Barabar Caves Bihar: बिहार पर्यटन के मामले में काफ़ी समृद्ध है और बात की जाए बराबर की गुफ़ाओं की तो मगध प्रमंडल के गौरवमयी इतिहास का सारा दृश्य आँखों के सामने उभर आता है। वर्तमान में बराबर की गुफाएँ बिहार के जहानाबाद जिले में स्थित हैं लेकिन इनका इतिहास सदियों पुराना है। ऐसा माना जाता है कि इन गुफ़ाओं का निर्माण 322 से 185 ईसा पूर्व में किया गया था जब मौर्य काल का शासन था। इन गुफ़ाओं में सम्राट अशोक के शिलालेख भी पाए गए हैं जिसकी वजह से इनका महत्व और भी ज़्यादा बढ़ जाता है। जहानाबाद जिले में स्थित बराबर की गुफ़ाओं (Barabar Caves Bihar) के अंतर्गत कुल चार गुफाएं आती हैं जिन्हें करण चौपर, लोमस ऋषि, सुदामा और विश्वकर्मा के नाम से जाना जाता है। इस जगह पर जब भी घूमने के लिए जायें इन सभी गुफ़ाओं को देखना बिल्कुल भी नहीं भूलें।
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जहानाबाद जिले का इतिहास
बिहार की राजधानी पटना से महज़ कुछ ही दूरी पर स्थित जहानाबाद का अपना एक बहुत ही सुंदर और समृद्ध इतिहास है। अबुल फ़ज़ल के द्वारा लिखी पुस्तक आइन-ए-अकबरी में इस जगह का उल्लेख मिलता है। इस किताब में इस बात का ज़िक्र किया गया है कि 17वीं शताब्दी में इस जगह पर भीषण अकाल पड़ा था और स्थानीय लोग भूख से मरने लगे थे। इस अकाल में पीड़ित लोगों को राहत पहुँचाने के लिए औरंगजेब ने इस जगह पर एक मंडी स्थापित किया था। जिसका नाम अपनी बड़ी बहन के नाम पर जहांआरा रखा था। इस मंडी की देखरेख और संचालन की ज़िम्मा भी उसकी बड़ी बहन ही करती थी। इस जगह पर जहांआरा लम्बे समय तक रही जिसकी वजह से इस जगह को ‘जहांआराबाद’ नाम मिला जो वक़्त के साथ जहानाबाद पड़ गया।
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बराबर की गुफ़ाओं की विशेषता
इस जगह पर दो तरह की गुफाएँ मौजूद हैं। एक को हम सब बराबर और दूसरी को नागार्जुनी की गुफाओं के रूप में जानते हैं। यह दोनों ही गुफाएँ जुड़वा पहाड़ियों पर बनी हैं। इसलिए, इनको बराबर और नागार्जुनी की गुफा के तौर पर जाना जाता है। बराबर की गुफाएं (Barabar Caves Bihar) इस जगह पर मौजूद ग्रेनाइट को काटकर बनाई गई हैं। इस जगह पर बनी गुफ़ाओं का संबंध मौर्य काल के शासक सम्राट अशोक और दशरथ मौर्य से है। ऐसा कहा जाता है कि बराबर की इन गुफाओं का उपयोग आजीविका संप्रदाय के द्वारा किया जाता था। यह संप्रदाय जैन धर्म से संबंधित था जिसकी स्थापना मक्खलि गोसाल ने की थी। सम्राट अशोक ख़ुद भी बौद्ध धर्म के अनुयायी थे। बौद्ध और जैन धर्म दोनों ही धर्मों का सम्बंध हिंदू धर्म से है जिसकी वजह से इन गुफाओं में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां हैं।
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बराबर की चार गुफाएं
लोमस ऋषि गुफा | Lomas Rishi Caves
लोमस ऋषि गुफा बराबर पहाड़ी (Barabar Caves Bihar) की दक्षिणी किनारे पर बनी हुई है। इन गुफाओं को स्थानीय तौर पर लोमस ऋषि की कुटिया के रूप में जाना जाता है। इन गुफ़ाओं को साधना के लिए बनाया गया था जिसकी वजह से इनका आकर झोपड़ीनुमा है। लोमस ऋषि गुफा में दो कमरे हैं, एक सुरंग से गुज़रने के बाद बड़ा हाल आता है। इस गुफा को चंद्रशाला या चैत्य आर्क के सबसे जीवित उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत किया जाता है।
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सुदामा गुफा | Sudama Caves
