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पर्यटन स्थल

दुनिया की सबसे पुरानी हस्तनिर्मित गुफायें

oldest surviving rock-cut caves

बिहार के जहानाबाद जनपद से 25 किलोमीटर की दूरी पर मखदमपुर के पास पहाड़ी इलाके में स्थित कुछ गुफाएं हैं। जिन्हें बराबर की गुफाओं (Barabar Caves) के तौर पर जाना जाता है। ये गुफाएं मौर्यो के शासन काल में बनाई गईं थी जिनको दुनिया की सबसे प्राचीन हस्तनिर्मित गुफा होने का श्रेय प्राप्त है। इन गुफाओं को लेकर बहुत सारी भ्रांतियां हैं, कुछ लोग इन्हें पौराणिक काल से जोड़ते हैं तो कुछ दुनिया की सबसे रहस्यमयी गुफा कहते हैं।

मैंने सबसे पहले वर्ष 2009 में इस जगह की यात्रा की और पाया कि बराबर की गुफाएं (Barabar Caves) इतनी प्रमाणिक है कि इन्हें धर्म और इतिहास का साक्षी कहा जा सकता है।

इसी जगह यानि की बराबर की गुफ़ाओं (Barabar Caves) के नज़दीक नौ स्वयंभू नाथों में प्रथम सिद्धेश्वरनाथ का मंदिर भी स्थित है जिसकी वजह से इस जगह पर धर्म कर्म में आस्था रखने वाले लोग भी बहुतायत संख्या में आते हैं। बाबा सिद्धनाथ मंदिर, जिसे शिव मंदिर के रूप में भी जाना जाता है, बराबर पहाड़ियों की सीमा में सबसे ऊंची चोटियों में से एक में स्थित है। मंदिर 7 वीं सदी यानि गुप्ता काल के दौरान बनाया गया था। स्थानीय किंवदंतियों पर गौर करें तो इस मंदिर का निर्माण का श्रेय बाना राजा को दिया जाता है जो राजगीर के महान राजा जरासंध का ससुर थे।

बराबर और नागार्जुन पर्वतों को भारतवर्ष के सबसे पुरातन और ऐतिहासिक पर्वतों में गिना जाता है। इस जगह पर कभी मगध का साम्राज्य हुआ करता था इसलिए 1100 फुट ऊंचे बराबर और नागार्जुन पर्वतों को इस जगह की शान में मगध का हिमालय भी कहा जाता है। इसमें मिली गुफाएं (Barabar Caves) इसके महत्व को और भी ज्यादा बढ़ा देती हैं। ये गुफाएं काफी प्राचीन हैं और अपने निर्माण से लेकर अब तक समय के कई पहलुओं का सामना कर चुकी हैं।

इन गुफ़ाओं (Barabar Caves) का निर्माण सम्राट अशोक ने किया था और इनका उपयोग आजीविका संप्रदाय के संन्यासियों द्वारा किया जाता था। आजीविका सम्पदाय की स्थापना बौद्ध धर्म के संस्थापक सिद्धार्थ गौतम और जैन धर्म के अंतिम एवं 24वें तीर्थंकर महावीर के समकालीन मक्खाली गोसाला द्वारा की गयी थी।इसीलिए यह जगह आजीविका संप्रदाय की उत्पत्ति के स्थान के रूप में भी काफी प्रसिद्ध हैं।

इन गुफाओं (Barabar Caves) का महत्व इस वजह से ज्यादा है क्योंकि यह आजीविका संप्रदाय की होने के साथ-साथ बौद्ध और जैन धर्म से भी सम्बन्ध रखती हैं और दुनिया की सबसे प्राचीन हस्तनिर्मित गुफा के तौर पर जानी जाती है। इन गुफाओं का निर्माण बराबर की पहाड़ियों को काटकर तक़रीबन 2400 साल पहले किया गया था और इनका उपयोग ध्यान आदि के लिए किया जाता था। ये जानकार आश्चर्य होता है कि किस तरह से ग्रेनाइट की इन चट्टानों को काटा गया होगा।

