Menu
पर्यटन स्थल

अस्कोट: अस्सी किलों वाला पिथौरागढ़ का एक खूबसूरत नगर

Askote (अस्कोट)

हम सभी को कुछ ऐसी जगहों की तलाश रहती है जो भीड़भाड़ से दूर हमारे मन और मिज़ाज के अनुकूल और खूबसूरत हों। लेकिन ऐसी जगहों का पता सिर्फ उसी को होता है जो उस जगह की यात्रा करता है। पिछले दिनों मैं अपनी पिथौरागढ़ यात्रा के दौरान Askote (अस्कोट) गया जिनका एक पर्यटन स्थल के तौर पर मैंने नाम तक नहीं सुना था। Askote (अस्कोट) पहुंचकर जाना कि यह जगहें पर्यटन के साथ-साथ ऐतिहासिक और भौगोलिक रूप से भी काफी समृद्ध है।

Askote (अस्कोट) के बारे में जानकारी

इन जगहों पर जो एक बार आ जाता है बार-बार आना चाहता। ऐसी ही एक छोटी सी जगह पिथौरागढ़ जिले की दीदीहाट के अंतर्गत भी आती है जिसका नाम Askote (अस्कोट) है। यह जगह काफी खूबसूरत है और अपने अंदर कई तरह की ऐतिहासिक और भौगोलिक विशिष्टा को खुद में समेटे हुए है। यह कभी उत्तराखंड की एक रियासत थी और अब असकोट मृग अभयारण्य के लिए जानी जाती है।

इस खूबसूरत शहर का नाम असी कोट या अस्सी किलों से लिया गया है, जिनमें से कई नेपाल में स्थित हैं। ऐसा कहा जाता है कि पाल राजाओं के अधीन 80 कोट यानी किले होने के कारण इसे अस्सीकोट कहा जाता था। यह अस्सीकोट बाद में Askote (अस्कोट) कहा जाने लगा। इन किलों के अवशेष आज भी अस्कोट में दिख जाते हैं और इस ऐतिहासिक तथ्य को मजबूत करते हैं कि अस्कोट कभी प्राचीन कत्यूरी राजवंश का हिस्सा था।

यह भी पढ़े: मानसरोवर और कैलाश का द्वार पिथौरागढ़

ऐतिहासिक दृष्टि से Askote (अस्कोट) का महत्व

Askote (अस्कोट) सिर्फ पर्यटन और जैव विविधता ही नहीं बल्कि ऐतिहासिक रूप से भी काफी समृद्ध रही है जिसपर कई राजाओं ने शासन किया। आजादी के बीस साल बाद इस रियासत का भारत सरकार में विलय होने के बाद इसे देश का अभिन्न हिस्सा का दर्जा मिला और इसके विकास के लिए तरह-तरह का काम हुआ।

वर्तमान में Askote (अस्कोट) उत्तराखंड का एक बहुत ही खूबसूरत ऑफबीट डेस्टिनेशन है। इस जगह पर लोग यहां के शांत माहौल में वक्त बिताने के लिए आते हैं। इस जगह का वातावरण और जैव विविधता लोगों को आकर्षित करता है और हाईकिंग और ट्रेकिंग जैसा खूबसूरत विकल्प देता है। यही कारण है कि पर्यटक इस तरह खिंचे चले आते हैं और काली महानदी के तट पर बैठकर ऊंची ऊंची पहाड़ियों के सम्मोहन में खो जाते हैं।

शेखर पाठक और Askote (अस्कोट) आराकोट यात्रा

Askote (अस्कोट) के बारे में सबसे पहले मुझे हिमालय के जाने माने घुमक्कड़ शेखर पाठक के जरिये पता चला था। वह अस्कोट-आराकोट नाम से एक यात्रा कराते हैं जो दस साल पर होती है और इसमें हजारों लोग शामिल होते हैं। इस यात्रा का मकसद पहाड़ के जन जीवन और लोक संस्कृति का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अध्ययन होता है और इस तरह के शैक्षिक पर्यटन में मेरी काफी रुचि है।

Askote wildlife sanctuary (अस्कोट अभयारण्य)

इस जगह को प्राकृतिक वातावरण और आसपास की पहाड़ियों की खूबसूरती के लिए जाना जाता है। लेकिन सबसे बड़ा आकर्षण अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य ही है, जो 1986 में मुख्य रूप से कस्तूरी मृग और उसके निवास स्थान के संरक्षण के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। Askote wildlife sanctuary (अस्कोट अभ्यारण्य) में पाए जाने वाले अन्य जानवरों में बंगाल टाइगर, तेंदुआ, हिमालयन जंगल कैट, सिवेट, बार्किंग हिरण, सीरो, गोरल और हिमालयन ब्राउन भालू का नाम आता है।

Askote Nature Walks (अस्कोट में प्राकृतिक सैर)

Askote (अस्कोट) नेचर वाक के लिहाज से भी काफी उपयुक्त है। पैदल चलते हुए उच्च ऊंचाई के पक्षियों की कई दुर्लभ प्रजातियां दिख जाती हैं। इस जगह से नजरीकोट, पंचुली, चिपलकोट और नौकना जैसी हिमालय की चोटियों के खूबसूरत दृश्य देखकर मन झूम जाता है और देर तक इन पहाड़ों के सम्मोहन से बाहर निकलने का मन नहीं करता है।

Askote (अस्कोट) में पाल राजाओं का महल

कुछ ही फासले पर पाल राजाओं का महल है जो Askote (अस्कोट) के वर्षों पुराने इतिहास को आज भी खुदमें संजोये हुए है। यह महल वर्तमान में किसी संग्रहालय से कम नहीं है। बताया जाता है कि कई ताम्रपत्रों में अतीत की विरासत को इस जगह पर आज भी सहेजकर रखा गया है। इस जगह पर अस्कोट के सौ से अधिक राजाओं के नाम का दुर्लभ भोजपत्र आज आप देख सकते हैं।

इस महल में राजसी तलवार के अलावा उस समय के राजाओं की सैंकड़ों तलवारें रखी गई हैं। 12वीं सदी में प्रचलित पीतल की अशर्फियां, महारानी का सोने जड़ा ब्लाउज तथा कई अन्य ऐतिहासिक चीजों को इस परिवार के वंशजों ने सहेजकर रखा है।

यह गांव Askote (अस्कोट) पिथौरागढ़ से लगभग 52 किलोमीटर की दूरी पर धारचूला के रास्ते पर स्थित है। अगर आप इस जगह पर आना चाहते हैं तो सबसे पहले ट्रेन से काठगोदाम या फिर प्लेन से उधमसिंह नगर पहुंचिये, फिर पिथौरागढ़ के लिए बस या टैक्सी लीजिये और अस्कोट पहुंच जाइये।

travel writer sanjaya shepherd लेखक परिचय

खानाबदोश जीवन जीने वाला एक घुमक्कड़ और लेखक जो मुश्किल हालातों में काम करने वाले दुनिया के श्रेष्ठ दस ट्रैवल ब्लॉगर में शामिल है। सच कहूं तो लिखने और घूमने के अलावा और कुछ आता ही नहीं। इसलिए, वर्षों से घूमने और लिखने के अलावा कुछ किया ही नहीं। बस घुम रहा हूं।