बराबर (Barabar Caves Bihar) के अंतर्गत आने वाली सुदामा गुफा लोमस ऋषि गुफा के क़रीब ही स्थित है। प्रवेश द्वार पर लगे एक शिलालेख के ज़रिए पता चलता है कि यह गुफा सबसे पुरानी है। इस गुफा का निर्माण मौर्य साम्राज्य के शासक सम्राट अशोक ने करवाया था। सुदामा गुफा में एक धनुषाकार की छत बनाई गई है। इस गुफा में एक गुंबदाकार आकर का गोलाकार कमरा है। कमरे के भीतर एक आयताकार मंडप बनाया गया है।
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कर्णचौपर | Karan Chaupar Cave
बराबर (Barabar Caves Bihar) के अंतर्गत आने वाली कर्णचौपर गुफा बराबर की पहाड़ी के उत्तरी किनारे पर स्थित है। एक ऐसी गुफा है जिसमें 245 ई.पू के शिलालेख मौजूद हैं। इस गुफा में एक सम्राट अशोक के 19वें वर्ष के समय का भी शिलालेख है। जिसके अंत में उल्टा स्वास्तिक बना हुआ है जोकि इस बात का संकेत देता है कि यह गुफा बौद्ध भिक्षु के लिए बनाई गई थी। गुप्त वंश के एक शिलालेख के मुताबिक़ इसको दरिद्र कंतारा अथवा भिखारियों की गुफा कहा गया है।
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विश्व झोपड़ी | Vishwakarma Cave
बराबर (Barabar Caves Bihar) के अंतर्गत विश्व झोपड़ी को ही विश्वामित्र की गुफाएं कहा जाता है। बराबर की पहाड़ी को काटकर बनी इस गुफा में दो आयताकार कमरे बने हुए हैं। इस पहाड़ी पर आप सीढ़ी की मदद से बहुत ही आसानी से चढ़ सकते हैं। इस जगह से आसपास का बहुत ही सुंदर नज़ारा दिखाई देता है। इस गुफा में आपको अशोक चरण बने हुए दिखाई देंगे जोकि आपको आगे का रास्ता दिखाते है।
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बराबर के अन्य आकर्षण
बराबर (Barabar Caves Bihar) की गुफा देखने वाले सैलानियों के लिए इन गुफ़ाओं का सैर के अलावा भी कुछ आकर्षण रहता है जिसमें सबसे बड़ा है हजरत बीबी कमाल का मकबरा और बाबा सिद्धनाथ मंदिर का मंदिर देखने का। इसलिए यदि आप बराबर की गुफा देखने आते हैं तो इन दो जगहों पर भी जाना चाहिए।
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हजरत बीबी कमाल का मकबरा
बराबर (Barabar Caves Bihar) गुफा के पास हजरत बीबी कमाल का मकबरा हमारे देश की पहली महिला सूफी संत की दरगाह है। इस बात का ज़िक्र मिलता है कि हजरत बीवी कमाल बिहार शरीफ के हजरत मखदूम साहब की चाची थी और उन्हीं का यह मक़बरा है। इस जगह पर लोग इबादत के लिए आते हैं। देश के कोने कोने से आए श्रद्धालु इन मजार पर चादर चढ़ाते और दुआ मांगते हैं। जिसकी वजह से लोगों का मजमा लग रहता है।
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बाबा सिद्धनाथ मंदिर
बराबर (Barabar Caves Bihar) की पहाड़ी पर बनी भगवान शिव को समर्पित इस जगह पर एक मंदिर भी है। जिसे लोग बाबा सिद्धनाथ मंदिर अथवा सिद्धेश्वर नाथ मंदिर के रूप में जानते हैं। यह मंदिर बराबर की पहाड़ियों की सबसे ऊंची चोटी पर स्थित है। इस मंदिर को गुप्त कल का बताया जाता है। स्थानीय लोगों के बीच ऐसी मान्यता प्रचलित है कि इस मंदिर को 7वीं शताब्दी में राजगीर के राजा जरासंध के ससुर ने करवाया था।
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बराबर की गुफाएं देखने कैसे पहुंचे?
बराबर (Barabar Caves Bihar) की गुफाओं से गया का हवाई अड्डा लगभग 20 किलोमीटर और पटना का एयरपोर्ट लगभग 105 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रेल से सफर करने वालों के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन बेला है जोकि बराबर की गुफ़ाओं से 8 किलोमीटर दूर है। सड़क मार्ग से आने पर गया से बराबर की गुफाओं के लिए आसानी से बस मिल जायेगी। राजधानी पटना से भी सार्वजनिक परिवहन की सुविधा मौजूद है।
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