वर्तमान में ये गुफाएं (Barabar Caves) खाली और वीरान हैं लेकिन इनकी चमक और रौनक अब भी बरकरार है। इनकी दीवारें इतनी चमकीली हैं कि कोई भी अपना चेहरा देख सकता है। जिसका श्रेय मौर्यन पॉलिश को दिया जाता है।

किसी पहाड़ के बनने के पीछे का एक तथ्य यह भी है कि यह लावा उत्सर्जन से बनता है। यह पूरा पहाड़ ग्रेनाइट से बना हुआ है क्योंकि इसमें से जो लावा निकला उसका मैग्मा अंदर ही अंदर सूख गया था इसलिए इस जगह पर ग्रेनाइट प्रचुर मात्रा में निकला। ग्रेनाइट में हेमाटाइट, मैग्नाटाइट और आयरन ओर की मात्रा बहुत ज्यादा होती है जिसकी वजह से ये पहाड़ काफी मजबूत और टिकाऊ होते हैं। अशोक की जीत का बहुत सारा श्रेय इन ग्रेनाइट के पहाड़ों को भी दिया जाता है क्योंकि ग्रेनाइट के पत्थर के बने हथियार काफी मजबूत और टिकाऊ होते थे।

बराबर की गुफाओं (Barabar Caves) से कुछ ही दूरी पर नागार्जुन की गुफाएं भी स्थिति हैं। इन गुफाओं का निर्माण अशोक के पोते राजा दशरथ ने कराया था। दोनों ही गुफाएं एक ही समय की हैं इसलिए इन्हें एक साथ ‘सतघर’ के रूप में जाना जाता है। बराबर पर्वत पर स्थित कुल चार और नागार्जुन पर्वत पर स्थित तीन गुफाएं हैं। अशोककालीन गुफाओं में कर्ण चैपर गुफा, सुदामा गुफा, लोमस ऋषि गुफा और विश्व झोपडी गुफा है। गौरतलब है कि कर्ण चैपर, सुदामा और लोमस ऋषि गुफा एक ही चट्टान को काटकर बनाई गई है। नागार्जुन पर्वत में स्थित गुफाओं के नाम गोपिका गुफा, वादीथीका गुफा, वापियका गुफा हैं।

इन गुफाओं के अलावा इस जगह से कुछ ही किमी की दूरी पर कुछ और गुफ़ाओं के होने का प्रमाण मिलता है जिसे वर्तमान में सीतामढ़ी गुफा के नाम से जाना जाता है। इन गुफ़ाओं का निर्माण मौर्यकालीन शासन में किया गया था। यहाँ मौजूद सभी गुफाएँ को धरती के नीचे दबी ग्रेनाइट की चट्टान को काटकर बनाया गया है।

देश में इन गुफाओं के निर्माण के बाद से ही प्रेरणा लेकर कालांतर में पश्चिम भारत में अनेक चैत्याग्रहों का निर्माण हुआ। इसीलिए बराबर (Barabar Caves) और नागार्जुन की गुफाओं का महत्व बहुत ही ज्यादा है। कभी अगर बिहार की यात्रा पर जाएं तो इस जगह पर जाना बिलकुल भी नहीं भूले। यह जगह बिहार की राजधानी पटना और बोध गया जाने के रास्ते में पड़ती है।

travel writer sanjaya shepherd लेखक परिचय

खानाबदोश जीवन जीने वाला एक घुमक्कड़ और लेखक जो मुश्किल हालातों में काम करने वाले दुनिया के श्रेष्ठ दस ट्रैवल ब्लॉगर में शामिल है। सच कहूं तो लिखने और घूमने के अलावा और कुछ आता ही नहीं। इसलिए, वर्षों से घूमने और लिखने के अलावा कुछ किया ही नहीं। बस घुम रहा हूं।