलिए, वर्षों से घूमने और लिखने के अलावा कुछ किया ही नहीं। बस घुम रहा हूं।