मुझे ऐसी जगहों पर जाना पसंद हैं जहां पर पहुंचकर प्रकृति के साथ जुड़ा जा सके। इसी क्रम में मुझे बिनसर (Binsar-Almora) के बारे में पता चला। आपको बता दूं कि बिनसर एक गढ़वाली भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है नवप्रभात यानि कि नई सुबह।
फिर क्या था इस नई जगह से, एक नई सुबह देखने की इच्छा इस कदर बलवती हुई कि हम सुबह होते ही दिल्ली से अल्मोड़ा के लिए निकल पड़े। यात्रा का रोमांच इतना ज्यादा था कि चार सौ किमी का सफर कब पूरा हुआ कुछ पता ही नहीं चला। दस घण्टे की लंबी ड्राइव के बाद आखिरकार हम बिनसर पहुंचे।
देवदार के जंगलों से घिरा बिनसर अल्मोड़ा (Binsar-Almora) से महज कुछ ही दूरी पर है इसलिए एक ख्याल यह भी आया कि यहीं पर आज रात रुक जाते हैं, सुबह होते ही बिनसर निकल जायेंगे। ज्यादातर लोग यही करते हैं लेकिन हमें एक दोस्त के यहां ठहराने का आमंत्रण पहले मिल चुका था इसलिए बिनसर जाकर ही रुके।
समुद्र तल से ठीकठाक ऊँचाई पर होने के कारण बिनसर से हिमालय की केदारनाथ, चौखंबा, नंदा देवी, पंचोली और त्रिशूल जैसी सभी चोटियां स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं और अगर बारिश हुई हो तब तो ऐसा लगता है कि हम किसी और ही दुनिया में आ गए गए हैं।
सोचकर तो यह आया था कि कुछ दिन आराम करूंगा पर यह जगह इतनी मनमोहक है कि एक कमरे में रहकर समय बिताना गुनाह लग रहा था। इसलिए सुबह होते ही एक अनजान रास्ते पर निकल पड़ा और पूरे दिन बस भटकता रहा। इस जगह पर अकेले घूमने में मुझे जितना मज़ा आया उतना कहीं और नहीं आया था।
अल्मोड़ा (Binsar-Almora) आपको अपने तरीके से घूमने और जीने की आज़ादी देती है। यहां के घने और खूबसूरत जंगलों में आप बेफ़िक्र होकर खो सकते हैं। ट्रेकिंग कर सकते हैं, कैंपिंग कर सकते हैं, कई रातें सिर्फ आसमान में विचरते तारों को देखकर गुजार सकते हैं। मैंने तीन दिनों तक सिर्फ यही किया। पूर्वी नयार, पश्चिमी नयार और राम गंगा नदी के उद्गम को ढूंढने में भी मुझे अच्छा ख़ासा वक़्त लगा पर एक बुज़ुर्ग की मदद से आख़िरकार वहाँ पहुंच ही गया।
यह जगह पर्यटन की भी दृष्टि से काफी समृद्ध है। कहा जाता है कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान कुछ दिन इस जंगल में भी बिताए थे और एक रात्रि में एक बहुत ही भव्य मंदिर का निर्माण किया था जो वर्तमान में बिनसर महादेव मंदिर के नाम से प्रचलित है।
बिनसर महादेव मंदिर के अलावा इस जगह पर गोलू देवता का भी मंदिर है जिसे चितई मंदिर के नाम से जाना जाता है। गोलू देवता को न्याय का देवता माना जाता है और यहां अर्जी लगाई जाती है। भक्त अपनी परेशानियों को पेपर में लिखकर मंदिर में रख कर जाते हैं और मनोकामना पूरी होने पर मंदिर में घंटी बांध जाते हैं।
आप वन्यजीव प्रेमी हैं तो इस जगह पर और भी मज़ा आएगा। तक़रीबन पचास वर्ग किमी के दायरे में फैला बिनसर वन्यजीव अभ्यारण्य तेंदुआ, गोरा, जंगली बिल्ली, भालू, लोमड़ी, बार्किंग हिरण और कस्तूरी हिरण जैसे कई जानवरों का घर है और इस जगह पर कभी कभी उत्तराखंड का राज्य पक्षी मोनाल भी देखने को मिल जाता है।
बिनसर में हैं और जीरो पॉइन्ट नहीं गए तो समझो कि आपकी यात्रा अधूरी है। इस जगह पर जाने के लिए काफी पैदल चलना पड़ता पड़ता है और आहिस्ता आहिस्ता ही आप खूबसूरत रास्तों और प्रकृति के बीच खो जाते हैं। फिर कुछ देर बाद एक ऐसी जगह पर पहुंच जाते हैं जहां से आपको दूर-दूर तक हरे भरे जंगल ही जंगल नजर आते हैं। यहां से सूर्य को डूबते हुए देखना रोमांचित कर देता है।
इस जगह पर आने का मतलब है हिमालय की खूबसूरती और पहाड़ों के मौसम को जीना। प्रकृति के बीच कहीं इस कदर खो जाना कि फिर कई-कई दिनों तक बाहर निकलने का मन ही नहीं करे। पर मेरा मानना है कि हर यात्रा में कुछ ना कुछ छोड़ देना चाहिये ताकि इस जगह पर दुबारा जाया जा सके।
बिनसर एक ऐसी जगह है जहां बार बार जाने पर भी मन नहीं भरे।