दुनिया की भीड़भाड़ से कोसों दूर एक छोटा सा हिल-स्टेशन है चकराता, जो कि रिख्नद रेंज की पहाड़ियों के अंतर्गत आता है। लेकिन खूबसूरती ऐसी कि किसी भी प्रकृति प्रेमी को पागल कर दे। मेरा भी कुछ दिनों से चकराता हिल स्टेशन (Chakrata hill station) ही रहना हो रहा और यहां की ख़ूबसूरती को देखकर मन पागल हुआ जा रहा है।
यह जगह दूर नहीं होते हुए भी काफी दुर्गम है।
चकराता हिल स्टेशन (Chakrata hill station)
देहरादून से तक़रीबन नब्बे किमी दूर स्थिति चकराता हिल स्टेशन (Chakrata hill station) को वैसे तो अपने शांत वातावरण, जैव विविधता और ख़ूबसूरत मौसम की वजह से जाना जाता है। यहां का शांत माहौल और प्रदूषण रहित वातावरण ऐसा है कि मन एक बार प्रकृति में खो जाए तो घंटों तक खोया रह जाता है। कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि ये हम कहां अथवा किस दुनिया में आ गए।
चकराता हिल स्टेशन (Chakrata hill station) हिमालय में होते हुए हिमालय से थोड़ी अलग और विशिष्ट है। यहां की नदी, पहाड़ और जंगल सबके थोड़े अलग जान पड़ते हैं और थोड़ी सी जान-पहचान होते ही सारी की सारी अजनबियत को खो देते हैं। यह पहले तो हमें आकर्षित करते हैं और एक वक़्त के बाद अपने आपमें पूरी तरह से लेते हैं।
चकराता हिल स्टेशन (Chakrata hill station) के पहाड़ और प्रकृति में एक अद्भुत सम्मोहन है।
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चकराता हिल स्टेशन (Chakrata hill station) की जगहें
इस जगह की गतिशीलता में भी एक ठहराव जान पड़ता है और यह ठहराव चकराता हिल स्टेशन (Chakrata hill station) के लोगों के जीवन में भी स्पष्टतौर पर दिखाई देता है। मेरा चकराता के कई गांवों में भी जाना हुआ। इन गांवों का परिचय अभी भी बहुत पुराना है, यह लोग अभी भी दुनिया की तेज रफ्तार भागती जिंदगी से दूर अपनी वर्षों पुरानी जीवनशैली को अपनाए हुए हैं।
इनका जीवन अभी भी अपने जंगल और जानवरों तक ही सीमित जान पड़ता है।
मुझे चकराता हिल स्टेशन के (Chakrata hill station) जंगल और पहाड़ दोनों ही बहुत विशिष्ट लगे।
इस जगह पर घूमते हुए मैंने कई बार इस बात को महसूस किया कि इतने ख़ूबसूरत जंगल शायद ही कहीं और मुझे देखने को मिलेंगे और मेरे कदम जगह जगह रुके। फिर वह चाहे कोटी कानासर हो या फिर मोयला बुग्याल। मैं इन जगहों पर गया और घटों-घंटों का समय व्यतीत किया। यह जगह मुझे भौगोलिक रूप से काफी कठिन और चुनौतीपूर्ण भी लगी।
देववन, चकराता हिल स्टेशन (Chakrata hill station)
देववन का रास्ता तो इतना कठिन यह कि बीच रास्ते से ही लौटना पड़ा। हालांकि देववन समुद्र टल से महज़ सात से आठ हज़ार फ़िट की ऊँचाई पर स्थित है। हां, चकराता का उत्तरी भाग हम जैसे ट्रेकर्स और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आकर्षक विकल्प प्रदान करता है। कॉनिफ़र, रोडोडेंड्रंस और ओक के वर्जिन जंगलों से गुजरते हुए लंबे से लंबा रास्ता भी हमारी पैर की पवूलियों में सिमट जाता है।
चकराता की खास बातों में यहां के विशाल घने जंगल, जौनसारी जनजाति के आकर्षक गांव, इस क्षेत्र में फैला 10,000 फीट ऊपर का खराम्बा का उच्च शिखर है, साथ ही साथ जब हम इसकी उत्तरी ढलानों पर उतरते हैं तो मुंदली का 9000 फीट ऊंचा शिखर दिखाई देता है। यह भी अपने सौंदर्य से हमें रोमांचित कर देता है।
साथ ही साथ लाखामंडल, चिलमिरी टॉप, टाइगर फॉल जैसे विश्वस्तरीय पर्यटक स्थल भी हैं।
ऑफ़बीट चकराता हिल स्टेशन (Chakrata hill station)
बाज़ारवाद से कोसों दूर ऐसा लगता है कि चकराता हिल स्टेशन (Chakrata hill station) कोई अलग ही दुनिया है। ना तो कोई तोलमोल ना ही किसी बात का झोल। हाइवे तो वर्ल्ड क्लास है पर पूरे दिन में बमुश्किल दस गाड़ियां गुजरती हैं। मैंने यहीं आकर स्कूटी चलाना सीखा और ऊंची पहाड़ियों पर 60-70 किमी की रफ्तार से दौड़ाना भी।
एक दिन तो 15-20 किमी पैदल चला और बुधेर की गुफा में पहुंच गया। सब कह रहे थे कि मत जाओ वहां टाइगर होगा पर सिर्फ भालुयों के पैर के निशान थे और 4-5 मरे हुए जानवरों की हड्डियां। मोयला बुग्याल में ही बुधेर की गुफाएं स्थित हैं और इस जगह से हिमालय की सभी बड़ी चोटियां दिखाई देती हैं।
नीले आसमान के नीचे बिछी बर्फ की एक सफेद परत और नीचे हरे भरे घास के मैदान और जंगल। दो-चार घंटे तक मोयला बुग्याल के घास के मैदान में निकल जाता है पता ही नहीं चलता। कभी मौका मिले तो इस जगह पर कुछ समय बिताकर आएं, निसंदेह यह दुनिया की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है।